हैदराबाद : कर्नाटक पुलिस के ट्रेनिंग विंग के डीजीपी पुट्टपागा रविंद्रनाथ ने जाति के आधार पर उत्पीड़न का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है. 1989 बैच के आईपीएस अफसर पिछले 33 साल से सेवारत हैं. उनका इस्तीफा, राज्य के सभी अफसरों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. तेलंगाना के नगरकुल्नूर जिले रविंद्रनाथ के पिता पी महेंद्रनाथ, आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में बताया की जब उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों के सुरक्षा का प्रयास किया तो उन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ा.
उन्होंने बताया की मैंने सेवा में रहते हुए सभी प्रमुख कर्तव्यों का पालन किया. मुझे राष्ट्रपति द्वारा वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. मेरी ईमानदारी के कारण कई नेताओं ने मुझपर दबाव डाला और बिना किसी कारण के मेरा ट्रांसफर हुआ. और तो और मेरी पदोन्नती भी रोकी गई. छह महीने पहले, जब मुझे डायरेक्टरेट ऑफ सिविल राइट्स एनफोर्समेंट का डीजीपी नियुक्त किया गया तब हमने सख्ती से अनुसूचित जाति और एवं अनुसूचित जनजाति नियम, 1995 लागू किया.
इसके साथ ही मैंने कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी से इनके लिए सुरक्षा प्रकोष्ठ बनाए जाने की बात भी कही लेकिन मेरी बात को नजरअंदाज कर दिया गया. वहीं राज्य में कुछ आपात्र लाभार्थियों ने बेड़ा जनजाति के अंतर्गत प्रमाणपत्र हासिल किया जिसमें एक विधायक की बेटी भी शामिल है. ऐसे लोगों के खिलाफ हमने मामला दर्ज कराया जिसपर मेरा तबादला ट्रेंनिग डिपार्टमेंट में कर दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि इससे पहले 2008 और 2014 में भी इस्तीफा दे चुका हूं. वहीं पिछले साल मुझसे कम कार्यकाल वाले अफसरों को डीजीपी बनाए गया था जिसके बाद मेरे इस्तीफा देने के पर मेरी पदोन्नती के भी आदेश जारी किए गए थे.
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उन्होंने यह भी बताया कि, मैंने ओस्मानिया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की हुई है. अगर इस बार मेरा इस्तीफा मंजूर कर लिया जाएगा तो मैं बतौर डॉक्टर प्रैक्टिस करूंगा. इसके साथ ही मेरे गांव में मेरी 15 एकड़ जमीन है. मैं वहां खेती भी करने के साथ समाज सेवा भी कर सकता हूं. वहीं मामले में कर्नाटक के गृह मंत्री अरगा जननेंद्र ने कहा है कि यदि कोई अधिकारी जिसने किसी भी प्रकार का उत्पीड़न झेला हो, वह इस्तीफा न दे बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी शिकायत करें. उन्होंने यह भी कहा कि वह पी रवींद्रन के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत कर मामले की जांच का आदेश देंगे.