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कोटा के दीगोद और सांगोद के इलाकों में अज्ञात बीमारी से करीब 200 बगुलों की मौत

खबर राजस्थान के कोटा क्षेत्र के इटावा से है, जहां दीगोद-सांगोद क्षेत्र में बगुलों की मौत हो रही है. ये मौतें अज्ञात बीमारी की वजह से हुई हैं. बताया जा रहा है कि करीब 200 बगुले अज्ञात बीमारी का शिकार हुए हैं. ऐसे में बर्ड फ्लू की आशंका जताई जा रही है.

200 बगुलों की मौत
200 बगुलों की मौत
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Published : Oct 16, 2021, 5:00 AM IST

इटावा (कोटा) : जिले के दीगोद क्षेत्र सदेडी गांव और सांगोद क्षेत्र में इन दिनों अज्ञात बीमारी से बगुलों की मौत होने का मामला सामने आया है. दीगोद तहसील के सडेदी, बालापुरा सहित विभिन्न स्थान जहां पक्षियों का बसेरा था, वहां से बगुलों को मरने की सूचनाएं आ रही हैं.

बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में इन बगुलों की मौत हो रही है. इससे पक्षी प्रेमी खासे उदास हैं. चूंकि इन बगुलों की मौत अज्ञात बीमारी की वजह से हो रही है, लिहाजा लोगों को डर भी सता रहा है. डर यह कि कोई बीमारी ऐसी तो नहीं जो इन बगुलों के माध्यम से इंसानों को भी चपेट में ले ले.

सांगोद और दीगोद तहसील क्षेत्र में करीब 200 बगुलों को अज्ञात बीमारी से मौत हुई है. इन बगुलों की मौत के को लेकर बर्ड फ्लू होने की भी आशंका जताई जा रही है. वहीं लगातार हो रही बगुलों की मौत पर न तो प्रशासन और न ही वन विभाग ने सुध ली है.

इसी साल जनवरी में बरपा था कौओं पर कहर

इस साल के शुरूआत में प्रदेश में एविएन इन्फ्लूएंजा फैला था. तब भी पूरे राजस्थान में कोऔं समेत कई पक्षियों की अचानक मौत होने के मामले तेजी से आए थे. जनवरी महीने तक राजस्थान में 6 हजार से ज्यादा पक्षी मारे गए थे. इस साल की शुरूआत में फैले बर्ड फ्लू में भी हाड़ौती इलाके में बड़ी तादाद में पक्षियों की मौत हुई थी. झालावाड़ में कौओं के साथ-साथ बगुलों की भी बर्ड फ्लू से मौत होने के मामले सामने आए थे. झालावाड़ के पिडावा क्षेत्र के रायपुर में तब पहली बार बगुलों के मरने का मामला सामने आया था.

ये भी पढ़ें - प्राकृतिक खूबसूरती के लिए मशहूर मुन्नार और आसपास के इलाकों में हाथियों का आतंक

जनवरी महीने में चित्तौड़गढ़ के निंबाहेड़ा में भी लगातार कौए मृत पाए गए. धनेत कला ग्राम पंचायत के एक गांव में 2 दर्जन से अधिक कौए मृत पाए गए थे. 26 जनवरी तक प्रदेश में बर्ड फ्लू से 6,849 पक्षियों की मौत हो चुकी थी, जिनमें 4,799 कौए, 409 मोर, 583 कबूतर और 1,058 अन्य पक्षी थे. इसी दिन एक दिन में 90 पक्षियों की मौत हुई थी.

एविएन इन्फ्लूएंजा का असर

प्रदेश में जनवरी माह में अचानक कौओं और पक्षियों की मौत की वजह एविएन इन्फ्लूएंजा बर्ड फ्लू को माना गया था. प्रदेश में लगातार कौओं और अन्य पक्षियों की मौत की सूचनाएं आने लगी थी. औसतन 100 पक्षी रोज मारे जा रहे थे. चिड़ियाघरों में विशेष सतर्कता बरती जाने लगी थी.

चिड़ियाघरों में किया गया था दवा का छिड़काव

बर्ड फ्लू को देखते हुए वन विभाग ने चिड़ियाघरों में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए थे. चिड़ियाघरों में हाइपोक्लोराइट सोडियम का छिड़काव किया गया. वन कर्मी पीपीई किट पहनकर पक्षियों की देखरेख करते देखे गए.

इससे पहले भी जयपुर के सांभर में एक साथ करीब 20 हजार पक्षियों की मौत ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था. पक्षियों की इस तरह हो रही मौतों पर पर्यावरणविद सवाल भी उठा चुके हैं. ऐसे में कोटा के सांगोद और दीगोद में अचानक करीब 200 बगुलों की मौत ने फिर से बर्ड फ्लू का संकेत दिया है.

इटावा (कोटा) : जिले के दीगोद क्षेत्र सदेडी गांव और सांगोद क्षेत्र में इन दिनों अज्ञात बीमारी से बगुलों की मौत होने का मामला सामने आया है. दीगोद तहसील के सडेदी, बालापुरा सहित विभिन्न स्थान जहां पक्षियों का बसेरा था, वहां से बगुलों को मरने की सूचनाएं आ रही हैं.

बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में इन बगुलों की मौत हो रही है. इससे पक्षी प्रेमी खासे उदास हैं. चूंकि इन बगुलों की मौत अज्ञात बीमारी की वजह से हो रही है, लिहाजा लोगों को डर भी सता रहा है. डर यह कि कोई बीमारी ऐसी तो नहीं जो इन बगुलों के माध्यम से इंसानों को भी चपेट में ले ले.

सांगोद और दीगोद तहसील क्षेत्र में करीब 200 बगुलों को अज्ञात बीमारी से मौत हुई है. इन बगुलों की मौत के को लेकर बर्ड फ्लू होने की भी आशंका जताई जा रही है. वहीं लगातार हो रही बगुलों की मौत पर न तो प्रशासन और न ही वन विभाग ने सुध ली है.

इसी साल जनवरी में बरपा था कौओं पर कहर

इस साल के शुरूआत में प्रदेश में एविएन इन्फ्लूएंजा फैला था. तब भी पूरे राजस्थान में कोऔं समेत कई पक्षियों की अचानक मौत होने के मामले तेजी से आए थे. जनवरी महीने तक राजस्थान में 6 हजार से ज्यादा पक्षी मारे गए थे. इस साल की शुरूआत में फैले बर्ड फ्लू में भी हाड़ौती इलाके में बड़ी तादाद में पक्षियों की मौत हुई थी. झालावाड़ में कौओं के साथ-साथ बगुलों की भी बर्ड फ्लू से मौत होने के मामले सामने आए थे. झालावाड़ के पिडावा क्षेत्र के रायपुर में तब पहली बार बगुलों के मरने का मामला सामने आया था.

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जनवरी महीने में चित्तौड़गढ़ के निंबाहेड़ा में भी लगातार कौए मृत पाए गए. धनेत कला ग्राम पंचायत के एक गांव में 2 दर्जन से अधिक कौए मृत पाए गए थे. 26 जनवरी तक प्रदेश में बर्ड फ्लू से 6,849 पक्षियों की मौत हो चुकी थी, जिनमें 4,799 कौए, 409 मोर, 583 कबूतर और 1,058 अन्य पक्षी थे. इसी दिन एक दिन में 90 पक्षियों की मौत हुई थी.

एविएन इन्फ्लूएंजा का असर

प्रदेश में जनवरी माह में अचानक कौओं और पक्षियों की मौत की वजह एविएन इन्फ्लूएंजा बर्ड फ्लू को माना गया था. प्रदेश में लगातार कौओं और अन्य पक्षियों की मौत की सूचनाएं आने लगी थी. औसतन 100 पक्षी रोज मारे जा रहे थे. चिड़ियाघरों में विशेष सतर्कता बरती जाने लगी थी.

चिड़ियाघरों में किया गया था दवा का छिड़काव

बर्ड फ्लू को देखते हुए वन विभाग ने चिड़ियाघरों में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए थे. चिड़ियाघरों में हाइपोक्लोराइट सोडियम का छिड़काव किया गया. वन कर्मी पीपीई किट पहनकर पक्षियों की देखरेख करते देखे गए.

इससे पहले भी जयपुर के सांभर में एक साथ करीब 20 हजार पक्षियों की मौत ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था. पक्षियों की इस तरह हो रही मौतों पर पर्यावरणविद सवाल भी उठा चुके हैं. ऐसे में कोटा के सांगोद और दीगोद में अचानक करीब 200 बगुलों की मौत ने फिर से बर्ड फ्लू का संकेत दिया है.

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