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जब शरीर में सुई चुभती है तो सारे अंग का ध्यान उसी पर जाता है, समाज में भी ऐसा होना चाहिए : मोहन भागवत

देश में तीसरी बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से राष्ट्रीय सेवा संगम की शुरुआत जयपुर में हुई. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संगम के उद्धाटन पर कहा, हमारी सोच ऊंची होगी तो ऊंचे समाज का निर्माण होगा.

RSS head Mohan Bhagwat
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Published : Apr 7, 2023, 12:03 PM IST

Updated : Apr 7, 2023, 4:59 PM IST

जयपुर में मोहन भागवत

जयपुर. एक वर्ग ऐसा है जिसका नाम ही नहीं, उनका न कार्ड है, न पहचान है, उन्हीं घुमंतू लोगों ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी, कभी हार नहीं मानी. विदेशी शासकों ने उन्हें अपराधी घोषित किया, लेकिन दुर्भाग्य है कि हम लोग उनको आजादी के बाद भूल गए. जब संघ की नजर उन पर पड़ी, तो वहां भी सेवा कार्य करना शुरू कर दिया. यह बात संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सेवा भारती के तीसरे राष्ट्रीय सेवा संगम कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कही.

उन्होंने संतों के साथ मंच को साझा किया. साथ ही कहा कि मिशनरी लोग जितना सेवा कार्य करते हैं, उससे कई गुना अधिक काम दक्षिण के केवल चार प्रांतों के आध्यात्मिक क्षेत्र के संत कर रहे हैं.

स्वयंसेवक पहले से सेवा करते आए हैं
राष्ट्रीय सेवा संगम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक पहले से ही सेवा कार्य करते आए हैं. संघ के मूल बीज के रूप में डॉ हेडगेवार मौजूद हैं. जहां-जहां समाज को आवश्यकता पड़ी, स्वयंसेवकों ने शक्ति, बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सेवा की. उन्होंने कहा कि सेवा की भावना सभी में होती है, लेकिन सोई हुई होती है, जिसे जागरूक करना होता है. ऐसा नहीं है कि देश में सेवा करने वाले संघ के सदस्य पहले हैं, हमारे देश में सेवा का मंत्र पहले से लिया हुआ है. सेवा कार्य के लिए मिशनरियों का उदाहरण दिया जाता है, लेकिन केवल दक्षिण के 4 प्रांतों के साधु-संत मिशनरियों से कई गुना ज्यादा सेवा कार्य कर लेते हैं.

पढ़ें : जयपुर में आज से तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम शुरू, RSS प्रमुख मोहन भागवत करेंगे संबोधित

उन्होंने सेवा को मनुष्य के मनुष्यत्व की स्वाभाविक प्रवृत्ति बताया. भागवत ने कहा कि संवेदना सभी में होती है, लेकिन मनुष्य में जो होती है वो करुणा है. सत्य के बाद करुणा का ही स्थान होता है. जी-20 की तरह सी-20 भी हुआ, हम ग्लोबलाइजेशन की बात करते हैं, करुणा का भी ग्लोबलाइजेशन होना चाहिए. सिर्फ संवेदना से काम नहीं चलता कोई दुखी है, उसे देखकर हमें दुख होता है, तो उस से काम नहीं चलता. भागवत ने सेवा को समरसता का साधन बताते हुए कहा कि हम सभी समाज के अंग हैं, हम सभी से मिलकर समाज है, एक दूसरे के साथ हैं, तभी पूरे होंगे.

यह दिया उदाहरण
मोहन भागवत ने उदाहरण देते हुए समझाया कि जब शरीर में सुई चुभती है तो सारे अंग उसी पर ध्यान देते हैं. समाज में भी ऐसा ही होना चाहिए. समाज का एक अंग यदि उपेक्षित या नीचे स्थान पर है तो कैसे चलेगा? अपने देश को विश्व गुरु बनाना है तो सर्वांगीण विकास जरूरी है. इसके लिए समाज और राष्ट्र का कोई अंग दुर्बल, पिछड़ा, नीचे नहीं रहे, ये संकल्प होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सेवा स्वस्थ समाज को बनाती है और उससे पहले वो हमें स्वस्थ बनाती है. सब को सम्मान देकर अपने जैसा मान कर काम करना चाहिए, हमें जो कुछ मिला उसे समाज को देना है. उन्होंने कहा कि आज जो ले रहा है, वो मजबूरी में ले रहा है, भविष्य में वो भी देने वाला बने ऐसा काम करना है.

पढ़ें. बेणेश्वर धाम पहुंचे आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, मंदिर में किया दर्शन...तीर कमान भेंटकर किया गया स्वागत

संपूर्ण विश्व अभी स्वार्थ के आधार पर चल रहा
उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व अभी स्वार्थ के आधार पर चल रहा है. हम सबको करुणा के आधार पर चलना होगा. इसके लिए भारत को आगे आना होगा. सेवा भारती के सवा लाख कार्यक्रम चल रहे हैं. इससे बहुत लाभ हुआ है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है. अपनी सेवा को सर्वव्यापी बनाना है. संपूर्ण विश्व को वसुधैव कुटुंबकम बनाना है. सब मिलकर एक साथ चलें, इस तरह काम करना होगा. इस दौरान उन्होंने संत उमेशनाथ के संबोधन में कही गई बातों का समर्थन करते हुए, उनकी एक एक बात को सत्य बताते हुए, उसी का विचार कर आगे चलने की बात कही.

संत उमेश नाथ यह बोले...
इससे पहले मंच से संत उमेश नाथ ने कहा कि पत्रकार अपनी कलम और संतों को वाणी से स्वतंत्र होना चाहिए. जब देश में भक्ति अलोप हो रही थी, तो साउथ से एक भक्ति आंदोलन शुरू हुआ, और देश के लोगों को भक्ति आंदोलन से जोड़ा. उन्होंने कहा कि जब बाहरी लोगों को परास्त किया तो भीतरी लोगों ने ही हमारे देश को तोड़ने का काम किया. तब समरसता का एक बड़ा आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें डॉ हेडगेवार, संघ परिवार के सदस्य मोहन भागवत और संघ परिवार ने निरंतर भ्रमण कर संपूर्ण देश में सामाजिक समरसता का काम किया. उन्होंने कहा कि हमारी सोच ऊंची होगी, तो ऊंचे समाज का निर्माण होगा, जब सोच नीची होगी, तो समाज तो नीचा है ही. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में शंख, घड़ी-घंटा, नगाड़े की आवाज बंद हो गई और ध्वनि विस्तारक यंत्र से पांच समय की नमाज की अजान सुनाई देने लगी. देश में शंख बंद हो गए उसी कारण घुसपैठिए आए. जिन्होंने देश में माहौल खराब किया. देश को हमारे ही लोगों की नजर लगी, इन लोगों ने देश को बांटने का काम किया.

पढ़ें. Mohan Bhagwat Controversy : ब्राह्मण समाज को अपमानित करने पर मोहन भागवत माफी मांगें, जयपुर में लगे कई पोस्टर

आखिर में उन्होंने कहा कि हम वंचित परिवार के लोगों को हम गले लगाएं, जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने निषाद और शबरी को गले लगाया. हम सभी परिवारों में जाकर रोटी तो खा लेते हैं, लेकिन जब तक इस पूरे समाज में रोटी और बेटी का व्यवहार लागू नहीं होगा, तब तक इस राष्ट्र में सामाजिक समरसता बहुत मुश्किल काम है. अछूत जाति और व्यक्ति नहीं होते अछूत व्यवस्था होती है. जिसको सुधारने की कोशिश करनी चाहिए. देश से जाति और ऊंच-नीच की भावना के खत्म नहीं होने की वजह से इस देश में लव जिहाद आया है. इसी वजह से आज के कॉलेज के बच्चा- बच्ची लव मैरिज करने को तैयार है, इसलिए आज के रूढ़िवादी लोगों को तमाम रूढ़िवादिता को खत्म करके समाज को गले लगाने का काम करना होगा. इस दौरान उन्होंने 24 में से 4 घंटे समाज सेवा करने की जरूरत बताई.

इससे पहले राष्ट्रीय सेवा संगम के उद्घाटन समारोह में समाजसेवी नरसी कुलारिया ने स्वावलंबी भारत, समृद्ध भारत के रूप में कार्य कर आम लोगों को स्वावलंबी बनाने की बात कही. उन्होंने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए काम करने की बात करते हुए कहा कि वो खुद पीएम मोदी के स्किल इंडिया योजना से जुड़े हुए हैं. कई लोगों को रोजगार देने का काम किया है, लेकिन अब हर वर्ग को स्वावलंबन का संकल्प लेना होगा. वहीं सेवा भारती के राष्ट्रीय सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले ने कहा कि समाज में जो उपेक्षित-वंचित है, वो हमारे अपने हैं. सेवा भारती उनके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में काम कर रहा है. वहीं मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे पीरामल समूह के चेयरमैन अजय पीरामल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हुई उनकी मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें अपनी उम्र बताते हुए कहा था कि वो अपने गांव की सबसे बुजुर्ग महिला है. आदिवासी क्षेत्रों के लोगों की आयु शहरी क्षेत्र के लोगों से अपेक्षाकृत 12 वर्ष कम रहती है. ऐसे में अब उन क्षेत्रों में स्वास्थ्य कार्य करने की जरूरत है, इस दौरान सेवा साधना पत्रिका का भी विमोचन किया गया.

बीजेपी के कई नेता पहुंचेः कार्यक्रम में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, लोकसभा सांसद रामचरण बोहरा, दीया कुमारी, विधायक वासुदेव देवनानी, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी सहित कई बीजेपी कार्यकर्ता और विधानसभाओं में टिकट के दावेदार सेवा संगम में शामिल हुए. इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई अखिल भारतीय स्तर के कार्यकर्ता, प्रचारक, संघचालक और 45 प्रांतों के 800 से ज्यादा स्वैच्छिक सेवा संगठनों के 3000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

जयपुर में मोहन भागवत

जयपुर. एक वर्ग ऐसा है जिसका नाम ही नहीं, उनका न कार्ड है, न पहचान है, उन्हीं घुमंतू लोगों ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी, कभी हार नहीं मानी. विदेशी शासकों ने उन्हें अपराधी घोषित किया, लेकिन दुर्भाग्य है कि हम लोग उनको आजादी के बाद भूल गए. जब संघ की नजर उन पर पड़ी, तो वहां भी सेवा कार्य करना शुरू कर दिया. यह बात संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सेवा भारती के तीसरे राष्ट्रीय सेवा संगम कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कही.

उन्होंने संतों के साथ मंच को साझा किया. साथ ही कहा कि मिशनरी लोग जितना सेवा कार्य करते हैं, उससे कई गुना अधिक काम दक्षिण के केवल चार प्रांतों के आध्यात्मिक क्षेत्र के संत कर रहे हैं.

स्वयंसेवक पहले से सेवा करते आए हैं
राष्ट्रीय सेवा संगम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक पहले से ही सेवा कार्य करते आए हैं. संघ के मूल बीज के रूप में डॉ हेडगेवार मौजूद हैं. जहां-जहां समाज को आवश्यकता पड़ी, स्वयंसेवकों ने शक्ति, बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सेवा की. उन्होंने कहा कि सेवा की भावना सभी में होती है, लेकिन सोई हुई होती है, जिसे जागरूक करना होता है. ऐसा नहीं है कि देश में सेवा करने वाले संघ के सदस्य पहले हैं, हमारे देश में सेवा का मंत्र पहले से लिया हुआ है. सेवा कार्य के लिए मिशनरियों का उदाहरण दिया जाता है, लेकिन केवल दक्षिण के 4 प्रांतों के साधु-संत मिशनरियों से कई गुना ज्यादा सेवा कार्य कर लेते हैं.

पढ़ें : जयपुर में आज से तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम शुरू, RSS प्रमुख मोहन भागवत करेंगे संबोधित

उन्होंने सेवा को मनुष्य के मनुष्यत्व की स्वाभाविक प्रवृत्ति बताया. भागवत ने कहा कि संवेदना सभी में होती है, लेकिन मनुष्य में जो होती है वो करुणा है. सत्य के बाद करुणा का ही स्थान होता है. जी-20 की तरह सी-20 भी हुआ, हम ग्लोबलाइजेशन की बात करते हैं, करुणा का भी ग्लोबलाइजेशन होना चाहिए. सिर्फ संवेदना से काम नहीं चलता कोई दुखी है, उसे देखकर हमें दुख होता है, तो उस से काम नहीं चलता. भागवत ने सेवा को समरसता का साधन बताते हुए कहा कि हम सभी समाज के अंग हैं, हम सभी से मिलकर समाज है, एक दूसरे के साथ हैं, तभी पूरे होंगे.

यह दिया उदाहरण
मोहन भागवत ने उदाहरण देते हुए समझाया कि जब शरीर में सुई चुभती है तो सारे अंग उसी पर ध्यान देते हैं. समाज में भी ऐसा ही होना चाहिए. समाज का एक अंग यदि उपेक्षित या नीचे स्थान पर है तो कैसे चलेगा? अपने देश को विश्व गुरु बनाना है तो सर्वांगीण विकास जरूरी है. इसके लिए समाज और राष्ट्र का कोई अंग दुर्बल, पिछड़ा, नीचे नहीं रहे, ये संकल्प होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सेवा स्वस्थ समाज को बनाती है और उससे पहले वो हमें स्वस्थ बनाती है. सब को सम्मान देकर अपने जैसा मान कर काम करना चाहिए, हमें जो कुछ मिला उसे समाज को देना है. उन्होंने कहा कि आज जो ले रहा है, वो मजबूरी में ले रहा है, भविष्य में वो भी देने वाला बने ऐसा काम करना है.

पढ़ें. बेणेश्वर धाम पहुंचे आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, मंदिर में किया दर्शन...तीर कमान भेंटकर किया गया स्वागत

संपूर्ण विश्व अभी स्वार्थ के आधार पर चल रहा
उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व अभी स्वार्थ के आधार पर चल रहा है. हम सबको करुणा के आधार पर चलना होगा. इसके लिए भारत को आगे आना होगा. सेवा भारती के सवा लाख कार्यक्रम चल रहे हैं. इससे बहुत लाभ हुआ है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है. अपनी सेवा को सर्वव्यापी बनाना है. संपूर्ण विश्व को वसुधैव कुटुंबकम बनाना है. सब मिलकर एक साथ चलें, इस तरह काम करना होगा. इस दौरान उन्होंने संत उमेशनाथ के संबोधन में कही गई बातों का समर्थन करते हुए, उनकी एक एक बात को सत्य बताते हुए, उसी का विचार कर आगे चलने की बात कही.

संत उमेश नाथ यह बोले...
इससे पहले मंच से संत उमेश नाथ ने कहा कि पत्रकार अपनी कलम और संतों को वाणी से स्वतंत्र होना चाहिए. जब देश में भक्ति अलोप हो रही थी, तो साउथ से एक भक्ति आंदोलन शुरू हुआ, और देश के लोगों को भक्ति आंदोलन से जोड़ा. उन्होंने कहा कि जब बाहरी लोगों को परास्त किया तो भीतरी लोगों ने ही हमारे देश को तोड़ने का काम किया. तब समरसता का एक बड़ा आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें डॉ हेडगेवार, संघ परिवार के सदस्य मोहन भागवत और संघ परिवार ने निरंतर भ्रमण कर संपूर्ण देश में सामाजिक समरसता का काम किया. उन्होंने कहा कि हमारी सोच ऊंची होगी, तो ऊंचे समाज का निर्माण होगा, जब सोच नीची होगी, तो समाज तो नीचा है ही. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में शंख, घड़ी-घंटा, नगाड़े की आवाज बंद हो गई और ध्वनि विस्तारक यंत्र से पांच समय की नमाज की अजान सुनाई देने लगी. देश में शंख बंद हो गए उसी कारण घुसपैठिए आए. जिन्होंने देश में माहौल खराब किया. देश को हमारे ही लोगों की नजर लगी, इन लोगों ने देश को बांटने का काम किया.

पढ़ें. Mohan Bhagwat Controversy : ब्राह्मण समाज को अपमानित करने पर मोहन भागवत माफी मांगें, जयपुर में लगे कई पोस्टर

आखिर में उन्होंने कहा कि हम वंचित परिवार के लोगों को हम गले लगाएं, जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने निषाद और शबरी को गले लगाया. हम सभी परिवारों में जाकर रोटी तो खा लेते हैं, लेकिन जब तक इस पूरे समाज में रोटी और बेटी का व्यवहार लागू नहीं होगा, तब तक इस राष्ट्र में सामाजिक समरसता बहुत मुश्किल काम है. अछूत जाति और व्यक्ति नहीं होते अछूत व्यवस्था होती है. जिसको सुधारने की कोशिश करनी चाहिए. देश से जाति और ऊंच-नीच की भावना के खत्म नहीं होने की वजह से इस देश में लव जिहाद आया है. इसी वजह से आज के कॉलेज के बच्चा- बच्ची लव मैरिज करने को तैयार है, इसलिए आज के रूढ़िवादी लोगों को तमाम रूढ़िवादिता को खत्म करके समाज को गले लगाने का काम करना होगा. इस दौरान उन्होंने 24 में से 4 घंटे समाज सेवा करने की जरूरत बताई.

इससे पहले राष्ट्रीय सेवा संगम के उद्घाटन समारोह में समाजसेवी नरसी कुलारिया ने स्वावलंबी भारत, समृद्ध भारत के रूप में कार्य कर आम लोगों को स्वावलंबी बनाने की बात कही. उन्होंने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए काम करने की बात करते हुए कहा कि वो खुद पीएम मोदी के स्किल इंडिया योजना से जुड़े हुए हैं. कई लोगों को रोजगार देने का काम किया है, लेकिन अब हर वर्ग को स्वावलंबन का संकल्प लेना होगा. वहीं सेवा भारती के राष्ट्रीय सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले ने कहा कि समाज में जो उपेक्षित-वंचित है, वो हमारे अपने हैं. सेवा भारती उनके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में काम कर रहा है. वहीं मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे पीरामल समूह के चेयरमैन अजय पीरामल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हुई उनकी मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें अपनी उम्र बताते हुए कहा था कि वो अपने गांव की सबसे बुजुर्ग महिला है. आदिवासी क्षेत्रों के लोगों की आयु शहरी क्षेत्र के लोगों से अपेक्षाकृत 12 वर्ष कम रहती है. ऐसे में अब उन क्षेत्रों में स्वास्थ्य कार्य करने की जरूरत है, इस दौरान सेवा साधना पत्रिका का भी विमोचन किया गया.

बीजेपी के कई नेता पहुंचेः कार्यक्रम में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, लोकसभा सांसद रामचरण बोहरा, दीया कुमारी, विधायक वासुदेव देवनानी, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी सहित कई बीजेपी कार्यकर्ता और विधानसभाओं में टिकट के दावेदार सेवा संगम में शामिल हुए. इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई अखिल भारतीय स्तर के कार्यकर्ता, प्रचारक, संघचालक और 45 प्रांतों के 800 से ज्यादा स्वैच्छिक सेवा संगठनों के 3000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

Last Updated : Apr 7, 2023, 4:59 PM IST
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