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Special : शहीद भाई की याद में पूरी यूनिट को 24 साल से भेज रही हैं राखी, एक भाई खोया और आज यूनिट का हर जवान है उनका भाई

शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज की बहन सुनीता धौंकरिया पिछले 24 सालों से वो अपने भाई के यूनिट के सभी जवानों को राखी भेजती है. वो कहती हैं कि ऐसा करके उसे अपने शहीद भाई की मौजूदगी का एहसास होता है. आईए जानते हैं उन्हीं की जुबानी...

Sunita sending rakhi to jawan since 1999
सुनीता 24 सालों से पूरे यूनिट को भेज रही है राखी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 30, 2023, 7:21 AM IST

Updated : Aug 30, 2023, 12:56 PM IST

सुनीता 24 सालों से पूरे यूनिट को भेज रही है राखी

जयपुर. राजस्थान में एक बहन ऐसी भी है जो कारगिल युद्ध में शहीद हुए अपने भाई कैप्टन अमित भारद्वाज की याद में उनकी पूरी यूनिट को पिछले 24 सालों से राखी भेजती आ रही हैं. 1999 में जो सिलसिला शुरू हुआ, वो आज भी बदस्तूर जारी है. यही वजह है कि आज शहीद अमित भारद्वाज की यूनिट का हर एक जवान बहन सुनीता धौंकरिया का भाई है.

आज रक्षाबंधन के मौके पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी. लेकिन जयपुर में एक बहन ऐसी है जिनका इकलौता भाई देश की खातिर शहीद हो गया. हम बात कर रहे है महज 27 साल की उम्र में कारगिल युद्ध में शहीद हुए जयपुर के कैप्टन अमित भारद्वाज और उनकी बहन सुनीता की. दरअसल, कैप्टन अमित भारद्वाज की बहन अपने भाई को रक्षाबंधन के अवसर पर राखी भेजा करती थी. लेकिन कारगिल युद्ध में कैप्टन अमित भारद्वाज शहीद हो गए. बावजूद इसके सुनीता ने ये सिलसिला नहीं तोड़ा. बदस्तूर पिछले 24 सालों से वो शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज की यूनिट 4 जाट रेजिमेंट के हर एक जवान के लिए राखी भेजती हैं. साथ ही हर साल अपने शहीद भाई अमित भारद्वाज की तस्वीर पर भी राखी बांधती हैं.

पढ़ें Rajasthan : भरतपुर के अपना घर आश्रम में 25 साल बाद हुआ भाई-बहन का मिलन, इस बार राखी से सजेगी भाई की कलाई

रक्षा बंधन के मौके पर सुनीता ने नम आंखों से बताया कि अमित ने देश सेवा के लिए अपना बलिदान दिया. 17 मई 1999 को वो शहीद हुए थे. 15 जुलाई 1999 को जयपुर में उन्हें पंचतत्व में विलीन किया गया. इसके एक महीने बाद रक्षाबंधन का त्यौहार था. उससे पहले तक वो हर साल कैप्टन अमित भारद्वाज की यूनिट में राखी भेजा करती थी, तब सोचा कि ये सिलसिला टूटना नहीं चाहिए. उसी वक्त 100 राखियां 4 जाट रेजीमेंट यूनिट भेजी. तब से ये 25 वां रक्षाबंधन है, ये क्रम जारी है. इससे उन्हें अमित की उपस्थिति महसूस होती है.

पढ़ें Rakshabandhan 2023 : इस बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया, लेकिन इस वक्त बांध सकते हैं राखी

उन्होंने कहा कि यूनिट में और भी भाई मिले हैं, जो उनकी राखी का सम्मान करते हैं. फिर चाहे यूनिट कहीं भी रही हो, रक्षाबंधन के अवसर पर एक व्यक्ति उनकी राखी लेने के लिए जरूर पहुंचता है. जब यूनिट 3 साल 2006 से 2009 तक जयपुर में पोस्टेड थी, तब यूनिट के मंदिर में उनका जाना होता था. वहीं राखी बंधवाई जाती थी. उन्होंने फौजी भाइयों पर गर्व करते हुए कि वो अपने साथी के परिवार वालों का हमेशा ध्यान रखते हैं. आज अमित भले ही उनके बीच नहीं हैं, लेकिन अमित के रूप में बहुत सारे भाई यूनिट से मिले हैं. शहीद अमित भारद्वाज की पूरी यूनिट ही उनको दीदी कहकर बुलाती है. बहन वाला प्यार और सम्मान देती है.

पढ़ें Rajasthan : अपना घर आश्रम ने करवाया दो भाइयों का मिलन, 25 साल से मृत समझ करते रहे श्राद्ध, मिला जीवित

बहरहाल, रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व जो भाई- बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है. रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई के कलाई पर जो रक्षा सूत्र बांधती है, वही उनके अमिट प्रेम की डोर होती है. प्रेम की यही डोर पहले सरहद तक अमित भारद्वाज के हाथ पर और उनके शहीद होने के बाद सरहद पर तैनात उनके यूनिट के हर एक जवान के हाथ पर सजती है.

सुनीता 24 सालों से पूरे यूनिट को भेज रही है राखी

जयपुर. राजस्थान में एक बहन ऐसी भी है जो कारगिल युद्ध में शहीद हुए अपने भाई कैप्टन अमित भारद्वाज की याद में उनकी पूरी यूनिट को पिछले 24 सालों से राखी भेजती आ रही हैं. 1999 में जो सिलसिला शुरू हुआ, वो आज भी बदस्तूर जारी है. यही वजह है कि आज शहीद अमित भारद्वाज की यूनिट का हर एक जवान बहन सुनीता धौंकरिया का भाई है.

आज रक्षाबंधन के मौके पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी. लेकिन जयपुर में एक बहन ऐसी है जिनका इकलौता भाई देश की खातिर शहीद हो गया. हम बात कर रहे है महज 27 साल की उम्र में कारगिल युद्ध में शहीद हुए जयपुर के कैप्टन अमित भारद्वाज और उनकी बहन सुनीता की. दरअसल, कैप्टन अमित भारद्वाज की बहन अपने भाई को रक्षाबंधन के अवसर पर राखी भेजा करती थी. लेकिन कारगिल युद्ध में कैप्टन अमित भारद्वाज शहीद हो गए. बावजूद इसके सुनीता ने ये सिलसिला नहीं तोड़ा. बदस्तूर पिछले 24 सालों से वो शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज की यूनिट 4 जाट रेजिमेंट के हर एक जवान के लिए राखी भेजती हैं. साथ ही हर साल अपने शहीद भाई अमित भारद्वाज की तस्वीर पर भी राखी बांधती हैं.

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रक्षा बंधन के मौके पर सुनीता ने नम आंखों से बताया कि अमित ने देश सेवा के लिए अपना बलिदान दिया. 17 मई 1999 को वो शहीद हुए थे. 15 जुलाई 1999 को जयपुर में उन्हें पंचतत्व में विलीन किया गया. इसके एक महीने बाद रक्षाबंधन का त्यौहार था. उससे पहले तक वो हर साल कैप्टन अमित भारद्वाज की यूनिट में राखी भेजा करती थी, तब सोचा कि ये सिलसिला टूटना नहीं चाहिए. उसी वक्त 100 राखियां 4 जाट रेजीमेंट यूनिट भेजी. तब से ये 25 वां रक्षाबंधन है, ये क्रम जारी है. इससे उन्हें अमित की उपस्थिति महसूस होती है.

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उन्होंने कहा कि यूनिट में और भी भाई मिले हैं, जो उनकी राखी का सम्मान करते हैं. फिर चाहे यूनिट कहीं भी रही हो, रक्षाबंधन के अवसर पर एक व्यक्ति उनकी राखी लेने के लिए जरूर पहुंचता है. जब यूनिट 3 साल 2006 से 2009 तक जयपुर में पोस्टेड थी, तब यूनिट के मंदिर में उनका जाना होता था. वहीं राखी बंधवाई जाती थी. उन्होंने फौजी भाइयों पर गर्व करते हुए कि वो अपने साथी के परिवार वालों का हमेशा ध्यान रखते हैं. आज अमित भले ही उनके बीच नहीं हैं, लेकिन अमित के रूप में बहुत सारे भाई यूनिट से मिले हैं. शहीद अमित भारद्वाज की पूरी यूनिट ही उनको दीदी कहकर बुलाती है. बहन वाला प्यार और सम्मान देती है.

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बहरहाल, रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व जो भाई- बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है. रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई के कलाई पर जो रक्षा सूत्र बांधती है, वही उनके अमिट प्रेम की डोर होती है. प्रेम की यही डोर पहले सरहद तक अमित भारद्वाज के हाथ पर और उनके शहीद होने के बाद सरहद पर तैनात उनके यूनिट के हर एक जवान के हाथ पर सजती है.

Last Updated : Aug 30, 2023, 12:56 PM IST

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