मुंबई: महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी को अन्य सामान्य अपराधों की तरह ही कार्रवाई बताया गया है. साथ ही कहा गया है कि कानून सभी के लिए बराबर है, यह राज्य की पुलिस ने दिखा दिया है. साथ ही कहा गया है कि इस तरह के अपराध इधर-उधर होते रहते हैं. इसमें कोई किसी को धमकी देता है तो कोई जान से मारने की बात कहता है. इस पर फरियादी भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध दर्ज कराता है और आगे पुलिस अपना काम करती है. राणे के मामले में भी अलग कुछ नहीं हुआ है.
राणे को पुलिस द्वारा पकड़ने के बाद राज्य में अफगानिस्तान की तालिबानी सत्ता होने की बात कहना, यह राज्य का अपमान है. संपादकीय में कहा गया है कि फडणवीस व अन्य को क्या राणे खान अब्दुल गफ्फार खान लग रहे हैं? कानून के रास्ते पर चल रहे राज्य को तोड़ने के लिए उनका यह प्रयास है.
यह राज्य जितना आज सत्ताधारी पक्ष का है, उतना ही वह विरोधी पक्ष का भी है. इसलिए राणे की गिरफ्तारी के बाद भाजपा वालों को परेशान होने का कोई कारण नहीं था. साथ ही भाजपा के फौजदारी वकीलों को राणे के धमकीवाले बयान का अध्ययन करना जरूरी है. चंद्रकांत पाटिल से यह उम्मीद नहीं थी. मुल्ला उमर जैसे लोग भाजपा में आ जाएं तो पार्टी के नेता उनके समर्थन में खड़े हो जाएंगे. इसलिए यह जिम्मेदारी भाजपा के वरिष्ठों पर है.
सामना के संपादकीय में राज्य के राजनीतिक वातावरण की स्वच्छता के लिए कार्यकर्ताओं का आह्वान किया गया है. इसके साथ ही कहा गया है कि राणे को खुद को महान समझना बंद कर देने पर उनके जीवन की कई समस्याएं ठीक हो जाएंगी वहीं उनके संक्रमण से भाजपा भी बच जाएगी. साथ ही कहा गया है प्रधानमंत्री मोदी खुद को फकीर समझते हैं और राणे महान. संपदकीय में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि यदि इस अंतर को समझ लें तो राणे केंद्रीय मंत्रिमंडल में कुछ ही दिन के मेहमान हैं.
इसके अलावा राणे के गिरफ्तार होने और उसके बाद सड़कों पर हंगामा होने, कार्यकर्ताओं से संघर्ष, कार्यालय पर हमला आदि आज तक कभी नहीं हुआ. इसके लिए राणे और उनकी तरफदारी करने वालों को जिम्मेदार बताया गया है. शिवसेना-भाजपा में अब तक विवादों के कई मामले हुए हैं लेकिन ऐसे मामले कभी नहीं हुए.
संपादकीय में लिखते हुए शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट्र में तालिबानी जैसा राज्य शुरू है क्या? जैसे सवाल विरोधी पार्टियों द्वारा करना निरर्थक है. वहीं फडणवीस के बयान कि राणे ने मुख्यमंत्री को मारने का जो बयान दिया है उससे हम सहमत नहीं हैं लेकिन राणे पर की गई कार्रवाई उचित नहीं है पर सवालिया निशान लगाया है. साथ ही कहा गया है कि कुछ समय तक वकालत (फौजदारी) करने वाले फडणवीस से यह उम्मीद नहीं है.
संपादकीय में इस बात पर भी सवाल उठाया गया है कि राणे और लाड कब से हिंदुत्ववादी हो गए?. साथ ही कहा है कि राणे और उनके बच्चे मुख्यमंत्री से लेकर अन्य सभी वरिष्ठों तक का उल्लेख गैर सम्मान व गंदी भाषा में करते हैं. यही उनकी संस्कृति है. संपादकीय में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कुछ लोग कह रहे हैं कि राणे को भोज की थाली से उठाया गया और गिरफ्तार किया गया, लेकिन कानून और पुलिस के साथ सहयोग किया गया होता ऐसी स्थिति ही नहीं आती.