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अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाणपत्र पर पांच सांसद लोकसभा के लिए चुने गये : मांझी का आरोप - पौराणिक ग्रंथ रामायण के रचयिता

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी जीतन राम मांझी ने आरोप लगाया कि एक केंद्रीय मंत्री सहित पांच सांसद अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीटों से फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने इसकी जांच कराने की मांग की है.

Manjhi
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Published : Oct 20, 2021, 7:03 PM IST

नई दिल्ली : अपनी पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए मांझी ने कहा कि एक केंद्रीय मंत्री सहित पांच सांसद अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीटों से फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर निर्वाचित हुए हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार कश्मीर में शांति स्थापित करने की कोशिश कर रही होगी, लेकिन परिणाम दिख नहीं रहे हैं. उन्होंने आतंकवादियों द्वारा गरीब प्रवासियों की वहां हत्या किये जाने पर रोष प्रकट किया, जिनमें कुछ बिहार से भी हैं.

पौराणिक ग्रंथ रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि को देश के श्रद्धांजलि अर्पित करने के बीच दलित नेता अपनी इस विवादास्पद टिप्पणी पर अडिग रहे कि भगवान राम एक काल्पनिक पात्र थे और कहा कि संत, राम से हजारों गुना बड़े थे. उन्होंने कहा कि यह मेरा व्यक्तिगत विचार है और मैं किसी की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहता.

पार्टी की बैठक में मांझी ने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल और जे शिवाचार्य महास्वामीजी (दोनों भाजपा सांसद), कांग्रेस के सांसद मोहम्मद सादिक, तणमूल कांग्रेस की अपरूपा पोद्दार और निर्दलीय सांसद नवनीत रवि राणा फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर चुनाव लड़ने के बाद एससी आरक्षित सीटों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

हालांकि मांझी के आरोपों पर इन सांसदों की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन उनमें से ज्यादातर ने अतीत में इन आरोपों को खारिज कर दिया है. बघेल के सहयोगियों ने कहा कि उनकी जाति उत्तर प्रदेश में एससी के तौर पर अधिसूचित है, जहां से वह निर्वाचित हुए.

उल्लेखनीय है कि बंबई उच्च न्यायालय ने राणा के जाति प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया था लेकिन उन्हें उच्चतम न्यायालय से राहत मिल गई, जिसने जून में उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी. मांझी ने दावा किया कि नौकरियों और स्थानीय निकाय चुनावों में कोटा का 15 से 20 प्रतिशत फायदा फर्जी जाति प्रमाणपत्रों के आधार पर अन्य लोग उठा लेते हैं.

यह भी पढ़ें-चार लोगों के साथ प्रियंका गांधी को आगरा जाने की अनुमति, सीएम योगी बोले- कानून से खेलने की इजाजत किसी को नहीं

हम अध्यक्ष ने पार्टी की सभी संगठनात्मक इकाइयों को भंग करने की घोषणा की और कहा कि जल्द ही उनका पुनर्गठन होगा. उन्होंने हर किसी के लिए एक साझा स्कूलिंग प्रणाली और दलितों के लिए अलग मतदाता सूची की मांग की.

नई दिल्ली : अपनी पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए मांझी ने कहा कि एक केंद्रीय मंत्री सहित पांच सांसद अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीटों से फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर निर्वाचित हुए हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार कश्मीर में शांति स्थापित करने की कोशिश कर रही होगी, लेकिन परिणाम दिख नहीं रहे हैं. उन्होंने आतंकवादियों द्वारा गरीब प्रवासियों की वहां हत्या किये जाने पर रोष प्रकट किया, जिनमें कुछ बिहार से भी हैं.

पौराणिक ग्रंथ रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि को देश के श्रद्धांजलि अर्पित करने के बीच दलित नेता अपनी इस विवादास्पद टिप्पणी पर अडिग रहे कि भगवान राम एक काल्पनिक पात्र थे और कहा कि संत, राम से हजारों गुना बड़े थे. उन्होंने कहा कि यह मेरा व्यक्तिगत विचार है और मैं किसी की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहता.

पार्टी की बैठक में मांझी ने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल और जे शिवाचार्य महास्वामीजी (दोनों भाजपा सांसद), कांग्रेस के सांसद मोहम्मद सादिक, तणमूल कांग्रेस की अपरूपा पोद्दार और निर्दलीय सांसद नवनीत रवि राणा फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर चुनाव लड़ने के बाद एससी आरक्षित सीटों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

हालांकि मांझी के आरोपों पर इन सांसदों की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन उनमें से ज्यादातर ने अतीत में इन आरोपों को खारिज कर दिया है. बघेल के सहयोगियों ने कहा कि उनकी जाति उत्तर प्रदेश में एससी के तौर पर अधिसूचित है, जहां से वह निर्वाचित हुए.

उल्लेखनीय है कि बंबई उच्च न्यायालय ने राणा के जाति प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया था लेकिन उन्हें उच्चतम न्यायालय से राहत मिल गई, जिसने जून में उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी. मांझी ने दावा किया कि नौकरियों और स्थानीय निकाय चुनावों में कोटा का 15 से 20 प्रतिशत फायदा फर्जी जाति प्रमाणपत्रों के आधार पर अन्य लोग उठा लेते हैं.

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हम अध्यक्ष ने पार्टी की सभी संगठनात्मक इकाइयों को भंग करने की घोषणा की और कहा कि जल्द ही उनका पुनर्गठन होगा. उन्होंने हर किसी के लिए एक साझा स्कूलिंग प्रणाली और दलितों के लिए अलग मतदाता सूची की मांग की.

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