नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को न्यायिक अधिकारियों के वेतनमान में संशोधन करने और दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग के प्रस्तावों को 1 जनवरी, 2016 से लागू करने का निर्देश दिया. जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों की सेवा शर्तों की समीक्षा करने के लिए अखिल भारतीय न्यायिक आयोग के गठन के लिए अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना की पीठ ने यह निर्देश दिया.
सीजेआई ने कहा, 'हम अंतहीन इंतजार नहीं करने जा रहे हैं और इसमें 6.5 साल की देरी हो चुकी है. 2016 से वे इंतजार कर रहे हैं. जहां तक वेतनमान का सवाल है, हम इसे लागू कर रहे हैं.' अपने आदेश में, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने केंद्र और राज्यों को तीन किस्तों में अधिकारियों का बकाया चुकाने के लिए कहा. शीर्ष अदालत ने तुरंत वेतन संरचना को संशोधित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि किश्तों को अगले साल 30 जून तक मंजूरी दे दी जानी चाहिए.
शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले 25 प्रतिशत हिस्से को तीन महीने में और अगले 25 प्रतिशत हिस्से को अगले तीन महीनों में दिया जाना चाहिए. पीठ ने यह भी नोट किया कि हालांकि कुछ राज्यों में सरकारी अधिकारियों का भुगतान पांच साल के भीतर और केंद्र सरकार में दस साल में एक बार किया जाता है. वहीं दूसरी ओर न्यायिक अधिकारी राज्य और केंद्र द्वारा गठित वेतन आयोगों के दायरे में नहीं आते हैं.