गढ़वाः एक ऐसा मंदिर जहां स्थापित प्रतिमा की आंखों में ऐसा तेज जो आपके मन को मोह ले, उसे जिधर से देखो लगे साक्षात भगवान आप को ही देख रहे हैं. हम बात कर रहे हैं झारखंड की राजधानी रांची से करीब 250 किलोमीटर दूर गढ़वा के बंशीधर मंदिर(Banshidhar Temple of Garhwa) की. यह मंदिर झारखंड यूपी सीमा पर नगर उंटारी जिसे हम बंशीधर नगर के नाम से भी जानते हैं वहां स्थित है. बंशीधर मंदिर में 32 मन (1280 किलो) शुद्ध सोने की भगवान कृष्ण की प्रतिमा( Statue of Lord Krishna) है. जिसके दर्शन के लिए देश भर से लोग पंहुचते है.
बंशीधर नगर को योगेश्वर भूमि और दूसरा मथुरा वृंदावन कहा जाता है. बंशीधर मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति ( Statue of Lord Krishna)की कीमत करीब 2500 करोड़ रुपये हैं. कहा जाता है कि बंशीधर मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की प्रतिमा( Statue of Lord Krishna) विश्व में ऐसी पहली प्रतिमा है जो ठोस 32 मन सोने की बनी हुई है. मंदिर संचालन समिति से जुड़े हुए धीरेंद्र चौबे ने बताया कि भगवान कृष्ण की आंखें अलौकिक हैं. यह नौका के समान है, आप जिधर से भी देखें लगेगा कि भगवान आपको देख रहे हैं. वे बताते हैं कि भगवान अपनी इच्छानुसार यहां विराजमान हुए हैं. शायद यह पहला मामला है जहां पहले से प्रतिमा स्थापित हुई है. उसके बाद मंदिर बनाया गया है.
मुगल काल में पहाड़ पर छुपाई गई थी भगवान कृष्ण की प्रतिमाः ऐसी मान्यता है कि बंशीधर मंदिर (Banshidhar Temple of Garhwa) में भगवान कृष्ण के दर्शन के बाद सारी मनोकामना पूर्ण होती है. बंशीधर मंदिर (Banshidhar Temple of Garhwa) से जुड़ी यह भी कहानी है कि मुगल काल में आक्रमणकारियों से बचने के लिए किसी अज्ञात राजा ने मंदिर की इस प्रतिमा को छुपा दिया था. मंदिर के पुजारी हरेंद्र पंडित ने बताया कि शिवाजी काल में अज्ञात राजा ने पहाड़ी में इस प्रतिमा को छुपाया था. उन्होंने बताया कि राजमाता को स्वप्न आया था, जिसके बाद इस प्रतिमा को बरामद कर स्थापित किया गया है.
कैसे पंहुचा जा सकता है बंशीधर नगरः बंशीधर मंदिर(Banshidhar Temple of Garhwa) झारखंड की राजधानी रांची से करीब 250 किलोमीटर दूर है. बंशीधर नगर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है. जबकि जिला मुख्यालय गढ़वा से लगभग 40 किलोमीटर दूर है. बंशीधर नगर से वाराणसी की दूरी 180 किलोमीटर, जबकि बिहार की राजधानी पटना से 275 किलोमीटर दूर है. यह इलाका छत्तीसगढ़ के सरगुजा से सटा हुआ है.