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राहुल के पंजाब दौरे से क्या 'माझा-दोआब' में कांग्रेस को होगा लाभ ? - राहुल के माझा-दोआब दौरे का क्या है राजनीतिक संदेश

चुनाव की घोषणा होने के बाद पहली बार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पंजाब गए. उनके इस दौरे का फोकस माझा और दोआब क्षेत्र था. 2017 में यहां की 48 सीटों में से कांग्रेस ने 37 सीटें जीती थीं. लेकिन इस बार कांग्रेस आंतरिक गुटबाजी और उम्मीदवारों के चयन को लेकर अंसतोष का सामना कर रही है. राहुल का यह (अमृतसर) दौरा किस हद तक कांग्रेस को फायदा पहुंचा पाएगा, पढ़िए एक विश्लेषण.

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राहुल गांधी का पंजाब दौरा
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Published : Jan 27, 2022, 10:55 PM IST

चंडीगढ़ : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को पंजाब पहुंचे. चुनाव की घोषणा के बाद राहुल का यह पहला पंजाब दौरा था. उनकी यात्रा का मुख्य फोकस माझा और दोआब क्षेत्र था. हालांकि, उनके दौरे के दौरान पार्टी के पांच सांसद नदारद रहे. इसके बाद लोग ये सवाल पूछने लगे हैं कि क्या इससे कांग्रेस को फायदा पहुंचेगा या नहीं.

राहुल के साथ मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू मौजूद थे. जो सांसद गैर हाजिर रहे, वे हैं- जसबीर सिंह डिंपा, रवणीत सिंह बिट्टू, मनीष तिवारी, मोहम्मद सादिक और प्रणीत कौर. हालांकि, इन सांसदों ने कहा कि उन्हें राहुल की यात्रा का आमंत्रण नहीं भेजा गया था. ऐसे में राहुल के अमृतसर दौरे का और अधिक महत्व बढ़ जाता है. अकाली दल ने सिद्धू के खिलाफ विक्रमजीत सिंह मजीठिया को मैदान में उतारा है.

कांग्रेस के खिलाफ भड़क रहीं भावनाएं

माझा और दोआब इलाके में कांग्रेस के खिलाफ भावनाएं भड़क रहीं हैं. कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह ने खुलेआम विरोध कर रखा है. उन्होंने अपने बेटे के लिए सुल्तानपुर से टिकट की मांग की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इसी तरह बटाला सीट से तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने अपने बेटे के लिए टिकट की उम्मीद लगा रखी थी. उन्होंने भी विद्रोही रूख अपना रखा है. फतेह जंग सिंह बाजवा पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं. हरगोबिंदपुर से विधायक बलविंदर सिंह लडी ने भी पार्टी छोड़ी, पर वे तुरंत ही पार्टी में लौट आए, इसके बावजूद उन्हें टिकट नहीं दिया गया. राणा गुरजीत सिंह ने भोलाथ विधायक सुखपाल खैरा के खिलाफ सोनिया गांधी तक को पत्र लिख डाला. उन्होंने खैरा को पार्टी से निष्कासित करने की मांग की है. कांग्रेस के सामने ऐसी ही कई चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं.

अकाली दल को मिल रही बढ़त

माझा में अकाली दल की स्थिति मजबूत होती हुई दिख रही है. अकाली दल ने गुरदासपुर के सुचा सिंह छोटेपुर को पार्टी में शामिल किया. उसके बाद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा को पार्टी में दोबारा शामिल करवाया. मजीठिया को सिद्धू के खिलाफ उतारने की घोषणा कर दी. इससे अमृतसर पूर्व की सीट चर्चा में आ गई है. ऐसे में कांग्रेस सांसद डिंपा का राहुल के दौरे से गैर हाजिर होना, बहुत कुछ संदेश दे जा रहा है. डिंपा माझा के ताकतवर नेता माने जाते हैं.

2017 से माझा और दोआब क्षेत्र में कांग्रेस मजबूत रही है. माझा मुख्य रूप से शिरोमणि अकाली दल और पंथिक एरिया रहा है. 2017 में कांग्रेस यहां पर 22 सीट जीत गई थी. कुल 25 सीटें यहां पर हैं. इस बार कांग्रेस ने कई उम्मीदवारों के टिकट काट दिए हैं. इसी तरह से दोआब की 23 सीटों में से 15 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं थीं. यहां यह भी बता दें कि पंजाब में कहा जाता है कि सत्ता का रास्ता 'मालवा' से होकर गुजरता है. लेकिन माझा और दोआब इलाके की ताकत को मिला देंगे, तो आप इसे कभी भी नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे. इन दोनों इलाकों को मिला दें, तो 48 सीटें हैं.

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राहुल गांधी का पंजाब दौरा

पूरे पंजाब पर पड़ेगा असर

राहुल के पहले पंजाब दौरे का असर जाहिर है पूरे राज्य पर पड़ेगा. यहां तक कि मालवा में भी. इसे 'गेटवे ऑफ पावर टू पंजाब' कहा जाता है. वैसे, राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री के तौर पर किसी का भी नाम प्रोजेक्ट नहीं किया है, लेकिन यह इशारा जरूर किया है कि वे आने वाले समय में सीएम फेस के नाम पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. उनके इस बयान का राज्य की राजनीति पर असर पड़ना तय है. क्योंकि आप और शिरोमणि अकाली दल ने अपनी-अपनी ओर से सीएम उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. अब सबकी निगाहें राहुल की ओर टिकी हैं. आखिर कांग्रेस किसका नाम आगे करती है.

चन्नी वर्सेस सिद्धू

पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच खींचतान चल रही है. दोनों ही नेता अपने आप को सीएम उम्मीदवार मान रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस दो धड़ों में बंटती हुई नजर आ रही है. कांग्रेस नहीं चाहती है कि इस तरह की खेमेबाजी हो. कोई दुविधा रहे. आखिरकार चुनाव किसी न किसी के नेतृत्व में ही लड़ा जाता है. यहां यह भी बताना जरूरी है कि चुनाव की घोषणा से पहले कांग्रेस नेतृत्व ने चन्नी, सिद्धू और प्रचार समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के संयुक्त नेतृत्व में लड़ने की बात कही थी.

पार्टी ने अधिकांश सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. कुछ सीटों पर नामों की घोषणा होनी है. आठ सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हुए हैं. चर्चा है कि राहुल अपने सभी 117 उम्मीदवारों के साथ अमृतसर का दौरा करेंगे. कब करेंगे, अभी तारीख की घोषणा नहीं की गई है.

राहुल ने अमृतसर के दरबार साहिब में मत्था टेका. उसके बाद जलियांवाला बाग स्थित शहीद मेमोरियल गए. उन्होंने राम तीरथ मंदिर में भी पूजा अर्चना की. इन तीनों दौरों का अलग-अलग संदेश है. राम तीरथ सिंह मंदिर में जाने का मतलब है कि राहुल गांधी वहां के दलित मतदाताओं को सीधा संदेश देना चाहते हैं. इसी तरह से दरबार साहिब के दौरे का अलग संदेश है.

भाजपा नेता मंजिंदर सिंर सिरसा ने राहुल गांधी के हरमंदिर साहिब दौरे को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार का उल्लेख कर पूछा, कहीं दरबार साहिब में आपको गोलियों के निशान मिले या नहीं. क्या आपने उनकी चीखें और खूनी खेल को महसूस किया, अगर ऐसा होता तो आप जरूर शर्मिंदा होते और उन परिवारों से माफी मांगते.

ये भी पढे़ं : पंजाब की सत्ता के पांच दावेदार, मगर जीतेगा वही, जो जीतेगा मालवा

चंडीगढ़ : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को पंजाब पहुंचे. चुनाव की घोषणा के बाद राहुल का यह पहला पंजाब दौरा था. उनकी यात्रा का मुख्य फोकस माझा और दोआब क्षेत्र था. हालांकि, उनके दौरे के दौरान पार्टी के पांच सांसद नदारद रहे. इसके बाद लोग ये सवाल पूछने लगे हैं कि क्या इससे कांग्रेस को फायदा पहुंचेगा या नहीं.

राहुल के साथ मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू मौजूद थे. जो सांसद गैर हाजिर रहे, वे हैं- जसबीर सिंह डिंपा, रवणीत सिंह बिट्टू, मनीष तिवारी, मोहम्मद सादिक और प्रणीत कौर. हालांकि, इन सांसदों ने कहा कि उन्हें राहुल की यात्रा का आमंत्रण नहीं भेजा गया था. ऐसे में राहुल के अमृतसर दौरे का और अधिक महत्व बढ़ जाता है. अकाली दल ने सिद्धू के खिलाफ विक्रमजीत सिंह मजीठिया को मैदान में उतारा है.

कांग्रेस के खिलाफ भड़क रहीं भावनाएं

माझा और दोआब इलाके में कांग्रेस के खिलाफ भावनाएं भड़क रहीं हैं. कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह ने खुलेआम विरोध कर रखा है. उन्होंने अपने बेटे के लिए सुल्तानपुर से टिकट की मांग की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इसी तरह बटाला सीट से तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने अपने बेटे के लिए टिकट की उम्मीद लगा रखी थी. उन्होंने भी विद्रोही रूख अपना रखा है. फतेह जंग सिंह बाजवा पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं. हरगोबिंदपुर से विधायक बलविंदर सिंह लडी ने भी पार्टी छोड़ी, पर वे तुरंत ही पार्टी में लौट आए, इसके बावजूद उन्हें टिकट नहीं दिया गया. राणा गुरजीत सिंह ने भोलाथ विधायक सुखपाल खैरा के खिलाफ सोनिया गांधी तक को पत्र लिख डाला. उन्होंने खैरा को पार्टी से निष्कासित करने की मांग की है. कांग्रेस के सामने ऐसी ही कई चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं.

अकाली दल को मिल रही बढ़त

माझा में अकाली दल की स्थिति मजबूत होती हुई दिख रही है. अकाली दल ने गुरदासपुर के सुचा सिंह छोटेपुर को पार्टी में शामिल किया. उसके बाद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा को पार्टी में दोबारा शामिल करवाया. मजीठिया को सिद्धू के खिलाफ उतारने की घोषणा कर दी. इससे अमृतसर पूर्व की सीट चर्चा में आ गई है. ऐसे में कांग्रेस सांसद डिंपा का राहुल के दौरे से गैर हाजिर होना, बहुत कुछ संदेश दे जा रहा है. डिंपा माझा के ताकतवर नेता माने जाते हैं.

2017 से माझा और दोआब क्षेत्र में कांग्रेस मजबूत रही है. माझा मुख्य रूप से शिरोमणि अकाली दल और पंथिक एरिया रहा है. 2017 में कांग्रेस यहां पर 22 सीट जीत गई थी. कुल 25 सीटें यहां पर हैं. इस बार कांग्रेस ने कई उम्मीदवारों के टिकट काट दिए हैं. इसी तरह से दोआब की 23 सीटों में से 15 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं थीं. यहां यह भी बता दें कि पंजाब में कहा जाता है कि सत्ता का रास्ता 'मालवा' से होकर गुजरता है. लेकिन माझा और दोआब इलाके की ताकत को मिला देंगे, तो आप इसे कभी भी नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे. इन दोनों इलाकों को मिला दें, तो 48 सीटें हैं.

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राहुल गांधी का पंजाब दौरा

पूरे पंजाब पर पड़ेगा असर

राहुल के पहले पंजाब दौरे का असर जाहिर है पूरे राज्य पर पड़ेगा. यहां तक कि मालवा में भी. इसे 'गेटवे ऑफ पावर टू पंजाब' कहा जाता है. वैसे, राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री के तौर पर किसी का भी नाम प्रोजेक्ट नहीं किया है, लेकिन यह इशारा जरूर किया है कि वे आने वाले समय में सीएम फेस के नाम पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. उनके इस बयान का राज्य की राजनीति पर असर पड़ना तय है. क्योंकि आप और शिरोमणि अकाली दल ने अपनी-अपनी ओर से सीएम उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. अब सबकी निगाहें राहुल की ओर टिकी हैं. आखिर कांग्रेस किसका नाम आगे करती है.

चन्नी वर्सेस सिद्धू

पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच खींचतान चल रही है. दोनों ही नेता अपने आप को सीएम उम्मीदवार मान रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस दो धड़ों में बंटती हुई नजर आ रही है. कांग्रेस नहीं चाहती है कि इस तरह की खेमेबाजी हो. कोई दुविधा रहे. आखिरकार चुनाव किसी न किसी के नेतृत्व में ही लड़ा जाता है. यहां यह भी बताना जरूरी है कि चुनाव की घोषणा से पहले कांग्रेस नेतृत्व ने चन्नी, सिद्धू और प्रचार समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के संयुक्त नेतृत्व में लड़ने की बात कही थी.

पार्टी ने अधिकांश सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. कुछ सीटों पर नामों की घोषणा होनी है. आठ सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हुए हैं. चर्चा है कि राहुल अपने सभी 117 उम्मीदवारों के साथ अमृतसर का दौरा करेंगे. कब करेंगे, अभी तारीख की घोषणा नहीं की गई है.

राहुल ने अमृतसर के दरबार साहिब में मत्था टेका. उसके बाद जलियांवाला बाग स्थित शहीद मेमोरियल गए. उन्होंने राम तीरथ मंदिर में भी पूजा अर्चना की. इन तीनों दौरों का अलग-अलग संदेश है. राम तीरथ सिंह मंदिर में जाने का मतलब है कि राहुल गांधी वहां के दलित मतदाताओं को सीधा संदेश देना चाहते हैं. इसी तरह से दरबार साहिब के दौरे का अलग संदेश है.

भाजपा नेता मंजिंदर सिंर सिरसा ने राहुल गांधी के हरमंदिर साहिब दौरे को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार का उल्लेख कर पूछा, कहीं दरबार साहिब में आपको गोलियों के निशान मिले या नहीं. क्या आपने उनकी चीखें और खूनी खेल को महसूस किया, अगर ऐसा होता तो आप जरूर शर्मिंदा होते और उन परिवारों से माफी मांगते.

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