रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल ऑडिटोरियम में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने विशाल धर्मसभा को संबोधित किया. धर्मसभा में उन्होंने कहा कि "भारत अगले साढ़े तीन साल में हिंदू राष्ट्र बन जाएगा. विभाजन के बाद का भारत मानवाधिकार की सीमा में, हिन्दू राष्ट्र के रूप में, घोषित न करना शासन व राजनीतिक दलों की दिशाहीनता है". अपनी बात को एक बार फिर दोहराते हुए उन्होंने कहा कि "हमने सोच-समझकर ही कहा है कि साढ़े तीन वर्षों में भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा. आप समीक्षा कीजिए, देखते रहिए, सहभागिता का परिचय दीजिए".
(Shankaracharya Swami Nischalanand Saraswati in Raipur )
रायपुर में धर्मसभा में बोले शंकराचार्य: राष्ट्रोत्कर्ष अभियान पर निकले ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्धन मठ जगन्नाथपुरी के पीठाधीश्वर जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने गुरुवार को राजधानी के पंडित दीनदयाल ऑडिटोरियम में धर्म सभा को संबोधित किया. राजनेताओं पर भी तीखी टिप्पणी की और कहा कि भारत में नेता, धर्म और नीति को नहीं समझते. देश में राजनेताओं की कमी नहीं है लेकिन राजनीति की परिभाषा से वे परिचित नहीं हैं. जिन राजनेताओं को राजनीति की परिभाषा का भी ज्ञान नहीं है, उनसे हम क्या आशा रख सकते हैं कि वे देश को प्रतिष्ठित, सुरक्षित, संपन्न, सीमा परायण समाज की संरचना करेंगे". (Dharma Sabha in Raipur )
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राजनीति का दूसरा नाम है राजधर्म: स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि "उन्माद का नाम, सत्ता भोग का नाम, फूट डालो राज करो की कूटनीति का नाम राजनीति नहीं है. राजनीति का अर्थ होता है नीतियों में सर्वोत्कृष्ट, जिसके द्वारा व्यक्ति और समाज को सुबुद्ध, स्वावलंबी व सुसंस्कृत बनाया जा सके. उन्माद, अदूरदर्शिता का नाम राजनीति नहीं है. महाभारत, मत्स्यपुराण, अग्नि पुराण में कहा गया है कि राजनीति का दूसरा नाम है राजधर्म. नीति और धर्म पर्यावाची शब्द हैं. हिंदू या सनातनी कौन सा शब्द बेहतर है". (Shankaracharya statement on Hindu Rashtra )
शंकराचार्य महाराज ने बताया कि हिंदू आज कहने लगे हैं, पहले तो सनातनी ही कहते थे. सनातनी, वैदिक, आर्य, हिंदू चारों का प्रयोग कर सकते हैं. हिंद महासागर, हिंदकुट, हिंदी, हिंदू ये सब प्राचीन शब्द हैं. पुराण, ऋगवेद में भी हिंदू शब्द का प्रयोग है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हिंसा कहीं भी हो, हम उसका समर्थन नहीं करते.