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दूध बेचते हैं पिता, जज बनने जा रही बेटी

उदयपुर के रहने वाले एक गरीब पिता की बेटी सोनल ने 26 साल की उम्र में आरजेएस परीक्षा पास कर राजस्थान का नाम रोशन किया है. गरीबी ने सोनल के हौसलों को पस्त नहीं किया और वह अपनी मंजिल पर पहुंच गईं. जाने सोनल ने कैसे पाई सफलता.

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Published : Dec 26, 2020, 5:42 PM IST

sonal
सोनल

उदयपुर : कहते हैं कुछ कर गुजरने के इरादे हों तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. उदयपुर की एक बेटी ने गरीबी की बेड़ियों को तोड़ते हुए कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. तमाम अभावों और चुनौतियों के बीच उदयपुर के प्रताप नगर इलाके की रहने वाली 26 वर्षीय सोनल ने आरजेएस परीक्षा पास कर अपने परिवार का ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया है.

काम के साथ करती रहीं पढ़ाई

उदयपुर की बेटी सोनल शर्मा का चयन राजस्थान न्यायिक सेवा (आरजेएस) प्रतियोगी भर्ती परीक्षा 2018 की वेटिंग लिस्ट में हुआ है. प्रताप नगर की रहने वाली 26 वर्षीय सोनल के पिता ख्यालीराम शर्मा डेयरी का काम करते हैं. सोनल भी पिता के काम में बचपन से सहयोग करती रहीं हैं. बाड़े की साफ-सफाई से लेकर गायों के गोबर तक हर काम सोनल करती रहीं हैं और समय मिलने पर पढ़ाई करती रहीं.

दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की

सोनल अपनी कामयाबी का सारा श्रेय पिता को देती हैं. सोनल बतातीं हैं कि उनके पिता ने जैसे-तैसे डेयरी खोली और घर चलाया. बीएएलएलबी में प्रवेश लेने पर सोनल ने जजों को देखा तो उनके मन में भी जज बनने की इच्छा हुई. पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह कोचिंग नहीं कर पाईं. ख्वाब को पूरा करने के लिए सोनल ने खुद से ही आरजेएस परीक्षा की तैयारी शुरू की और दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की.

उदयपुर : कहते हैं कुछ कर गुजरने के इरादे हों तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. उदयपुर की एक बेटी ने गरीबी की बेड़ियों को तोड़ते हुए कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. तमाम अभावों और चुनौतियों के बीच उदयपुर के प्रताप नगर इलाके की रहने वाली 26 वर्षीय सोनल ने आरजेएस परीक्षा पास कर अपने परिवार का ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया है.

काम के साथ करती रहीं पढ़ाई

उदयपुर की बेटी सोनल शर्मा का चयन राजस्थान न्यायिक सेवा (आरजेएस) प्रतियोगी भर्ती परीक्षा 2018 की वेटिंग लिस्ट में हुआ है. प्रताप नगर की रहने वाली 26 वर्षीय सोनल के पिता ख्यालीराम शर्मा डेयरी का काम करते हैं. सोनल भी पिता के काम में बचपन से सहयोग करती रहीं हैं. बाड़े की साफ-सफाई से लेकर गायों के गोबर तक हर काम सोनल करती रहीं हैं और समय मिलने पर पढ़ाई करती रहीं.

दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की

सोनल अपनी कामयाबी का सारा श्रेय पिता को देती हैं. सोनल बतातीं हैं कि उनके पिता ने जैसे-तैसे डेयरी खोली और घर चलाया. बीएएलएलबी में प्रवेश लेने पर सोनल ने जजों को देखा तो उनके मन में भी जज बनने की इच्छा हुई. पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह कोचिंग नहीं कर पाईं. ख्वाब को पूरा करने के लिए सोनल ने खुद से ही आरजेएस परीक्षा की तैयारी शुरू की और दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की.

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