हैदराबाद : दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला अगले साल 2022 से भारत में लो कॉस्ट एयरलाइन अकासा (Akasa air) शुरू करने जा रहे हैं. अकासा एयर को विमान सेवा शुरू करने के लिए सिविल एविएशन मिनिस्ट्री से एनओसी मिल गई है. राकेश झुनझुनवाला के मुताबिक, अकासा एयरलाइन टीम में अमेरिका के डेल्टा एयर के एक पूर्व वरिष्ठ कार्यकारी भी शामिल हैं. यह टीम ऐसे विमानों को देख रही है, जिसमें 180 यात्रियों की सीट हो. पीटीआई के मुताबिक, एयरलाइन प्रबंधन ने अगले चार वर्षों में लगभग 70 विमानों को संचालित करने की योजना बनाई है. अकासा अमेरिकी विमान निर्माता बोइंग के अलावा B737 मैक्स विमानों की खरीदने की तैयारी कर रही है. यानी हवाई यात्रा करने वाले भारतीयों को एक और ऑप्शन मिल जाएगा.
तेजी से बढ़ रही है हवाई यात्रा करने वालों की तादाद : भारत में औसतन 18 फीसदी के रेट से हवाई जहाज के यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के मुताबिक, कोरोना के दौर से पहले यानी 2019 तक भारत के घरेलू उड्डयन बाजार ने लगातार चौथे साल 18.6 फीसदी की सबसे तेज वृद्धि दर हासिल की थी. कोरोना के कारण 2020 में यात्रियों की संख्या कम हुई थी. 2020 में एयरलाइन कंपनियों को सिर्फ 6.3 करोड़ घरेलू हवाई यात्री मिले, जो 2019 की तुलना में 56.29 फीसदी कम थी. मगर अब 2021 में फिर एयर ट्रैवलर्स की तादाद बढ़ने लगी है.
क्या भारतीय एयर मार्केट में नए प्लेयर की जरूरत है ? : डीजीसीए के अनुसार, अगस्त 2021 में 67 लाख और सितंबर में लगभग 69 लाख यात्रियों ने ने हवाई यात्रा की. अनुमान लगाया जा रहा है कि 2021 में करीब 11 करोड़ घरेलू यात्री हवाई जहाज से सफर करेंगे. साल 2018 में देश के भीतर सस्ती उड़ानों में 14 करोड़ लोगों ने यात्रा की थी. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर एविएशन इंडस्ट्री अपने तीन साल पुराने ट्रैक पर लौटती है और पैसेंजर ग्रोथ रेट बरकार रहता है तो निश्चित रूप से भारतीय हवाई सेवा में नए खिलाड़ी की जरूरत होगी. खुद राकेश झुनझुनवाला का कहना है कि कोरोना कोई कैंसर नहीं है, यह फ्लू है. अपना टाइम आ गया है. यानी वह मार्केट में मुकाबले के लिए तैयार हैं.
आकाश में कड़ा होगा अकासा का मुकाबला : अभी इंडियन एविएशन इंडस्ट्री में अकासा से पहले बड़ा सौदा हुआ. टाटा सन्स एयर इंडिया का नया मालिक बना है. समझौते के तहत, एक साल बाद से वह एयर इंडिया के कामकाज के तौर-तरीकों में बदलाव करेगा. यानी जब 2022 में अकासा की फ्लाइट जब आकाश में उड़ेगी, तब उसकी टक्कर इंडिगो, एयर इंडिया, स्पाइस जेट, विस्तारा, गो एयर और एयर एशिया से होगी.
आधे से ज्यादा घरेलू पैसेंजर इंडिगो के खाते में : कोरोना काल 2020 में जब एयर डेक्कन जैसी कंपनियों पर ताला लग गया था और यात्रियों की तादाद सिमट कर 2019 के मुकाबले आधी हो गई थी, तब भी इंडिगो ने 3.25 करोड़ यात्रियों को ढोया था. यानी 2020 में यात्रा करने वाले 50 फीसदी घरेलू पैसेंजर्स इंडिगो के उपभोक्ता थे. स्पाइसजेट से 93.9 लाख यात्रियों ने सफर किया था, जो बाजार का 14.9 प्रतिशत हिस्सा है. एयर इंडिया से 69.32 लाख, गो एयर से 54.38 लाख, एयर एशिया इंडिया से 43.87 लाख और विस्तारा से 39.39 लाख यात्रियों ने सफर किया था. यानी अकासा को ज्यादा पैसेंजर हासिल करने के लिए व्यापक रणनीति बनानी होगी.
कभी घाटे के सौदे में हाथ नहीं डालते 'बिग बुल' : भारतीय शेयर बाजार के 'बिग बुल' कह जाने वाले राकेश झुनझुनवाला को भारत के वारेन बफेट भी कहा जाता है. उनकी कुल संपत्ति 5.7 बिलियन डॉलर (अक्टूबर 2021) है. माना जाता है वह कभी घाटे के सौदे में हाथ नहीं डालते. उन्होंने 1985 में 100 डॉलर से जब शेयरों की ट्रेडिंग शुरू की थी, तब बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज इंडेक्स 150 पर ही था. आज शेयर बाजार 59,800 के करीब है. उन्होंने टाटा ग्रुप की लिस्टेड कंपनी टाइटन में सबसे बड़ा निवेश किया है. इसके अलावा झुनझुनवाला के पास स्टार हेल्थ इंश्योरेंस, मेट्रो ब्रांड्स और कॉनकॉर्ड बायोटेक में भी हिस्सेदारी है. उनका स्टॉक ट्रेडिंग फर्म रेयर (RARE) एंटरप्राइजेज का नामाकरण उनके नाम के पहले दो अक्षर और उनकी पत्नी रेखा के नाम से किया गया है. अब उन्होंने आकासा एयर में कुल 247.5 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की है.
लो कॉस्ट एयर ट्रैवल, जो घाटे के कारण बंद हो गई : राकेश झुनझुनवाला ने लो कॉस्ट एयर ट्रैवल कराने का वादा किया है. इससे पहले कैप्टन गोपीनाथ ने एयर डेक्कन के जरिये आम भारतीयों को हवाई जहाज पर सफर करने का सपना पूरा किया था. मगर घाटे के कारण 2003 में शुरू हुई एयर डेक्कन 2007 में किंगफिशर में मर्ज हो गई. फरवरी 2020 में वह पूरी तरह बंद हो गई. जब एयर डेक्कन का किंगफिशर एयरलाइंस के साथ विलय हुआ था तो वह घरेलू क्षेत्र का सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी थी. कंपनी 76 से ज्यादा शहरों में अपनी सेवा देती थी, जिसमें 30 छोटे शहर शामिल थे. कंपनी के बेड़े में 33 एयरबस और 12 एटीआर विमान शामिल थे.
गलत प्रबंधन के कारण बंद हो गई थी जेट एयरवेज : अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज को अपनी सारी उड़ानें बंद करनी पड़ी थी. 2006 में नरेश गोयल ने 3500 करोड़ रुपये कैश देकर एयर सहारा को खरीदा था. बताया जाता है कि यह उनकी सबसे बड़ी भूल थी. भारी भरकम खर्चों के कारण 2010 से जेट एयरवेज का घाटा लगातार बढ़ता गया. अप्रैल 2019 में 8000 करोड़ के कर्ज से लदी इस एयरलाइंस को 400 करोड़ रुपये का इमरजेंसी फंड भी नहीं मिल सका और पैसे की कमी की वजह से इसे अपना ऑपरेशन पूरी तरह रोक देना पड़ा. नरेश गोयल ने अपनी पत्नी अनिता के साथ मिलकर साल 1993 में एयरलाइन कंपनी की शुरुआत की थी.
अभी हालात बदल गए हैं : भारत में एयरपोर्ट की तादाद बढ़ी है. भारत में 103 घरेलू हवाई अड्डे और 24 इंटरनैशनल हवाई अड्डे हैं. एक्सपर्ट के अनुसार, अगर अकासा सही टाइम स्लॉट और जरूरत वाले रूट अपने उड़ान संचालित करेगा तो कभी पैसेंजर कम नहीं पड़ेगे. कंपनी को सस्ते टिकट की पॉलिसी के बजाय बेहतर सुविधा पर फोकस करना होगा. अभी भारत के बाजार में प्राइस वार के लिए माहौल नहीं है. पहले से स्थापित कंपनियां इसके पीछे नहीं भागेंगी. जब अकासा के विमानों की तादाद बढ़ेगी तो इसका असर यह होगा कि एयर टिकट के दाम में स्थिरता आएगी.