नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नीट पीजी (NEET PG) मेडिकल सीटों को लेकर ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया से जुड़ी एक छात्रा को राहत दी है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा छात्रा की उम्मीदवारी खारिज कर दी गई. इस पर अदालत ने एम्स और अन्य नीट पीजी मेडिकल सीटों पर शेष काउंसलिंग राउंड तक छात्रा की उम्मीदवारी पर विचार करने का निर्देश दिया.
शीर्ष अदालत ने कहा कि फैसले की तारीख पर उम्मीदवार को खाली सीटों के लिए विचार किया जाएगा, चाहे वे एससी/एसटी/ओबीसी या अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित हों और जैसे कि विशेष रूप से भूटानी उम्मीदवारों आदि के लिए आरक्षित हों, यदि वे उसके जैसे अन्य उम्मीदवारों द्वारा भरे जा सकें. और यह सुविधा 4 मार्च 2021 से पहले जारी किए गए ओसीआई कार्ड के उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर याचिकाकर्ता के साथ-साथ अन्य उम्मीदवारों के लिए भी खुली होनी चाहिए.
न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने एक सितंबर को दिए गए फैसले में कहा, 'वर्तमान मामले में हालांकि याचिकाकर्ता ने 4 अगस्त 2022 को ओसीआई कार्ड पर भरोसा किया था, तथ्य यह है कि वास्तव में ओसीआई पंजीकरण कार्ड पहली बार 2 नवंबर, 2015 को जारी किया गया था. ऐसी परिस्थितियों में अनुष्का (2023) के फैसले के संदर्भ में ओसीआई कार्ड धारक के लाभ का दावा करने के लिए याचिकाकर्ता की पात्रता निर्विवाद है.
पीठ ने कहा कि इस स्तर पर यानी 19 जून 2023 को उनकी उम्मीदवारी की अस्वीकृति, कानून में समर्थित नहीं है और इसके परिणामस्वरूप उन्हें पीजी मेडिकल सीटों के लिए एम्स और सभी भाग लेने वाले संस्थानों द्वारा शेष काउंसलिंग राउंड में विचार करने का निर्देश दिया जाता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि विचार उन सीटों के संबंध में होगा जो इस फैसले की तारीख तक नहीं भरी गई हैं, चाहे वे एससी/एसटी/ओबीसी या अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित हों और जैसे कि विशेष रूप से भूटानी उम्मीदवारों के लिए निर्धारित हों आदि.
यदि उन्हें उसके जैसे अन्य उम्मीदवारों द्वारा भरा जा सकता है. इसके अलावा, यह सुविधा याचिकाकर्ता के साथ-साथ 04.03.2021 से पहले जारी किए गए ओसीआई कार्ड के उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर अन्य उम्मीदवारों के लिए भी खुली होनी चाहिए और जो नीट परीक्षा (NEET test) में अपने प्रदर्शन और अपनी रैंकिंग को ध्यान में रखते हुए ऐसी काउंसलिंग में भाग ले सकते हैं. शीर्ष अदालत का फैसला पल्लवी की याचिका पर आया, जिन्होंने पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सीट के लिए उम्मीदवारी की अस्वीकृति से व्यथित होकर संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत राहत की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.
लिखित परीक्षा में बैठने की अनुमति दिए जाने और नीट (पीजी) और नीट -सीईटी/2023 के परिणाम घोषित होने के बाद प्रतिवादी ने उसका आवेदन खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता जो एक अमेरिकी नागरिक है. वह 7 मई 2023 को एनईईटी परीक्षा में शामिल हुई थी. और उसके पास OCI कार्ड था. 15 जून को ऑनलाइन मॉक राउंड का रिजल्ट घोषित किया गया था. याचिकाकर्ता को एम्स में बाल चिकित्सा विषय आवंटित किया गया.
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19 जून को अचानक, उन्हें सूचित किया गया कि उन्हें अब ओसीआई उम्मीदवार के रूप में नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिक की श्रेणी में माना जाएगा. चूंकि काउंसलिंग का पहला दौर 23 जून, 2023 को शुरू होने वाला था. याचिकाकर्ता को सूचित किया गया और आरोप लगाया गया कि उसके पास भारतीय नागरिक का दर्जा चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, जिसके विरोध में उसने ऐसा किया और पहले काउंसलिंग दौर में भाग लिया. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि 4 मार्च 2021 की केंद्र सरकार की अधिसूचना के आधार पर स्थिति में बदलाव अनुचित है, क्योंकि उसने शब्द के सभी अर्थों में अपने विकल्पों को जला दिया है या बंद कर दिया है.