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सरिस्का टाइगर रिजर्व में अवैध बालू खनन पर रोक लगाएं राजस्थान के मुख्य सचिव: एनजीटी

एनजीटी ने राजस्थान के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वो राज्य के डीजीपी, राजस्थान के मुख्य वन संरक्षक, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, सरिस्का टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अलवर जिले के एसएसपी और डीएम की मदद से आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएं.

Sariska Tiger Reserve
राजस्थान सरिस्का टाइगर रिजर्व अवैध खनन एनजीटी
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Published : Jan 30, 2022, 6:02 PM IST

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में अवैध बालू के खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने राजस्थान के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर बालू का खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

एनजीटी ने राजस्थान के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वो राज्य के डीजीपी, राजस्थान के मुख्य वन संरक्षक, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, सरिस्का टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अलवर जिले के एसएसपी और डीएम की मदद से आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएं.एनजीटी ने राज्य के डीजीपी को निर्देश दिया कि वे कानून और पर्यावरण नियमों का पालन हर हाल में सुनिश्चित कराएं. एनजीटी ने ईडी को निर्देश दिया कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अवैध बालू खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें.

एनजीटी ने एक अखबार की उस खबर पर संज्ञान लिया था, जिसमें 27 जुलाई 2020 को बालू माफिया द्वारा एक वनरक्षक को कुचल देने की खबर छपी थी. खबर के मुताबिक संदिग्ध खनन माफिया के एक ट्रैक्टर को जब वन रक्षक और उसके कुछ साथियों ने सरिस्का टाइगर रिजर्व में रोकने की कोशिश की तो उसे ट्रैक्टर से कुचल दिया गया. वन रक्षक केवल सिंह घायल हो गया था, जिसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद पुलिस ने ट्रैक्टर तो जब्त कर लिया है, लेकिन आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है.

ये भी पढ़ें - दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे को मिली NGT की मंजूरी, पर्यावरण निगरानी के लिए बनाई समिति

एनजीटी ने कहा कि ये पहली घटना नहीं है कि जब सरिस्का टाइगर रिजर्व के अंदर हमले की घटना घटी हो. इसके पहले 25 जनवरी 2020 को भी ग्रामीणों ने कुछ वनकर्मियों पर हमला किया था, जिसमें सरिस्का टाइगर रिजर्व के रेंजर जीतेंद्र चौधरी किसी तरह अपनी जान बचाकर भागे. इन वनकर्मियों ने टाइगर रिजर्व में चराने आए ग्रामीणों के 18 भेड़ों और 30 बकरियों को जब्त कर लिया था. 15 दिसंबर 2019 को भी एक वरिष्ठ वन अधिकारी के साथ ग्रामीणों ने मारपीट की थी.

एनजीटी ने कहा कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और बालू खनन से संबंधित दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं होने की वजह से ये घटनाएं घटी हैं. एनजीटी ने बालू माफिया की वजह से जान गंवाने वाले वन रक्षक के वारिस को 15 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. इसके पहले एनजीटी ने 10 अगस्त 2020 को एक संयुक्त कमेटी गठित कर रिपोर्ट तलब किया था. कमेटी की रिपोर्ट देखने पर एनजीटी ने पाया था कि सरिस्का टाइगर रिजर्व में अवैध बालू खनन जारी है. उसके बाद एनजीटी ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश जारी किया.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में अवैध बालू के खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने राजस्थान के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर बालू का खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

एनजीटी ने राजस्थान के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वो राज्य के डीजीपी, राजस्थान के मुख्य वन संरक्षक, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, सरिस्का टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अलवर जिले के एसएसपी और डीएम की मदद से आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएं.एनजीटी ने राज्य के डीजीपी को निर्देश दिया कि वे कानून और पर्यावरण नियमों का पालन हर हाल में सुनिश्चित कराएं. एनजीटी ने ईडी को निर्देश दिया कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अवैध बालू खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें.

एनजीटी ने एक अखबार की उस खबर पर संज्ञान लिया था, जिसमें 27 जुलाई 2020 को बालू माफिया द्वारा एक वनरक्षक को कुचल देने की खबर छपी थी. खबर के मुताबिक संदिग्ध खनन माफिया के एक ट्रैक्टर को जब वन रक्षक और उसके कुछ साथियों ने सरिस्का टाइगर रिजर्व में रोकने की कोशिश की तो उसे ट्रैक्टर से कुचल दिया गया. वन रक्षक केवल सिंह घायल हो गया था, जिसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद पुलिस ने ट्रैक्टर तो जब्त कर लिया है, लेकिन आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है.

ये भी पढ़ें - दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे को मिली NGT की मंजूरी, पर्यावरण निगरानी के लिए बनाई समिति

एनजीटी ने कहा कि ये पहली घटना नहीं है कि जब सरिस्का टाइगर रिजर्व के अंदर हमले की घटना घटी हो. इसके पहले 25 जनवरी 2020 को भी ग्रामीणों ने कुछ वनकर्मियों पर हमला किया था, जिसमें सरिस्का टाइगर रिजर्व के रेंजर जीतेंद्र चौधरी किसी तरह अपनी जान बचाकर भागे. इन वनकर्मियों ने टाइगर रिजर्व में चराने आए ग्रामीणों के 18 भेड़ों और 30 बकरियों को जब्त कर लिया था. 15 दिसंबर 2019 को भी एक वरिष्ठ वन अधिकारी के साथ ग्रामीणों ने मारपीट की थी.

एनजीटी ने कहा कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और बालू खनन से संबंधित दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं होने की वजह से ये घटनाएं घटी हैं. एनजीटी ने बालू माफिया की वजह से जान गंवाने वाले वन रक्षक के वारिस को 15 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. इसके पहले एनजीटी ने 10 अगस्त 2020 को एक संयुक्त कमेटी गठित कर रिपोर्ट तलब किया था. कमेटी की रिपोर्ट देखने पर एनजीटी ने पाया था कि सरिस्का टाइगर रिजर्व में अवैध बालू खनन जारी है. उसके बाद एनजीटी ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश जारी किया.

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