मुंबई : महाराष्ट्र के सतारा जिले में 9 फरवरी 1964 को जन्मे एकनाथ शिंदे का रिक्शा चालक से महाराष्ट्र के सीएम पद का सफर हैरान व काफी चौंकाने वाला है. शिंदे पढ़ाई के लिए ठाणे आए थे. यहां उन्होंने 11वीं की पढ़ाई की. वह वागले एस्टेट इलाके में रहकर ऑटो रिक्शा चलाते थे. इसी दौरान उनकी मुलाकात शिवसेना नेता आनंद दिघे से हुई.
-
#WATCH | Supporters of Maharashtra CM-designate Eknath Shinde celebrate in Nashik following his name being announced as the Chief Minister of the state. pic.twitter.com/JNraPYds7p
— ANI (@ANI) June 30, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">#WATCH | Supporters of Maharashtra CM-designate Eknath Shinde celebrate in Nashik following his name being announced as the Chief Minister of the state. pic.twitter.com/JNraPYds7p
— ANI (@ANI) June 30, 2022#WATCH | Supporters of Maharashtra CM-designate Eknath Shinde celebrate in Nashik following his name being announced as the Chief Minister of the state. pic.twitter.com/JNraPYds7p
— ANI (@ANI) June 30, 2022
शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे और सेना ठाणे के जिला प्रमुख आनंद दिघे से प्रभावित होकर ही उन्होंने 1980 के दशक में शिवसेना ज्वाइन किया था. यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी. 1984 में उन्हें किसाननगर में शाखा प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया. सीमा आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा. 1997 में वह पहली बार ठाणे नगर निगम में एक नगरसेवक के रूप में निर्वचित हुए. साल 2001 में सदन के नेता के रूप में उनका चयन हुआ. फिर उन्होंने लगातार तीन साल तक इस पद को संभाला. साल 2004 में वह तत्कालीन ठाणे विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए. साल 2005 में ठाणे जिला प्रमुख के रूप में शिवसेना की नियुक्ति हुई.
साल 2009 में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद वह कोपारी-पंचपखाड़ी निर्वाचन क्षेत्र से फिर से विधायक चुने गए. फिर विधान सभा चुनाव 2014 में लगातार तीसरी बार जीतकर उन्होंने जीत की हैट्रिक बनाई. इसी कारण उन्हें विपक्ष के नेता के पद से शिवसेना ने नवाजा था. दिसंबर 2014 में उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. एमएसआरडीसी के मंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और फिर जनवरी 2019 में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री का पद मिला.
हादसे में बच्चों को खोने के बाद छोड़ दी थी राजनीति : 1990 का दशक एकनाथ शिंदे के लिए काफी चुनौतियों से भरा था. उस समय उन्हें अपने परिवार का भरण पोषण के लिए काफी मशक्कत करना पड़ा था. शिंदे का शुरुआती जीवन तो संघर्ष भरा था ही, उनकी जिंदगी में कठिन दौर आया जब हादसे में उन्होंने अपने दोनों बच्चे खो दिए. 11 साल का बेटा दीपेश और सात साल की बेटी शुभदा की हादसे में मौत हो गई. दोनों बच्चे बोटिंग कर रहे थे, जिस दौरान उनकी आंखों के सामने ही ये हादसा हुआ. दोनों बच्चों की डूबकर मौत हो गई. घटना के बाद शिंदे पूरी तरह से टूट गए थे. उन्होंने राजनीति से किनारा कर लिया था. तब आनंद दिघे ने उनका मनोबल बढ़ाया और फिर सक्रिय राजनीति में वापसी कराई.
2004 में जीता पहला विधानसभा चुनाव
- एकनाथ शिंदे का जन्म 1964 में हुआ था और वह मराठा समुदाय से आते हैं. एकनाथ शिंदे ने जीविकोपार्जन के लिए पढ़ाई जल्दी छोड़ दी थी. हालांकि, 2014 में मंत्री बनने के बाद, शिंदे ने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की और यशवंतराव चव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र से स्नातक की डिग्री पूरी की.
- एकनाथ शिंदे 1997 में पहली बार ठाणे नगर निगम के लिए पार्षद चुने गए. 2001 में शिंदे ठाणे नगर निगम में सदन के नेता बने और 2002 में दूसरी बार ठाणे नगर निगम के लिए चुने गए. शिंदे ने 2004 में पहली बार ठाणे के कोपरी-पछपाखडी निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जीता. इसके बाद उनका सफर बढ़ता रहा.
- एकनाथ शिंदे की शादी लता शिंदे से हुई है. उनके बेटे डॉ. श्रीकांत शिंदे एक आर्थोपेडिक सर्जन हैं, जो कल्याण निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए संसद सदस्य के रूप में चुने गए.
- एकनाथ शिंदे शिवसेना के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं जो महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में शहरी मामलों के मंत्री थे. बीते दिनों नाराजगी के बाद एकनाथ शिंदे अन्य बागी विधायकों के साथ गुजरात के सूरत और फिर गुवाहाटी के एक होटल में चले गए थे.
पढ़ें- एकनाथ शिंदे ने सीएम, फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की ली शपथ
यह भी पढ़ें-शिवसेना के 37 बागी विधायकों ने डिप्टी स्पीकर को भेजा पत्र, शिंदे को चुना अपना नेता