जयपुर. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के सुपर स्पेशलिटी सेंटर (Skin Bank In SMS Hospital) में उत्तर भारत का पहला स्कीन बैंक बनकर तैयार हो चुका है और मरीजों के लिए इसे आज से शुरू कर दिया (Skin Bank In Rajasthan) गया है. खास बात ये है कि स्किन बैंक में 3 से 5 साल तक स्किन सुरक्षित रह सकेगी. एसएमएस अस्पताल के सुपर स्पेशलिटी सेंटर में तैयार किए गए इस बैंक में किसी भी हादसे में झुलसे मरीज को स्किन ट्रांसप्लांट कर नई जिंदगी दी जा सकेगी.
शनिवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज सुपर स्पेशलिटी सेंटर में बनाए गए स्किन बैंक का उद्घाटन करने मुख्य सचिव उषा शर्मा पहुंचीं और इस दौरान किस तरह मरीजों की स्किन को सुरक्षित रखा जा सकेगा और किस तरह बर्न मरीजों की जान बचाई जा सकेगी इसकी जानकारी भी ली. इस मौके पर आरयूएचएस के वीसी डॉ सुधीर भंडारी ने कहा यह खुशी की बात है कि जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक खोला गया है और इस स्किन बैंक के माध्यम से बर्न मरीजों को एक नया जीवनदान दिया जा सकेगा.
अस्पताल चिकित्सक उत्साहित और खुश हैं. प्लास्टिक सर्जरी विभाग के यूनिट हेड और स्किन बैंक के नोडल ऑफिसर डॉक्टर राकेश जैन का कहना है कि लंबे समय से स्किन बैंक (Skin Bank In Jaipur) को बनाने की कवायद चल रही थी. अब वो इंतजार खत्म हुआ है. आखिरकार सुपर स्पेशलिटी सेंटर में स्कीन इंप्लांटेशन यूनिट को शुरू किया जा रहा है. तमाम तरह के उपकरण जो किसी भी स्किन बैंक में काम आते हैं उन्हें इंस्टॉल किया जा चुका है. जहां करीब -20 से -70 डिग्री तक स्किन को 3 से 5 साल तक सुरक्षित रखा जा सकेगा.
दरअसल लंबे समय से जगह और उपकरणों की कमी के कारण इस स्कीन बैंक को शुरू नहीं किया जा सका था लेकिन अब रोटरी क्लब के माध्यम से संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. डॉक्टर जैन का कहना है कि हर साल बड़ी संख्या में अस्पताल में ऐसे मरीज आते हैं जो किसी न किसी हादसे में झुलस चुके होते हैं. इन मरीजों में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है. ऐसे में मरीजों की जान बचाना काफी मुश्किल होता है. उस सूरत में स्किन ट्रांसप्लांट की एकमात्र उपाय है और अब यह सुविधा भी SMS अस्पताल में उपलब्ध होगी.
पढ़ें-Facilities in SMS Hospital: SMS अस्पताल की इमरजेंसी होगी हाईटेक, अब मिलेंगी ये सुविधाएं...
ब्रेन डेड मरीज से ली जाएगी स्किन: डॉक्टर जैन का कहना है कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट के माध्यम से कई मरीजों की जान बचाई जाती है. ये ऑर्गन आमतौर पर ब्रेनडेड मरीज से लिए जाते हैं. इसी तरह अब ब्रेन डेड मरीज की स्किन भी उपयोग में लाई जा सकेगी और स्किन बैंक के माध्यम से त्वचा को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा. फिर जरूरत के मुताबिक मरीज को स्किन लगाई जा सकेगी. इस प्रोसेस में ब्रेन डेड मरीज के हाथ और पैरों से स्किन ली जाएगी. पिछले कुछ समय से ऑर्गन डोनेशन से जुड़े मामलों में काफी वृद्धि देखने को मिली है. इसे देखते हुए चिकित्सा विभाग की ओर से अजमेर, उदयपुर, बीकानेर, कोटा मेडिकल कॉलेज में ऑर्गन ट्रांसप्लांट रिट्रिवल सेंटर (Organ Transplant Retrieval Center) भी बनाया गया है.
संक्रमण फैलने से होती है मौत: डॉ राकेश जैन का कहना है कि कई बार हादसों के दौरान मरीज का शरीर 40 से 50 फ़ीसदी तक झुलस जाता है. ऐसे में मरीज के शरीर से प्रोटीन लॉस और इलेक्ट्रोलाइट फ्लूड की कमी होने लगती है. इस लॉस के बाद धीरे धीरे मरीज के शरीर में संक्रमण फैलना शुरू होता है और इस संक्रमण के कारण अधिकतर मरीजों की जान चली जाती है लेकिन अब स्किन बैंक के माध्यम से ऐसे मरीजों को स्किन उपलब्ध कराई जा सकेगी.