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दान की किताबों से शुरू हुई हिंदी साहित्य समिति, आज 33 हजार पुस्तकों और 450 वर्ष पुरानी 1500 पांडुलिपियों का है खजाना

भरतपुर में उत्तर भारत का एक प्रमुख पुस्तकालय ने कई सालों पुरानी किताबों (Bharatpur Hindi Sahitya Samiti) से लेकर बेशकीमती पांडुलिपियों को भी संजोय रखा है. ये करीब 450 साल पुराने हैं. यहां वेद, संस्कृत, ज्ञान, विदेशी इतिहास, भारतीय इतिहास सहित कई पुस्तकें सुरक्षित हैं. लेकिन गुजरते वक्त के साथ इस ज्ञान के भंडार को भी संवारने की जरूरत पड़ी है. पढ़िए ये पूरी रिपोर्ट...

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Published : Jan 10, 2023, 10:19 PM IST

Hindi Sahitya Samiti has ancient books, Bharatpur Library has ancient Manuscripts
दान की किताबों से शुरू हुई हिंदी साहित्य समिति.
किताबों का अनूठा भंडार.

भरतपुर. अपने गौरवशाली इतिहास के लिए दुनिया में पहचाने जाने वाले भरतपुर में एक अनूठा ज्ञान (Bharatpur Hindi Sahitya Samiti) का भंडार भी है. यहां उत्तर भारत का एक प्रमुख पुस्तकालय 111 वर्ष पुरानी हिंदी साहित्य समिति मौजूद है. जिसमें न केवल 44 विषयों की 33 हजार से अधिक पुस्तकें सुरक्षित हैं, बल्कि 450 वर्ष पुरानी बेशकीमती 1500 पांडुलिपियां भी मौजूद हैं. पूर्व राजमाता मांजी गिर्राजकौर की प्रेरणा से शुरू हुई यह हिंदी साहित्य समिति अपने आप में ज्ञान का भंडार है. लेकिन अब इसे संवारने की जरूरत है. इसके लिए सीएम ने आश्वासन दिया है.

ऐसे शुरू हुई समिति : हिंदी साहित्य समिति की स्थापना हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि के उन्नयन, हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं विकास के लिए की गई. समिति की स्थापना 13 अगस्त 1912 में पूर्व राजमाता मांजी गिर्राजकौर की प्रेरणा से अधिकारी जगन्नाथ के नेतृत्व में की गई. बताया जाता है कि उस समय समिति की शुरुआत करने के लिए घर-घर जाकर पुस्तकें इकट्ठा की गईं. सबसे पहले समिति में 5 पुस्तकें रखीं गई जो कि लोगों से मिली थीं.

पढ़ें. अजमेर की फिल्म लाइब्रेरी, बापू की आवाज और हिन्दी सिनेमा का इतिहास इसकी एक पहचान

44 विषयों की 33 हजार से अधिक किताब : हिंदी साहित्य समिति के उपाध्यक्ष गंगाराम पराशर ने बताया कि समिति में वर्तमान में 44 विषयों की 33,363 पुस्तकें सुरक्षित (Hindi Sahitya Samiti has ancient books) हैं. इनमें करीब 450 वर्ष पुरानी 1535 पांडुलिपियां भी हैं. यहां वेद, संस्कृत, ज्ञान, उपनिषद, कर्मकांड, दर्शनशास्त्र, तंत्र-मंत्र, पुराण, प्रवचन, रामायण, महाभारत, ज्योतिष, राजनीति शास्त्र, भूदान, अर्थशास्त्र, प्रश्न शास्त्र, पर्यावरण, काव्य, भूगोल, विदेशी इतिहास, भारतीय इतिहास समेत तमाम विषयों की पुस्तकें और पांडुलिपियां मौजूद हैं.

समिति में आ चुकी हैं कई हस्तियां : गंगाराम पाराशर ने बताया कि हिंदी साहित्य समिति में कई बार अधिवेशन आयोजित हुए. इनमें देश और विदेश की नामचीन हस्तियां भाग ले चुकी हैं. हिंदी साहित्य समिति में वर्ष 1927 में प्रथम अधिवेशन में राष्ट्रकवि रविंद्र नाथ टैगोर समेत कई साहित्यकारों ने भाग लिया. उस समय टैगोर ने यहां नीलमणि लता कविता भी लिखी. इसके अलावा मदनमोहन मालवीय, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन, मोरारजी देसाई, जैनेंद्र कुमार, डॉ राममनोहर लोहिया, पाकिस्तानी नाटककार अली अहमद, रूस के हिंदी विद्वान बारान्निकोव आदि यहां आ चुके हैं.

पढ़ें. Ground Report: RU छात्रों का इंतजार खत्म, सीएम ने दी स्मार्ट सेंट्रल लाइब्रेरी की सौगात

पांडुलिपियों को किया सुरक्षित : हिंदी साहित्य समिति के लिपिक त्रिलोकीनाथ शर्मा ने बताया कि 715 पांडुलिपियों/दुर्लभ पुस्तकों की फोटोकॉपी कराकर पाठकों को उपलब्ध कराई गई है. साथ मूल पांडुलिपियों (Bharatpur Library has ancient Manuscripts) को लेमिनेशन कराकर सुरक्षित रखा गया है. 426 पांडुलिपियों को बस्ते में पैक करके रखा गया है, इनकी अभी बाइंडिंग नहीं हो पाई है.

समिति को बजट का इंतजार : उपाध्यक्ष गंगाराम पाराशर ने बताया कि समिति के लिए लंबे समय से आर्थिक मदद की जरूरत थी. कुछ समय पूर्व समिति को कुर्क करने के हालात पैदा हो गए थे. हिंदी साहित्य समिति में कार्यरत लिपिक त्रिलोकीनाथ शर्मा और लाइब्रेरियन दाऊदयाल शर्मा को मई 2003 से वेतन नहीं दिया जा सका था. इसकी वजह से न्यायालय ने समिति को कुर्क करने के आदेश दे दिए थे. इसके बाद पूरा मामला राज्य सरकार तक पहुंचा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछली बजट घोषणा में भरतपुर की हिंदी साहित्य समिति के लिए 5 करोड़ रुपए की घोषणा कर दी. हालांकि अभी तक यह बजट हिंदी साहित्य समिति को नहीं मिल पाया है. बीते दिनों भरतपुर दौरे पर आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आश्वासन दिया कि जल्द ही यह बजट हिंदी साहित्य समिति को उपलब्ध करा दिया जाएगा.

किताबों का अनूठा भंडार.

भरतपुर. अपने गौरवशाली इतिहास के लिए दुनिया में पहचाने जाने वाले भरतपुर में एक अनूठा ज्ञान (Bharatpur Hindi Sahitya Samiti) का भंडार भी है. यहां उत्तर भारत का एक प्रमुख पुस्तकालय 111 वर्ष पुरानी हिंदी साहित्य समिति मौजूद है. जिसमें न केवल 44 विषयों की 33 हजार से अधिक पुस्तकें सुरक्षित हैं, बल्कि 450 वर्ष पुरानी बेशकीमती 1500 पांडुलिपियां भी मौजूद हैं. पूर्व राजमाता मांजी गिर्राजकौर की प्रेरणा से शुरू हुई यह हिंदी साहित्य समिति अपने आप में ज्ञान का भंडार है. लेकिन अब इसे संवारने की जरूरत है. इसके लिए सीएम ने आश्वासन दिया है.

ऐसे शुरू हुई समिति : हिंदी साहित्य समिति की स्थापना हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि के उन्नयन, हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं विकास के लिए की गई. समिति की स्थापना 13 अगस्त 1912 में पूर्व राजमाता मांजी गिर्राजकौर की प्रेरणा से अधिकारी जगन्नाथ के नेतृत्व में की गई. बताया जाता है कि उस समय समिति की शुरुआत करने के लिए घर-घर जाकर पुस्तकें इकट्ठा की गईं. सबसे पहले समिति में 5 पुस्तकें रखीं गई जो कि लोगों से मिली थीं.

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44 विषयों की 33 हजार से अधिक किताब : हिंदी साहित्य समिति के उपाध्यक्ष गंगाराम पराशर ने बताया कि समिति में वर्तमान में 44 विषयों की 33,363 पुस्तकें सुरक्षित (Hindi Sahitya Samiti has ancient books) हैं. इनमें करीब 450 वर्ष पुरानी 1535 पांडुलिपियां भी हैं. यहां वेद, संस्कृत, ज्ञान, उपनिषद, कर्मकांड, दर्शनशास्त्र, तंत्र-मंत्र, पुराण, प्रवचन, रामायण, महाभारत, ज्योतिष, राजनीति शास्त्र, भूदान, अर्थशास्त्र, प्रश्न शास्त्र, पर्यावरण, काव्य, भूगोल, विदेशी इतिहास, भारतीय इतिहास समेत तमाम विषयों की पुस्तकें और पांडुलिपियां मौजूद हैं.

समिति में आ चुकी हैं कई हस्तियां : गंगाराम पाराशर ने बताया कि हिंदी साहित्य समिति में कई बार अधिवेशन आयोजित हुए. इनमें देश और विदेश की नामचीन हस्तियां भाग ले चुकी हैं. हिंदी साहित्य समिति में वर्ष 1927 में प्रथम अधिवेशन में राष्ट्रकवि रविंद्र नाथ टैगोर समेत कई साहित्यकारों ने भाग लिया. उस समय टैगोर ने यहां नीलमणि लता कविता भी लिखी. इसके अलावा मदनमोहन मालवीय, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन, मोरारजी देसाई, जैनेंद्र कुमार, डॉ राममनोहर लोहिया, पाकिस्तानी नाटककार अली अहमद, रूस के हिंदी विद्वान बारान्निकोव आदि यहां आ चुके हैं.

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पांडुलिपियों को किया सुरक्षित : हिंदी साहित्य समिति के लिपिक त्रिलोकीनाथ शर्मा ने बताया कि 715 पांडुलिपियों/दुर्लभ पुस्तकों की फोटोकॉपी कराकर पाठकों को उपलब्ध कराई गई है. साथ मूल पांडुलिपियों (Bharatpur Library has ancient Manuscripts) को लेमिनेशन कराकर सुरक्षित रखा गया है. 426 पांडुलिपियों को बस्ते में पैक करके रखा गया है, इनकी अभी बाइंडिंग नहीं हो पाई है.

समिति को बजट का इंतजार : उपाध्यक्ष गंगाराम पाराशर ने बताया कि समिति के लिए लंबे समय से आर्थिक मदद की जरूरत थी. कुछ समय पूर्व समिति को कुर्क करने के हालात पैदा हो गए थे. हिंदी साहित्य समिति में कार्यरत लिपिक त्रिलोकीनाथ शर्मा और लाइब्रेरियन दाऊदयाल शर्मा को मई 2003 से वेतन नहीं दिया जा सका था. इसकी वजह से न्यायालय ने समिति को कुर्क करने के आदेश दे दिए थे. इसके बाद पूरा मामला राज्य सरकार तक पहुंचा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछली बजट घोषणा में भरतपुर की हिंदी साहित्य समिति के लिए 5 करोड़ रुपए की घोषणा कर दी. हालांकि अभी तक यह बजट हिंदी साहित्य समिति को नहीं मिल पाया है. बीते दिनों भरतपुर दौरे पर आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आश्वासन दिया कि जल्द ही यह बजट हिंदी साहित्य समिति को उपलब्ध करा दिया जाएगा.

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