जयपुर. जयपुर बम ब्लास्ट मामलों की विशेष अदालत ने शहर में वर्ष 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के दौरान जिंदा मिले बम से जुड़े मामले में पूर्व एडीजी अरविन्द कुमार जैन और मीडियाकर्मी प्रशांत टंडन को बतौर गवाह बुलाने और पूरक आरोप पत्र को रिकॉर्ड पर लेने के संबंध में एटीएस की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर बहस पूरी हो गई है. वहीं आरोपी सैफुर्रहमान व अन्य की ओर से जिंदा बम मामले को बम ब्लास्ट मामले के समान मानते हुए आरोपियों को बरी करने वाली अर्जी पर भी बहस पूरी हो गई है. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद इन अर्जियों पर 11 सितंबर को फैसला देना तय किया है.
प्रार्थना पत्र में आरोपियों की ओर से कहा गया कि जिंदा बम व जयपुर ब्लास्ट केस में ज्यादातर गवाह व दस्तावेज समान हैं. जयपुर बम ब्लास्ट के मामलों में आरोपी हाईकोर्ट से दोषमुक्त हो चुके हैं. ऐसे में समान तथ्यों के आधार पर केस में दुबारा ट्रायल नहीं हो सकती. इसलिए आरोपियों को जिंदा बम मामले में भी दोषमुक्त किया जाए. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जिंदा बम का मामला बम ब्लास्ट से अलग मामला है. इसकी जगह भी अलग है और इसे प्लांट करने वाले भी अलग हो सकते हैं.
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इसकी एफएसएल रिपोर्ट भी अलग ही आएगी और इस मामले में अलग से धारा 307 जोड़ी गई है. ऐसे में जिंदा बम का मामला जयपुर बम ब्लास्ट के अपराध के समान मामले की श्रेणी में नहीं आता है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने 11 सितंबर तक अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. गौरतलब है कि 13 मई, 2008 को शहर की चारदीवारी में अलग-अलग स्थानों पर बम ब्लास्ट हुए थे. वहीं एक जगह जिंदा बम मिला था.