ETV Bharat / bharat

देशद्रोह के मौजूदा आरोपियों से कैसे निपटेगी सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि वह देशद्रोह से संबंधित धारा 124 ए के तहत पहले से दर्ज मामलों से कैसे निपटेगी.

Supreme court
Supreme court
author img

By

Published : May 10, 2022, 4:15 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ भी देशद्रोह कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही है. अदालत ने इस पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी है. जिस पर केंद्र ने कहा कि वह कानून पर पुनर्विचार करेगा और अदालत से मामले में हस्तक्षेप नहीं करने और प्रैक्टिस पूरी होने की प्रतीक्षा करने का अनुरोध किया है.

सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दर्ज मामले के तथ्यों को देखने और राहत प्रदान करने के लिए अदालतें हैं. यदि उन्हें लगता है कि दर्ज किया गया मामला दूर-दूर तक देशद्रोह का नहीं है तो इस देश के इतिहास में अदालत ने कभी भी दंडात्मक अपराध के लिए आदेश पारित नहीं किया है. अदालत ने कहा कि वे लोगों से यह नहीं कह सकते कि जेल में रहना ठीक है और फिर कोर्ट जाइए. जब सरकार ने इसके दुरुपयोग को लेकर चिंता जाहिर की है तो उन्हें बचाना होगा. कोर्ट ने केंद्र से यह भी कहा कि इसकी कवायद कब तक पूरी होगी.

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण द्वारा प्रस्तुत याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि अदालत द्वारा कानूनी प्रावधानों की जांच की जानी चाहिए और सरकार की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए. उनका तर्क था कि वक्तव्य कार्यपालिका द्वारा दिया जाता है और कोई यह नहीं कह सकता कि संसद क्या करेगी. उन्होंने तर्क दिया कि सरकार का यह कहने का एक पैटर्न है कि वे इस मुद्दे पर फैसला करेंगे.

यह भी पढ़ें- आरोपी को जमानत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, मांगा स्पष्टीकरण

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने गोपनीयता और वैवाहिक बलात्कार के मामले का उदाहरण दिया, जहां अदालत ने मामले को जब्त कर लिया और फिर सरकार ने कहा कि वह एक समिति का गठन करेगी. कोर्ट ने कहा कि वे इस बात पर विचार करेंगे कि गंभीर कार्रवाई की जाएगी और हस्तक्षेप करने में अनुचित नहीं होना चाहते. अदालत ने यह भी कहा कि वह मामले का निपटारा नहीं कर रही है वह इसे लंबित रखेगी. मामले की सुनवाई कल 11 मई को फिर से होगी.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ भी देशद्रोह कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही है. अदालत ने इस पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी है. जिस पर केंद्र ने कहा कि वह कानून पर पुनर्विचार करेगा और अदालत से मामले में हस्तक्षेप नहीं करने और प्रैक्टिस पूरी होने की प्रतीक्षा करने का अनुरोध किया है.

सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दर्ज मामले के तथ्यों को देखने और राहत प्रदान करने के लिए अदालतें हैं. यदि उन्हें लगता है कि दर्ज किया गया मामला दूर-दूर तक देशद्रोह का नहीं है तो इस देश के इतिहास में अदालत ने कभी भी दंडात्मक अपराध के लिए आदेश पारित नहीं किया है. अदालत ने कहा कि वे लोगों से यह नहीं कह सकते कि जेल में रहना ठीक है और फिर कोर्ट जाइए. जब सरकार ने इसके दुरुपयोग को लेकर चिंता जाहिर की है तो उन्हें बचाना होगा. कोर्ट ने केंद्र से यह भी कहा कि इसकी कवायद कब तक पूरी होगी.

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण द्वारा प्रस्तुत याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि अदालत द्वारा कानूनी प्रावधानों की जांच की जानी चाहिए और सरकार की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए. उनका तर्क था कि वक्तव्य कार्यपालिका द्वारा दिया जाता है और कोई यह नहीं कह सकता कि संसद क्या करेगी. उन्होंने तर्क दिया कि सरकार का यह कहने का एक पैटर्न है कि वे इस मुद्दे पर फैसला करेंगे.

यह भी पढ़ें- आरोपी को जमानत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, मांगा स्पष्टीकरण

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने गोपनीयता और वैवाहिक बलात्कार के मामले का उदाहरण दिया, जहां अदालत ने मामले को जब्त कर लिया और फिर सरकार ने कहा कि वह एक समिति का गठन करेगी. कोर्ट ने कहा कि वे इस बात पर विचार करेंगे कि गंभीर कार्रवाई की जाएगी और हस्तक्षेप करने में अनुचित नहीं होना चाहते. अदालत ने यह भी कहा कि वह मामले का निपटारा नहीं कर रही है वह इसे लंबित रखेगी. मामले की सुनवाई कल 11 मई को फिर से होगी.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.