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कोटा में टूटेगा एडमिशन का रेकॉर्ड, अबतक 90 हजार छात्रों ने लिया कोचिंग सेंटरों में दाखिला - Kota latest news

राजस्थान के कोटा के कोचिंग सेंटरों में नए सत्र के लिए एडमिशन शुरू (Admission in Kota coaching) हो गए हैं और यहां देश भर से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स का पहुंचने लगे हैं. अभी तक करीब 90 हजार विद्यार्थियों ने यहां के कोचिंग संस्थानों में एडमिशन लिया है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल वर्ष 2019 का रिकॉर्ड कोटा में टूट जाएगा.

Admission in Kota coaching
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Published : Apr 8, 2022, 10:20 PM IST

कोटा. कोचिंग हब के तौर पर मशहूर कोटा के कोचिंग संस्थानों में नए सत्र के लिए एडमिशन शुरू (Admission in Kota coaching) हो गए हैं और यहां स्टूडेंट्स की भीड़ लगने लगी है. ऐसे में अभी तक करीब 90 हजार विद्यार्थियों ने एडमिशन ले लिए हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल वर्ष 2019 का रिकॉर्ड टूट जाएगा. बता दें कि कोटा की कोचिंग संस्थानों में इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षाओं की पढ़ाई होती है.

उम्मीद जताई जा रही है कि नए सत्र में करीब दो लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने के लिए कोटा आएंगे. इस बार बीते 2 सालों से कोविड-19 की मार झेल रही कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री को बूम मिलेगा. साथ ही कोटा का लोकल बिजनेस भी बढे़गा. इस बार कोटा कोचिंग की इकोनॉमी बढ़कर 6000 करोड़ से ऊपर जा सकती है. उम्मीद जताई जा रही है कि 2 लाख बच्चे कोटा पहुंचेंगे और इन बच्चों का पूरे साल में खर्चा करीब ढाई से तीन लाख रुपये होता है. यह राशि फुटकर व्यापारियों से लेकर हॉस्टल, कोचिंग, मेस और पीजी मालिक और स्थानीय दुकानदारों तक पहुंचती है.

कोटा के कोचिंग संस्थानों में एडमिशन पर खास रिपोर्ट

एक लाख लोग ले रहे हैं रोजगार, बढ़ेगा बिजनेसः एक अनुमान के मुताबिक कोटा कोचिंग इंडस्ट्री से करीब 1 लाख लोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार ले रहे हैं. इनमें कोचिंग, मैस, हॉस्टल और पीजी में काम करने वाले लोग शामिल हैं. इसके अलावा स्टेशनरी की दुकान से लॉन्ड्री, फुटकर खाने-पीने की दुकानों से लेकर बड़े रेस्टोरेंट और मॉल तक भी शामिल हैं. एंटरटेनमेंट के लिए भी काफी सुविधाएं बच्चों को कोटा में उपलब्ध हैं. जिसमें बड़ी राशि इन बच्चों की खर्च होती है. इसके अलावा पीजी व हॉस्टल रेंटल की आमदनी भी बड़ी मात्रा में कोटा को मिलती है. यहां तक कि परिवहन के साधनों में ऑटो-टैक्सी सहित कई संसाधन यहां पर मौजूद हैं. कोविड-19 के चलते यह सभी लोग संकट में थे, यहां तक कि कई दुकानें ऐसी थी जो कि किराया नहीं चुकाने के चलते खाली हो गई थी.

रोजगार बढ़ने के साथ में कोटा नई ऊंचाइयों को छुएगाः कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि कोटा के कोचिंग संस्थानों में बड़ी संख्या में एडमिशन हो रहे हैं. अधिकांश बच्चे हॉस्टल में ही रहने के लिए आ रहे हैं. आने वाले समय में बोर्ड परीक्षा खत्म होगी. जिसके बाद रुझान कोटा में रहेगा. उन्होंने कहा कि कोटा के सभी हॉस्टल मेरे हिसाब से फुल हो जाएंगे. कोटा शहर में करीब दो से सवा दो लाख रूम हैं. उम्मीद है कि 2 लाख बच्चे कोटा में पहुंच जाएंगे. कोविड-19 के दौर में पटरी से उतरी कोटा की इकोनॉमी को संबल मिलेगा. यह बच्चे जो राशि कोटा में खर्च करते हैं, उससे निश्चित तौर पर कोटा में रोजगार के संसाधन बढ़ेंगे.

बिहार और उत्तर प्रदेश के विद्यार्थियों का रुझान ज्यादाः कोटा आने वाले छात्रों में अधिकांश बिहार, उत्तर प्रदेश के होते हैं. इनके बाद में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक के बच्चे आते हैं. करीब 25 हजार बच्चे राजस्थान के भी होते हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि अभी बोर्ड की परीक्षा में देर है. इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम भी जुलाई और सितंबर महीने में होने जा रहे हैं. ऐसे में अगस्त सितंबर तक बैच कोचिंग संस्थाओं में शुरू होंगे. इसके अलावा इन परीक्षाओं में बैठने वाले ऐसे विद्यार्थी जिनका चयन नहीं होता और रिपीटर विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में आएंगे. इसी के चलते बच्चों के आने का क्रम भी जारी रहेगा.

पैरेंट्स और बच्चों का पॉजिटिव माहौलः कोटा के निजी कोचिंग के वाइस प्रेसिडेंट विजय सोनी का मानना है कि अभी सिनेरियो दिख रहा है. उसके अनुसार यह बोल सकते हैं कि 2 साल जो कोविड-19 का निकला है. इसके बाद बच्चों में काफी पॉजिटिव माहौल कोटा को लेकर है. यहां पर बच्चे ऑफलाइन क्लासेज करने के लिए पहुंच रहे हैं. हम लोग अभी बच्चों के ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं. पैरंट्स भी काफी जोश में भी यहां पर आकर अपने बच्चों को छोड़कर जा रहे हैं. वाइस प्रेसिडेंट का मानना है कि ऑनलाइन पढ़ना बच्चों के लिए इंटरेस्टिंग नहीं बन पाया है. जब फेस टू फेस बच्चा ऑफलाइन क्लास रूम में पड़ता है, तब बच्चे का एनर्जी लेवल काफी हाई होता है. कंपीटेटिव एनवायरनमेंट भी यहां होता है. इसी कारण देश भर से बच्चे भारत में आते हैं.

ऑनलाइन पढ़ाई से बोर हो गए थे बच्चेः निजी कोचिंग इंस्टिट्यूट के मैथमेटिक्स के एचओडी आयुष गोयल का कहना है कि कोटा में जो बच्चों का इनफ्लो आ रहा है. उनमें 11वीं कक्षा पढ़ चुके विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में हैं. इन बच्चों की डिमांड है कि उन्हें 11वीं का सिलेबस दोबारा से बढ़ाया जाए. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार बड़ी संख्या में आईआईटी और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए स्टूडेंट्स कोटा पहुंचेंगे.

अभी से फुल है 75 फ़ीसदी हॉस्टलः हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि काफी अच्छा रुझान मिल रहा है. बच्चे दो साल से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे, वे ऑफलाइन की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं. अब कोई बाध्यता नहीं है, पूरी तरह से ऑफलाइन खुल चुका है. कोटा शहर के लिए अच्छा रुझान शुरू हो चुका है. नए बच्चों की बात करें तो अभी तक 50 से 60 हजार बच्चे आ चुके हैं. वहीं 50 हजार बच्चे पहले से हैं. ऐसे में करीब 1 लाख बच्चे कोटा में मौजूद हैं. ये हॉस्टल में रह रहे हैं. ऐसे में हॉस्टल करीब 75 फ़ीसदी अभी से ही फुल है.

पढ़ें. Kota Education City: कोटा बनी इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस की टॉपर्स फैक्ट्री, 21 सालों में दिए 16 ऑल इंडिया टॉपर्स

कोटा. कोचिंग हब के तौर पर मशहूर कोटा के कोचिंग संस्थानों में नए सत्र के लिए एडमिशन शुरू (Admission in Kota coaching) हो गए हैं और यहां स्टूडेंट्स की भीड़ लगने लगी है. ऐसे में अभी तक करीब 90 हजार विद्यार्थियों ने एडमिशन ले लिए हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल वर्ष 2019 का रिकॉर्ड टूट जाएगा. बता दें कि कोटा की कोचिंग संस्थानों में इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षाओं की पढ़ाई होती है.

उम्मीद जताई जा रही है कि नए सत्र में करीब दो लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने के लिए कोटा आएंगे. इस बार बीते 2 सालों से कोविड-19 की मार झेल रही कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री को बूम मिलेगा. साथ ही कोटा का लोकल बिजनेस भी बढे़गा. इस बार कोटा कोचिंग की इकोनॉमी बढ़कर 6000 करोड़ से ऊपर जा सकती है. उम्मीद जताई जा रही है कि 2 लाख बच्चे कोटा पहुंचेंगे और इन बच्चों का पूरे साल में खर्चा करीब ढाई से तीन लाख रुपये होता है. यह राशि फुटकर व्यापारियों से लेकर हॉस्टल, कोचिंग, मेस और पीजी मालिक और स्थानीय दुकानदारों तक पहुंचती है.

कोटा के कोचिंग संस्थानों में एडमिशन पर खास रिपोर्ट

एक लाख लोग ले रहे हैं रोजगार, बढ़ेगा बिजनेसः एक अनुमान के मुताबिक कोटा कोचिंग इंडस्ट्री से करीब 1 लाख लोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार ले रहे हैं. इनमें कोचिंग, मैस, हॉस्टल और पीजी में काम करने वाले लोग शामिल हैं. इसके अलावा स्टेशनरी की दुकान से लॉन्ड्री, फुटकर खाने-पीने की दुकानों से लेकर बड़े रेस्टोरेंट और मॉल तक भी शामिल हैं. एंटरटेनमेंट के लिए भी काफी सुविधाएं बच्चों को कोटा में उपलब्ध हैं. जिसमें बड़ी राशि इन बच्चों की खर्च होती है. इसके अलावा पीजी व हॉस्टल रेंटल की आमदनी भी बड़ी मात्रा में कोटा को मिलती है. यहां तक कि परिवहन के साधनों में ऑटो-टैक्सी सहित कई संसाधन यहां पर मौजूद हैं. कोविड-19 के चलते यह सभी लोग संकट में थे, यहां तक कि कई दुकानें ऐसी थी जो कि किराया नहीं चुकाने के चलते खाली हो गई थी.

रोजगार बढ़ने के साथ में कोटा नई ऊंचाइयों को छुएगाः कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि कोटा के कोचिंग संस्थानों में बड़ी संख्या में एडमिशन हो रहे हैं. अधिकांश बच्चे हॉस्टल में ही रहने के लिए आ रहे हैं. आने वाले समय में बोर्ड परीक्षा खत्म होगी. जिसके बाद रुझान कोटा में रहेगा. उन्होंने कहा कि कोटा के सभी हॉस्टल मेरे हिसाब से फुल हो जाएंगे. कोटा शहर में करीब दो से सवा दो लाख रूम हैं. उम्मीद है कि 2 लाख बच्चे कोटा में पहुंच जाएंगे. कोविड-19 के दौर में पटरी से उतरी कोटा की इकोनॉमी को संबल मिलेगा. यह बच्चे जो राशि कोटा में खर्च करते हैं, उससे निश्चित तौर पर कोटा में रोजगार के संसाधन बढ़ेंगे.

बिहार और उत्तर प्रदेश के विद्यार्थियों का रुझान ज्यादाः कोटा आने वाले छात्रों में अधिकांश बिहार, उत्तर प्रदेश के होते हैं. इनके बाद में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक के बच्चे आते हैं. करीब 25 हजार बच्चे राजस्थान के भी होते हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि अभी बोर्ड की परीक्षा में देर है. इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम भी जुलाई और सितंबर महीने में होने जा रहे हैं. ऐसे में अगस्त सितंबर तक बैच कोचिंग संस्थाओं में शुरू होंगे. इसके अलावा इन परीक्षाओं में बैठने वाले ऐसे विद्यार्थी जिनका चयन नहीं होता और रिपीटर विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में आएंगे. इसी के चलते बच्चों के आने का क्रम भी जारी रहेगा.

पैरेंट्स और बच्चों का पॉजिटिव माहौलः कोटा के निजी कोचिंग के वाइस प्रेसिडेंट विजय सोनी का मानना है कि अभी सिनेरियो दिख रहा है. उसके अनुसार यह बोल सकते हैं कि 2 साल जो कोविड-19 का निकला है. इसके बाद बच्चों में काफी पॉजिटिव माहौल कोटा को लेकर है. यहां पर बच्चे ऑफलाइन क्लासेज करने के लिए पहुंच रहे हैं. हम लोग अभी बच्चों के ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं. पैरंट्स भी काफी जोश में भी यहां पर आकर अपने बच्चों को छोड़कर जा रहे हैं. वाइस प्रेसिडेंट का मानना है कि ऑनलाइन पढ़ना बच्चों के लिए इंटरेस्टिंग नहीं बन पाया है. जब फेस टू फेस बच्चा ऑफलाइन क्लास रूम में पड़ता है, तब बच्चे का एनर्जी लेवल काफी हाई होता है. कंपीटेटिव एनवायरनमेंट भी यहां होता है. इसी कारण देश भर से बच्चे भारत में आते हैं.

ऑनलाइन पढ़ाई से बोर हो गए थे बच्चेः निजी कोचिंग इंस्टिट्यूट के मैथमेटिक्स के एचओडी आयुष गोयल का कहना है कि कोटा में जो बच्चों का इनफ्लो आ रहा है. उनमें 11वीं कक्षा पढ़ चुके विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में हैं. इन बच्चों की डिमांड है कि उन्हें 11वीं का सिलेबस दोबारा से बढ़ाया जाए. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार बड़ी संख्या में आईआईटी और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए स्टूडेंट्स कोटा पहुंचेंगे.

अभी से फुल है 75 फ़ीसदी हॉस्टलः हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि काफी अच्छा रुझान मिल रहा है. बच्चे दो साल से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे, वे ऑफलाइन की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं. अब कोई बाध्यता नहीं है, पूरी तरह से ऑफलाइन खुल चुका है. कोटा शहर के लिए अच्छा रुझान शुरू हो चुका है. नए बच्चों की बात करें तो अभी तक 50 से 60 हजार बच्चे आ चुके हैं. वहीं 50 हजार बच्चे पहले से हैं. ऐसे में करीब 1 लाख बच्चे कोटा में मौजूद हैं. ये हॉस्टल में रह रहे हैं. ऐसे में हॉस्टल करीब 75 फ़ीसदी अभी से ही फुल है.

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