कोटा. जिले में मंगलवार को एक और कोचिंग छात्रा के सुसाइड का मामला सामने आया है. छात्रा कोटा शहर के दादाबाड़ी थाना इलाके में हॉस्टल में कमरा लेकर रहती थी. छात्रा बिहार के पश्चिम चंपारण जिला की रहने वाली थी. उसके माता-पिता भी कोटा ही आए हुए थे और वे दूसरा हॉस्टल देखने के लिए गए थे. इसी दौरान छात्रा ने आत्महत्या कर ली है. सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की. छात्रा कोटा में रहकर मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही थी. वह जवाहर नगर स्थित कोचिंग संस्थान में पढ़ती थी.
बिहार के पश्चिम चंपारण निवासी 18 वर्षीय शेम्बुल परवीन कोटा के वसंत विहार स्थित मां फलोदी हॉस्टल में रहकर कोचिंग कर रही थी. उसके पिता इम्तियाज अंसारी के अनुसार बीते दिनों उसने कोचिंग के इंटरनल एग्जाम में कम नंबर आने की बात कही थी. उसके बाद से वह मानसिक तनाव में भी थी. हालांकि इम्तियाज अंसारी ने बताया कि कोचिंग संस्थान ने काफी सहूलियत छात्रा को दी थी और उसको पढ़ाई में भी मदद कर रहे थे.
पढ़ें. हॉस्टल की पांचवीं मंजिल से गिरा कोचिंग छात्र, पुलिस सुसाइड अटेम्प्ट या एक्सीडेंट की कर रही जांच
छात्रा ने हॉस्टल में अच्छा खाना नहीं मिलने की शिकायत भी परिजनों से की थी. ऐसे में शेम्बुल का हॉस्टल बदलवाने के लिए परिजन भी कोटा पहुंचे हुए थे. उसके पिता इम्तियाज अंसारी और मां 10 मार्च से कोटा में ही हैं. माता-पिता आज सुबह ही दूसरा हॉस्टल तलाशने के लिए गए थे और छात्रा रूम पर ही रुकी हुई थी. माता-पिता के जाने के बाद शेम्बुल ने आत्महत्या कर ली. शेम्बुल अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी.
पढ़ें. Kota News: कोटा में बिहार के छात्र ने की सुसाइड की कोशिश, कर रहा था सेल्फ स्टडी
दादाबाड़ी थानाधिकारी राजेश कुमार पाठक ने बताया कि उन्हें दोपहर में घटना की सूचना मिली थी जिसके बाद मौके पर पहुंचकर परिजनों के बयान लिए गए हैं. छात्रा के शव को एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में शिफ्ट करवा दिया है. परिजनों की तहरीर पर पोस्टमार्टम करवा दिया. शव परिजनों को सौंप दिया है। उन्होंने कहा कि हॉस्टल में कैसा खाना मिलता है और आत्महत्या के क्या कारण रहे हैं, यह भी पड़ताल की जा रही है.
पता चला है कि पिता इम्तियाज अंसारी खुद पश्चिमी चंपारण जिले में टू व्हीलर वॉशिंग के काम से जुड़े हुए हैं. ऐसे में वह बड़ी मुश्किल से पैसे जुटाकर कोटा में छात्रा को पढ़ा रहे थे. उनकी आर्थिक स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं है. बताया जा रहा है कि इसी के चलते बालिका शेम्बुल तनाव में रहती थी.
पिता इम्तियाज अंसारी का कहना है कि शेम्बुल में पढ़ने लिखने में अच्छी इंटेलिजेंट होने के चलते ही कोटा रखा था, लेकिन उसके अच्छे मार्क्स नहीं आ रहे थे. उन्होंने शेम्बुल को दोबारा कोचिंग करवाने के लिए भी कह दिया था. साथ ही उनका कहना है कि कोचिंग संस्थान ने भी काउंसलिंग में अच्छी मदद बालिका की थी.