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Jaipur Serial Blast Case: जिंदा बम मिलने से जुड़े मामले में बहस पूरी, कोर्ट ने 11 सितंबर तक आदेश रखा सुरक्षित

जयपुर बम ब्लास्ट मामले में जिंदा बम मिलने से जुड़े प्रकरण में कोर्ट में बहस पूरी हो गई है. कोर्ट ने इस मामले में दाखिल अर्जियों पर 11 सितंबर तक अपना आदेश सुरक्षित रखा है.

Jaipur Serial Blast Case
जयपुर बम ब्लास्ट प्रकरण
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 9:08 PM IST

जयपुर. जयपुर बम ब्लास्ट मामलों की विशेष अदालत ने शहर में वर्ष 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के दौरान जिंदा मिले बम से जुड़े मामले में पूर्व एडीजी अरविन्द कुमार जैन और मीडियाकर्मी प्रशांत टंडन को बतौर गवाह बुलाने और पूरक आरोप पत्र को रिकॉर्ड पर लेने के संबंध में एटीएस की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर बहस पूरी हो गई है. वहीं आरोपी सैफुर्रहमान व अन्य की ओर से जिंदा बम मामले को बम ब्लास्ट मामले के समान मानते हुए आरोपियों को बरी करने वाली अर्जी पर भी बहस पूरी हो गई है. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद इन अर्जियों पर 11 सितंबर को फैसला देना तय किया है.

प्रार्थना पत्र में आरोपियों की ओर से कहा गया कि जिंदा बम व जयपुर ब्लास्ट केस में ज्यादातर गवाह व दस्तावेज समान हैं. जयपुर बम ब्लास्ट के मामलों में आरोपी हाईकोर्ट से दोषमुक्त हो चुके हैं. ऐसे में समान तथ्यों के आधार पर केस में दुबारा ट्रायल नहीं हो सकती. इसलिए आरोपियों को जिंदा बम मामले में भी दोषमुक्त किया जाए. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जिंदा बम का मामला बम ब्लास्ट से अलग मामला है. इसकी जगह भी अलग है और इसे प्लांट करने वाले भी अलग हो सकते हैं.

पढ़ें: Jaipur Serial Blast : जयपुर बम ब्लास्ट केस में दोषमुक्त हो गए हैं, जिंदा बम प्रकरण में भी करें दोषमुक्त, जानिए पूरा मामला

राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इसकी एफएसएल रिपोर्ट भी अलग ही आएगी और इस मामले में अलग से धारा 307 जोड़ी गई है. ऐसे में जिंदा बम का मामला जयपुर बम ब्लास्ट के अपराध के समान मामले की श्रेणी में नहीं आता है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने 11 सितंबर तक अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. गौरतलब है कि 13 मई, 2008 को शहर की चारदीवारी में अलग-अलग स्थानों पर बम ब्लास्ट हुए थे. वहीं एक जगह जिंदा बम मिला था.

जयपुर. जयपुर बम ब्लास्ट मामलों की विशेष अदालत ने शहर में वर्ष 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के दौरान जिंदा मिले बम से जुड़े मामले में पूर्व एडीजी अरविन्द कुमार जैन और मीडियाकर्मी प्रशांत टंडन को बतौर गवाह बुलाने और पूरक आरोप पत्र को रिकॉर्ड पर लेने के संबंध में एटीएस की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर बहस पूरी हो गई है. वहीं आरोपी सैफुर्रहमान व अन्य की ओर से जिंदा बम मामले को बम ब्लास्ट मामले के समान मानते हुए आरोपियों को बरी करने वाली अर्जी पर भी बहस पूरी हो गई है. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद इन अर्जियों पर 11 सितंबर को फैसला देना तय किया है.

प्रार्थना पत्र में आरोपियों की ओर से कहा गया कि जिंदा बम व जयपुर ब्लास्ट केस में ज्यादातर गवाह व दस्तावेज समान हैं. जयपुर बम ब्लास्ट के मामलों में आरोपी हाईकोर्ट से दोषमुक्त हो चुके हैं. ऐसे में समान तथ्यों के आधार पर केस में दुबारा ट्रायल नहीं हो सकती. इसलिए आरोपियों को जिंदा बम मामले में भी दोषमुक्त किया जाए. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जिंदा बम का मामला बम ब्लास्ट से अलग मामला है. इसकी जगह भी अलग है और इसे प्लांट करने वाले भी अलग हो सकते हैं.

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राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इसकी एफएसएल रिपोर्ट भी अलग ही आएगी और इस मामले में अलग से धारा 307 जोड़ी गई है. ऐसे में जिंदा बम का मामला जयपुर बम ब्लास्ट के अपराध के समान मामले की श्रेणी में नहीं आता है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने 11 सितंबर तक अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. गौरतलब है कि 13 मई, 2008 को शहर की चारदीवारी में अलग-अलग स्थानों पर बम ब्लास्ट हुए थे. वहीं एक जगह जिंदा बम मिला था.

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