नई दिल्ली : सरकार के पास भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास नए दस्तावेज दाखिल किए बिना जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने के लिए 12 मई तक का समय है. सरकार ने पहले एलआईसी के लगभग 31.6 करोड़ शेयरों या पांच प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए मार्च में आईपीओ लाने की योजना बनाई थी. इस आईपीओ से करीब 60,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद थी. हालांकि, रूस-यूक्रेन संकट के बाद शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए आईपीओ की योजना पटरी से उतर गई है.
एक अधिकारी ने कहा कि सेबी के पास दाखिल दस्तावेजों के आधार पर आईपीओ लाने के लिए हमारे पास 12 मई तक का समय है. हम उतार-चढ़ाव पर नजर रखे हुए हैं और जल्द ही कीमत के दायरे के साथ आरएचपी दाखिल करेंगे. अगर सरकार 12 मई तक आईपीओ नहीं ला पाती है, तो उसे दिसंबर तिमाही के नतीजे बताते हुए सेबी के पास नए कागजात दाखिल करने होंगे. अधिकारी ने आगे कहा कि हालांकि पिछले एक पखवाड़े में बाजार में उतार-चढ़ाव कम हुआ है, लेकिन बाजार के और स्थिर होने का इंतजार किया जाएगा, ताकि खुदरा निवेशकों को शेयर में निवेश करने का भरोसा मिले. एलआईसी ने खुदरा निवेशकों के लिए अपने कुल आईपीओ आकार का 35 प्रतिशत तक आरक्षित रखा है.
अधिकारी ने कहा, 'खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्से को पूरा भरने के लिए लगभग 20,000 करोड़ रुपये की जरूरत है. हमारे बाजार आकलन के अनुसार, वर्तमान खुदरा मांग शेयरों के पूरे कोटे को भरने के लिए पर्याप्त नहीं है.'
कंपनी के पॉलिसीधारकों और कर्मचारियों को आईपीओ में न्यूनतम शेयर मूल्य पर छूट मिलेगी. अंतरराष्ट्रीय मूल्यांकक कंपनी मिलीमैन एडवाइजर्स द्वारा एलआईसी का अंतर्निहित मूल्य निकाला गया है. 30 सितंबर 2021 तक कंपनी का अंतर्निहित मूल्य 5.4 लाख करोड़ रुपये था. अंतर्निहित मूल्य बीमा कंपनी में शेयरधारकों के एकीकृत मूल्य के आधार पर निकाला गया है.
हालांकि दाखिल दस्तावेजों के मसौदे (डीआरएचपी) में एलआईसी के बाजार मूल्यांकन का खुलासा नहीं किया गया है. उद्योग के मानकों के अनुसार यह अंतनिर्हित मूल्य का करीब तीन गुना या 16 लाख करोड़ रुपये होगा. एलआईसी में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी या 632.49 करोड़ से अधिक शेयर हैं. इन शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर है.
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