जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव खत्म होने और कांग्रेस की हार के बाद निवर्तमान सीएम अशोक गहलोत के OSD लोकेश शर्मा का बड़ा खुलासा किया है. लोकेश शर्मा ने बुधवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि सरकार गिराने की संभावनाओं के बीच सरकार ने कुछ विधायकों के फोन टैप कराए थे. जब 2020 का राजनीतिक संकट आया और सचिन पायलट अपने 18 विधायकों के साथ चले गए थे, तब सरकार ने अपनी मशीनरी को काम में लगाया था. तब हर किसी पर नजर रखी जा रही थी. सब कुछ सर्विलांस पर था.
पहला सवाल : आपने चुनाव हारने के साथ ही अशोक गहलोत के खिलाफ सोशल मीडिया पर लिखना शुरू कर दिया?
जवाब : लोकेश शर्मा ने कहा कि 'मैंने किसी के खिलाफ नहीं लिखा है, न ही किसी के ऊपर आरोप लगाया है. मैंने उन स्थितियों का चिंतन और वर्णन किया है जो स्थितियां बनीं. मैं आहत हूं अचंभित नहीं हूं. हम अपनी सरकार की वापसी नहीं करवा पाए, इसलिए आहत हूं, लेकिन अचंभित इसलिए नहीं हूं क्योंकि इन परिणामों की जानकारी मुझे पहले से थी. पूरे प्रदेश भर में घूम-घूम कर हमने फीडबैक कलेक्ट किए थे. प्रदेश में लगभग 127 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों के हजारों युवाओं के साथ इंटरेक्शन किया. तब पता चला था कि कई विधानसभा क्षेत्रों में स्थानीय विधायकों के खिलाफ आक्रोश था, एंटी इनकंबेंसी थी. आखिरी तक मुख्यमंत्री नकारते रहे कि विधायकों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी नहीं है, लेकिन वह थी. यह फीडबैक सिर्फ अकेला मेरा नहीं था, राजस्थान में कई एजेंसी ने सर्वे किया, लगभग सभी की रिपोर्ट यह थी कि अगर सिटिंग विधायकों के टिकट नहीं काटे गए तो सरकार की वापसी संभव नहीं है. इसके चलते मैंने लिखा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक दायरा बनाया जिसकी वजह से हम सरकार रिपीट नहीं कर पाए.'
दूसरा सवाल : फोन टैपिंग में आपने स्वीकारा कि सचिन पायलट डिप्टी सीएम थे तब उनके फोन टैप हुए ?
जवाब : 'मैंने यह कहा कि सरकार गिरने की स्थिति में आ गई थी, जब पॉलीटिकल क्राइसिस चल रहा था और सचिन पायलट के साथ 18 विधायक मानेसर चले गए थे, तो सरकारों का काम होता है निगरानी रखना. उनको सर्विलांस पर रखना कि ये लोग किससे मिल रहे हैं, कहां जा रहे हैं, कहां आ रहे हैं? यह सब कुछ सरकार ने किया. निश्चित तौर पर सर्विलांस में सारी ही चीज आती हैं कि कौन-कहां जा रहा है, उनको ट्रैक करना, उनकी बात किससे हो रही है? जब सरकार गिरने की स्थिति में आती है तो सरकार बचाने के लिए यह सारे काम करने पड़ते हैं और वही किए गए थे, जिसमें हम कुछ लोगों को वहां से लाने में कामयाब भी हो गए थे.'
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लोकतंत्र में जनता ही माई-बाप है और जनादेश शिरोधार्य है, विनम्रता से स्वीकार है।
— Lokesh Sharma (@_lokeshsharma) December 3, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
मैं नतीजों से आहत जरूर हूँ, लेकिन अचंभित नहीं हूँ..
कांग्रेस पार्टी #Rajasthan में निःसंदेह रिवाज़ बदल सकती थी लेकिन अशोक गहलोत जी कभी कोई बदलाव नहीं चाहते थे। यह कांग्रेस की नहीं बल्कि अशोक गहलोत जी…
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— Lokesh Sharma (@_lokeshsharma) December 3, 2023
मैं नतीजों से आहत जरूर हूँ, लेकिन अचंभित नहीं हूँ..
कांग्रेस पार्टी #Rajasthan में निःसंदेह रिवाज़ बदल सकती थी लेकिन अशोक गहलोत जी कभी कोई बदलाव नहीं चाहते थे। यह कांग्रेस की नहीं बल्कि अशोक गहलोत जी…लोकतंत्र में जनता ही माई-बाप है और जनादेश शिरोधार्य है, विनम्रता से स्वीकार है।
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मैं नतीजों से आहत जरूर हूँ, लेकिन अचंभित नहीं हूँ..
कांग्रेस पार्टी #Rajasthan में निःसंदेह रिवाज़ बदल सकती थी लेकिन अशोक गहलोत जी कभी कोई बदलाव नहीं चाहते थे। यह कांग्रेस की नहीं बल्कि अशोक गहलोत जी…
तीसरा सवाल : आप जिस फोन टैपिंग की बात कर रहे हैं, क्या ये सब सरकार गिराने के पहले की स्थिति की थी ?
जवाब : 'नहीं. संभावना और आशंका पहले ही हो गई थी, इसीलिए तो सारी चीजें सर्विलांस और मॉनिटर पर ली गईं. यह कहा जा रहा है कि मेरे द्वारा एक कथित ऑडियो पूरे प्रदेश में वायरल किया गया, मैंने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया. मैंने हमेशा कहा कि मुझे यह सोशल मीडिया के माध्यम से मिला था, जिसमें पैसों का लेनदेन करके सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही थी. यह मैंने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए प्रदेश की जनता के समक्ष मीडिया के माध्यम से पहुंचाया. इसका बड़ा इंपैक्ट ये हुआ कि अगले ही दिन जो भी शामिल थे, जिन-जिन के भी नाम थे, उन सबके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. मुझपर आरोप लग रहे हैं कि फोन टैपिंग केस में रिलीफ पाने के लिए मैं ये सब कुछ कर रहा हूं, तो इन सारी चीजों का मेरे केस से कोई लेना-देना नहीं है. यह सभी कपोल कल्पित बातें हैं. मेरा केस न्यायालय में चल रहा है, विचाराधीन है. अब न्यायालय को उसपर निर्णय करना है. मैंने एक याचिका दायर की हुई है यह राजस्थान से संबंधित घटना थी तो इसे खारिज किया जाए या फिर इसे राजस्थान ट्रांसफर किया जाए, इसपर अभी बहस चल रही है. मैंने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया कि क्या-क्या वजह रही, जिस वजह से हम राजस्थान में अपनी सरकार की वापसी नहीं करवा पाए. पूरे देश भर में जिन 5 राज्यों के चुनाव हुए उसमें से फिलहाल तो एकमात्र राजस्थान ऐसा था जहां पर शत प्रतिशत वापसी की संभावनाएं नजर आ रहीं थीं, लेकिन टिकट वितरण के कारण हम वापसी नहीं कर पाए.
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चौथा सवाल : क्या आप सरकारी गवाह बनने जा रहे हैं ?
जवाब : 'इसका उन सब चीजों से कोई लेना-देना नहीं है, कि मैं कोई गवाह बन रहा हूं या कहीं और जा रहा हूं. 3 दिसंबर तक परिणाम आने तक मैं एक जिम्मेदारी के साथ बना हुआ था. मैं मुख्यमंत्री का व्यक्ति था, तो फीडबैक की बातें, ग्राउंड पर चल रहीं बातें उनको लगातार बताता रहा. मैंने कई बार कहा कि अगर हमें सरकार की वापसी चाहिए तो यह करना होगा, लेकिन वह सारी सुनवाई नहीं हो पाई. अब क्या मजबूरियां रहीं मुख्यमंत्री की, यह तो उन्हें पता होगी. जो चुनाव हारने वाले थे, पार्टी ने मुख्यमंत्री के कहने से उन्हें भी टिकट दे दिया. मैं स्पष्ट रूप से इस बात को खारिज करता हूं कि जो कुछ भी मैंने कहा है, जो भी अपनी भावना व्यक्त की है, उसका कोई और मंतव्य नहीं है. सीधे तौर पर मैं यह चाहता हूं कि राजस्थान में अब बदलाव होना चाहिए, युवाओं को और नौजवानों को अवसर मिलना चाहिए, ताकि आगे आने वाली चुनौतियों का हम डटकर सामना कर सकें.'
पांचवां सवाल : जो सवाल आप उठा रहे उसका अंदेशा मुख्यमंत्री के बेटे वैभव ने भी जताया था ?
जवाब : 'तथाकथित लाल डायरी के किस्से बार-बार उजागर होते हैं. उनके पन्ने कहीं न कहीं से निकल के आते हैं, मुझे नहीं पता कि उनकी असलियत क्या है, लेकिन कुछ पन्ने चुनाव से पहले वायरल हुए. उन पन्नों में खुद मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत की ओर से कहा गया कि जब सरकार में आ जाते हैं तो पापा अधिकारियों से घिर जाते हैं और पॉलिटिकल व्यक्तियों को अपने से दूर कर देते हैं. इसलिए इस बार भी सरकार किसी हालत में वापस नहीं आएगी और उसके जिम्मेदार सिर्फ पापा होंगे यानी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होंगे. ये जब वैभव गहलोत ही कह रहे हैं तो मैंने कोई नई बात तो कहीं नहीं. अशोक गहलोत का घेरा बन गया, जो उन तक सच नहीं पहुंचने देना चाहते थे.