जोधपुर. राजकीय रेलवे पुलिस ने एक आत्महत्या के मामले की पड़ताल करते हुए सेक्सटॉर्शन करने वाले गिरोह का खुलासा किया है. जीआरपी पुलिस को इसके लिए करीब डेढ माह तक अथक मेहनत की. इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया (3 accused arrested in Sextortion case in Jodhpur) है. पुलिस की जांच में सबसे चौंकाना वाला खुलासा यह हुआ है कि इस गिरोह का खुद का एटीम भी था. इसी एटीएम के जरिए गिरोह के सदस्य ब्लैकमेल की राशि को निकालते थे.
गुरूवार को जोधपुर जीआरपी के पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन शर्मा ने बताया कि गत 26 अगस्त को जालसू स्टेशन पर गोपालसिंह नाम के व्यक्ति ने आत्महत्या की थी. उसके शव से एक सुसाइड नोट मिला था. इसमें उसने सीबीआई अधिकारी संजय अरोड़ा की ओर से ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था. उसके नंबर भी लिखे थे. परिजनों को शव सुपुर्द करने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने एक टीम बनाई.
मौके पर एक टूटा हुआ मोबाइल बरामद हुआ था. इसकी मदद से पुलिस को अहम तथ्य मिले. जिसके एक बाद एक कड़ियां जोड़ते हुए पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्य भरतपुर के कामा के नंदेरा निवासी राहुल उर्फ हुगली पुत्र स्वरूप खान, इंद्रोली निवासी रहमान उर्फ रहमू पुत्र हरिसिंह व हरियाणा के नूंह के रायपुरी निवासी हैदरअली पुत्र कमालुद्दीन को गिरफ्तार किया. इनसे हुई पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं. यह गिरोह गोपालसिंह ने 3-4 लाख रुपए वसूल चुका था.
सुनसान इलाके में निजी एटीएम: एसपी प्रदीप मोहन शर्मा ने बताया कि इस प्रकरण में सामने आया कि भरतपुर के कामां तहसील के नांदेरा गांव निवासी राहुल उर्फ हुगली पुत्र स्वरूप खान को गिरोह ने बैंकिंग का काम सौंप रखा था. गिरोह की मिलीभगत से उन्होंने अपने खेत के पास ही एक एटीएम लगवा रखा था. जिसका इस्तेमाल वे ही करते (Personal ATM installed by gang) थे. जब भी इनके खातों में राशि जमा होती, तो वहां से निकालते थे. पुलिस मौके पर पहुंची, तो अचरज में पड़ गई. एटीएम केंद्र पर कोई बोर्ड नहीं लगा हुआ था. न सीसीटीवी कैमरे थे. एटीएम पर ताला लगा हुआ था. पड़ताल में सामने आया कि एटीएम जिस जगह के लिए स्वीकृत हुआ था, उससे 70 किमी दूर लगाया गया. राहुल उर्फ हुगली और अन्य ही इसे आपरेट करते थे. एटीएम किसी प्राइवेट बैंक का है.
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स्क्रिनशॉट से मिली मदद: जालूस स्टेशन पर गोपालसिंह के शव के पास मिले मोबाइल को पुलिस ने ठीक करवाया. साइबर टीम ने जब इसे ऑन किया तो इसमें एक स्क्रिनशॉट मिला. जिसमें गोपालसिंह की ओर से जो रुपए भेजे गए थे, उसकी बैंक की जानकारी मिली. जिसके बाद पुलिस सक्रिय हुई तो एचडीएफसी, एक्सिस और आईडीएफसी बैंक का पता चला. लेकिन जिन खातों में राशि भेजी गई थी, वे खाते तुंरत बंद भी हो जाते. क्योंकि ऑनलाइन खाते खोलते समय सही जानकारी नहीं दी जाती, इसके बाद अपराधी खातों का कुछ समय उपयोग कर छोड़ देते. जिसके बाद बैंक इन्हें बंद कर देता. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ.
एटीएम से मिला सबूत, हजारों नंबर खंगाले: पुलिस को खातों की जानकारी से कुछ नहीं मिला, तो यह पता लगाया कि पैसा किस एटीएम से निकाला गया. इसके लिए हरियाणा गई पुलिस एटीएम तक पहुंची. बैंक से सीसीटीवी फुटेज निकाले, जिसमें एक संदिग्ध का चेहरा पुलिस को मिला. फुटेज में पुलिस को संदिग्ध अपने मोबाइल से बात करता दिखाई दिया. इसके बाद पुलिस ने वहां के मोबाइल टावर से जानकारियां निकालीं. हजारों नंबर खंगाले तो उन्हें भरतपुर के कामां से तार जुड़े मिले.
डेढ माह तक पुलिस ने की अथक मेहनत: एसपी ने बताया कि हमारी टीम लगातार इस मामले में कड़ी से कड़ी जोड़ती रही. हरियाणा के पलवल और हुडल इलाके में कैंप किए. इसके बाद भरतपुर पुलिस से संपर्क किया. कामां के दुर्गम इलाकों में जाकर पड़ताल की तो सुनसान जगह पर एटीएम का पता चला. इसके बाद पुलिस को यकीन हो गया कि नांदेरी गांव के आसपास ही गिरोह सक्रिय है. भरतपुर जिला पुलिस की स्पेशल टीम के साथ मिलकर कार्रवाई करते हुए तीन जनों को गिरफ्तार किया गया.
चार टीमें संचालित करती है गिरोह: गिरोह चार टीमों में काम करता है. एक टीम का काम होता है सिम अरेंज करना. जो मोबाइल सिम इस मामले में काम में ली गई थी, वह असम व अन्य राज्यों की थी. दूसरी टीम का काम होता है कॉलिंग करना. गोपालसिंह को कामां तहसील से ही वीडियो कॉल किया गया था. पुलिस को यह भी पता चला कि वीडियो कॉल को सीधे कंप्यूटर पर चल रहे पोर्नशॉट से जोड़ देते हैं. सामने से ज्योंही कोई कॉल अटेंड करता है तो उसके चेहरे के साथ वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं. गोपालसिंह जयपुर के गोपालबाड़ी में अपना काम करता था. उसे भी इसी तरह से वीडियो कॉल कर उसका वीडियो बनाया गया था. तीसरी टीम ग्राहक तलाशती है और चौथी बैंक से जुड़े काम देखती है.