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स्वभाव की सरलता ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को बनाया खास

राष्ट्रीय सुरक्षा हालांकि केवल सैन्य दृष्टि से ही नहीं समझी जानी चाहिए और न ही होनी चाहिए. हम सभी को वास्तव में इस बारे में चिंतित होना चाहिए कि हमारी आर्थिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा और हमारे सभी नागरिकों के लिए सभ्य जीवन की सुरक्षा की आवश्यकता है. गरीबी, बीमारी, कुपोषण, अशिक्षा और आश्रयहीन के खिलाफ युद्ध जीतना चाहते हैं. धर्मनिरपेक्ष होना चाहते हैं . यह बात पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 21 जून 1999 को कही थी.

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Published : Aug 16, 2020, 8:01 AM IST

Updated : Aug 16, 2020, 8:55 AM IST

आम से खास हो जाया करते थे अटल बिहारी वाजपेयी
आम से खास हो जाया करते थे अटल बिहारी वाजपेयी

हैदराबाद : इसमें कोई दो राय नहीं की अटल बिहारी वाजपेयी एक महान शख्सियत थे. यहां तक कि उनके आलोचक भी उनके कौशल का लोहा मानते थे. अटल बिहारी वाजपेयी की वाकपटुता, गहरी समझ और आपसी व्यवहार में प्रेम, मित्रता और सामंजस्य उन्हें खास बनाते थे. उनके द्वारा कही गई साधारण बात भी खास हो जाती थी. लोग उनके अंदाज के कायल हो जाते थे. उनके यही गुण उन्हें उनके निजी और सार्वजनिक जीवन में दूसरे से अलग और खास पहचान बनाते थे. आइये याद करते पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा कहे गए और किए गए कुछ खास प्रयासों के बारे में.

पड़ोसी पाकिस्तान को वाजपेयी का संदेश

21 वीं सदी में धर्म के नाम पर या तलवार के बल पर सीमाओं के पुनर्निमाण की अनुमति नहीं है. यह मतभेदों को सुलझाने का वक्त है न कि विवादों को बढ़ाने का.

उनकी सरकार ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली की व्यापक समीक्षा की और सुधारात्मक उपायों की शुरुआत की. इसमें पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम शामिल थे.

उनकी मजबूत सुरक्षा नीति और दूरदर्शी विदेश नीति के संयोजन ने इस्लामाबाद के शासकों को पहली बार जनवरी 2004 में मजबूर किया कि पाकिस्तान अपनी मिट्टी या उसके द्वारा नियंत्रित क्षेत्र को भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा. एनडीए शासन के तहत पहली बार एक अलग सीमा प्रबंधन विभाग और एक रक्षा खुफिया इकाई की स्थापना की गई थी.

कश्मीर पर वाजपेयी का सिद्धांत जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा

कश्मीर मसले पर उन्होंने तीन सिद्धांत दिए - मानवता, लोकतंत्र और कश्मीर के लोगों की पहचान.

वाजपेयी और उनके डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी हुर्रियत और अन्य लोगों के साथ मिले.

उन्होंने जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद और अलगाववाद को कम करने और राज्य में शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए ईमानदार और सफल प्रयास किए. केंद्र सरकार के उनके नेतृत्व में जम्मू और कश्मीर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हुए.

भारत को परमाणु संपन्न देश बनाने का मार्ग प्रशस्त किया

उन्होंने मई 1998 में भारत को परमाणु शक्ति बनाने के लिए एक साहसी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण निर्णय लिया और कई विश्व शक्तियों के विरोध के बावजूद परमाणु परीक्षण किया. उनके नेतृत्व में भारत ने कुछ सुपर शक्तियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया.

1998 में पोखरण परीक्षण के बाद उन्होंने भारत की प्रगति में ज्ञान के महत्व को रेखांकित करने के लिए उन्होंने पोखरण परीक्षण के बाद जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा दिया.

परिवहन प्रणाली को मजबूत करने के लिए कदम उठाए, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम का अनावरण किया

उन्होंने भारत में विश्वस्तरीय राजमार्गों के निर्माण के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना का अनावरण किया, जो उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारों के माध्यम से चार महानगरों (स्वर्णिम चतुर्भुज) और देश के चार कोनों को जोड़ता है.

एनएचडीपी भारत की स्वतंत्रता के बाद सबसे महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है और उस समय यह ग्रैंड ट्रंक रोड (कोलकाता से काबुल) के बाद सबसे बड़ी सड़क निर्माण परियोजना भी थी जिसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य द्वारा शुरू किया गया था और जिसे 16 वीं शताब्दी में शेरशाह सूरी द्वारा पुनर्निर्मित किया गया.

ग्रामीण संपर्क को मजबूती प्रदान करने के लिए उठाया गया कदम, प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना

उन्होंने प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की जिसका उद्देश्य भारत के सभी गांवों और बस्तियों को अच्छी और ऑल वेदर सड़कों से जोड़ना था. यह आजादी के बाद से ग्रामीण संपर्क की सबसे बड़ी परियोजना है.

भारत को डिजिटल बनाने के लिए कदम उठाए

उनकी सरकार ने देश में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए साहसिक कदम उठाए. इसने एक सुधार उन्मुख दूरसंचार क्षेत्र और आईटी नीतियों की शुरुआत की जिसने भारत में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बढ़ावा दिया और भारत को एक सॉफ्टवेयर महाशक्ति बनाने में मदद की.

सर्व शिक्षा अभियान - शिक्षा प्रणाली को गति प्रदान करने के लिए उठाया गया कदम

उनकी सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया जो सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत का प्रमुख कार्यक्रम है.

सुशासन की गरिमा रखी

सद्भाव अटल बिहारी वाजपेयी के सुशासन की पहचान है. प्रधान मंत्री के रूप में उन्होंने केंद्र और राज्यों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों को सुनिश्चित किया.

गठबंधन धर्म निभाया

उन्होंने न केवल 'गठबंधन धर्म' निभाया. गठबंधन नीति का संचालन करने के लिए एक उचित तरीके से, एक सहमत कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्धता के साथ और गठबंधन सहयोगियों के बीच आपसी विश्वास और समझ का माहौल तैयार किया.

भारत को महाशक्ति में बदलने का प्रयास किया

उनके नेतृत्व में भारत ने दुनिया के सभी प्रमुख बिजली ब्लॉकों और राष्ट्रों के साथ मित्रता और सहयोग को बढ़ावा दिया. इससे संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ भारत के संबंध गहरे और व्यापक हो गए. कोलकाता - ढाका बस सेवा उनके शासन में 19 जून 1999 को शुरू हुई.

रूस के साथ हमारे पारंपरिक रूप से मैत्रीपूर्ण संबंध मजबूत हुए. भारत और चीन के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के अलावा उनकी सरकार ने हमारे दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को हल करने के लिए उच्च-स्तरीय बातचीत के लिए एक तंत्र भी शुरू किया. जापान के साथ भारत के संबंधों को एक रणनीतिक स्तर तक बढ़ाने के अलावा, उसने दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी एशिया के देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी को एक नई गति दी.

निजीकरण

व्यापार और उद्योग चलाने में सरकार की भूमिका को कम करने के लिए वाजपेयी सरकार ने अलग से विनिवेश मंत्रालय का गठन किया. सबसे महत्वपूर्ण विनिवेश बाल्को, हिंदुस्तान जिंक, एचपीसीएल और वीएसएनएल थे. ये पहल भविष्य में आने वाली सरकारों के लिए नए लक्ष्य निर्धारित करती है. किसान क्रेडिट कार्ड योजना उनके शासन में (1998 में) शुरू की गई थी

राजकोषीय घाटे में सुधार

वाजपेयी सरकार ने राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम पेश किया जिसका उद्देश्य राजकोषीय घाटे को कम करना था. इसने सार्वजनिक क्षेत्र को बढ़ावा दिया जो वित्त वर्ष 2000 में सकल घरेलू उत्पाद का -0.8% से बढ़कर वित्त वर्ष 2005 में 2.3% हो गया. (स्रोत- ET ऑनलाइन, 25 दिसंबर, 2018)

देश के हवाई अड्डे को विकसित करने के लिए कोर्पोरेशन की जरूरत को समझाया

अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों से पता चलता है कि नए हवाई अड्डों के निर्माण और मौजूदा लोगों को अपग्रेड करने के लिए आवश्यक बड़ी रकम केवल कंपनियों द्वारा ही जुटाई जा सकती है. निगम अपने द्वारा उपलब्ध परिसंपत्तियों का सर्वोत्तम उपयोग करके हवाई अड्डों को अधिक कुशलता से चलाते हैं.

इन सबके अलावा, केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को जनजातीय मामलों के मंत्रालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विभाग जैसे नए विभागों के निर्माण और सामाजिक कल्याण मंत्रालय को सामाजिक न्याय मंत्रालय में परिवर्तित करने का श्रेय दिया जाता है.

इसके अलावा उनके नेतृत्व में तीन नए छोटे राज्यों उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड का निर्माण किया गया. जिसे उनकी सर्वसम्मति की राजनीतिक कौशल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है. इसके अलावा संसद के दोनों सदनों ने आतंकवाद निरोधी अधिनियम (पोटा) को पारित करने के लिए एक ऐतिहासिक संयुक्त सत्र में भाग लिया और राष्ट्रविरोधी हरकतों पर लगाम लगाने का प्रयास किया.

उनमें उन लोगों तक पहुंचने की उल्लेखनीय क्षमता थी जो जिद्दी और अविश्वसनीय होने के लिए जाने जाते थे. नागालैंड, जम्मू और कश्मीर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में उन्होंने दौरा कर लोगों के दिलों को छुआ और इससे इन राज्यों में शांति प्रक्रियाओं में मदद मिली.

उनके कुछ प्रसिद्ध भाषण के अंश -

अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में अपनी 13 दिन की सरकार के गिरने के बाद लोकसभा में कहा

आप देश को चलाना चाहते हैं. यह बहुत अच्छी बात है. हमारी बधाई आपके साथ है. हम पूरी तरह से हमारे देश की सेवा में शामिल होंगे. हम बहुमत की ताकत के सामने झुकते हैं. हम आपको आश्वासन देते हैं कि उन राष्ट्रीय हितों के कार्यक्रम जिन्हें हमने अपने हाथों से शुरू किया जबतक उसे पूरा नहीं कर लेते हम चैन से नहीं बैठेंगे. आदरणीय स्पीकर मैं राष्ट्रपति के पास अपना इस्तीफा देने जा रहा हूं.

2002 में स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए वाजपेयी ने कहा

मेरे प्यारे देशवासियों इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमारे पास एक संदेश है - एक साथ आकर अपने देश के सपनों को साकार करने के लिए मिलकर कड़ी मेहनत करने का. हमारा उद्देश्य अनंत आकाश जितना ऊंचा हो सकता है लेकिन इसके लिए हमारे अंदर एक दृढ़ संकल्प होना चाहिए जीत के लिए कदम मिलाकर हाथों में हाथ डाले आगे बढ़ने का. आइये हम 'जय हिंद' के नारे लगाकर इस संकल्प को और मजबूत करें. मेरे साथ बोलें - जय हिंद. जय हिंद. जय हिंद. जय हिंद.

2000 में अमेरिकी कांग्रेस के एक संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए वाजपेयी ने कहा

नई सदी की सुबह ने हमारे संबंधों में एक नई शुरुआत की है. आइए हम इस वादे और आज की आशा को पूरा करने के लिए काम करें. आइए हम हमारे और हमारी संयुक्त दृष्टि के बीच भ्रम को दूर करें. आइए हम उन सभी ताकत का उपयोग करें जो हमारे पास भविष्य में एक साथ होने के लिए हैं, जो हम अपने लिए चाहते हैं और इस दुनिया के लिए जहां हम रहते हैं.

पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद लोकसभा में वाजपेयी ने कहा

हम तीन हमलों के शिकार हुए हैं. यह भविष्य में दोहराया नहीं जाना चाहिए. हम किसी पर भी हमला करने के लिए तैयार नहीं हैं. हमारा ऐसा कोई इरादा भी नहीं है. मुझसे पोखरण-2 और लाहौर बस सेवा के बीच संबंध के बारे में पूछा गया था. ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं - हमारी मजबूत सुरक्षा और दोस्ती का हाथ. ईमानदारी के जरिए दोस्ती का हाथ.

ओमप्रकाश भसीन पुरस्कार, नई दिल्ली, 21 जून 1999 के दौरान दिए गए भाषण में वाजपेयी ने कहा

राष्ट्रीय सुरक्षा हालांकि केवल सैन्य दृष्टि से ही नहीं समझी जानी चाहिए और न ही होनी चाहिए. हम सभी को वास्तव में इस बारे में चिंतित होना चाहिए कि हमारी आर्थिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा और हमारे सभी नागरिकों के लिए सभ्य जीवन की सुरक्षा की आवश्यकता है. गरीबी, बीमारी, कुपोषण, अशिक्षा और आश्रयहीन के खिलाफ युद्ध जीतना चाहते हैं. धर्म निरपेक्ष होना चाहते हैं.

22 मार्च 2000 में राष्ट्रपति क्लिंटन के भाषण के बाद संसद में दिए गए भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा

भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता है लेकिन एक युवा राष्ट्र है.भारत ने हमेशा पारस्परिक रूप से लाभप्रद पहल के आधार पर आपसी विश्वास के माहौल में अपने पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों को विकसित करने की कोशिश की है. हाल के घटनाक्रमों ने दुर्भाग्य से उनमें से एक के साथ विश्वास के रिश्ते को मिटा दिया है. आतंकवाद की विचारधारा के साथ आतंकवाद की समस्या और नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार के माध्यम से धन प्राप्त करना आज राष्ट्रों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. हमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि क्या हम इस खतरे की जड़ पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त प्रयास कर रहे हैं, जो घृणा और हिंसा पर आधारित है.

संयुक्त राष्ट्र में दिया उनका हिंदी में भाषण और 11 मार्च 2001 में पोर्ट लुई में मॉरीशस विश्वविद्यालय में वैश्वीकरण और स्थानीय मूल्यों के बीच संघर्ष के समाधान मुद्दे पर दिया गया उनका भाषण भी काफी लोकप्रिय है.

हैदराबाद : इसमें कोई दो राय नहीं की अटल बिहारी वाजपेयी एक महान शख्सियत थे. यहां तक कि उनके आलोचक भी उनके कौशल का लोहा मानते थे. अटल बिहारी वाजपेयी की वाकपटुता, गहरी समझ और आपसी व्यवहार में प्रेम, मित्रता और सामंजस्य उन्हें खास बनाते थे. उनके द्वारा कही गई साधारण बात भी खास हो जाती थी. लोग उनके अंदाज के कायल हो जाते थे. उनके यही गुण उन्हें उनके निजी और सार्वजनिक जीवन में दूसरे से अलग और खास पहचान बनाते थे. आइये याद करते पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा कहे गए और किए गए कुछ खास प्रयासों के बारे में.

पड़ोसी पाकिस्तान को वाजपेयी का संदेश

21 वीं सदी में धर्म के नाम पर या तलवार के बल पर सीमाओं के पुनर्निमाण की अनुमति नहीं है. यह मतभेदों को सुलझाने का वक्त है न कि विवादों को बढ़ाने का.

उनकी सरकार ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली की व्यापक समीक्षा की और सुधारात्मक उपायों की शुरुआत की. इसमें पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम शामिल थे.

उनकी मजबूत सुरक्षा नीति और दूरदर्शी विदेश नीति के संयोजन ने इस्लामाबाद के शासकों को पहली बार जनवरी 2004 में मजबूर किया कि पाकिस्तान अपनी मिट्टी या उसके द्वारा नियंत्रित क्षेत्र को भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा. एनडीए शासन के तहत पहली बार एक अलग सीमा प्रबंधन विभाग और एक रक्षा खुफिया इकाई की स्थापना की गई थी.

कश्मीर पर वाजपेयी का सिद्धांत जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा

कश्मीर मसले पर उन्होंने तीन सिद्धांत दिए - मानवता, लोकतंत्र और कश्मीर के लोगों की पहचान.

वाजपेयी और उनके डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी हुर्रियत और अन्य लोगों के साथ मिले.

उन्होंने जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद और अलगाववाद को कम करने और राज्य में शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए ईमानदार और सफल प्रयास किए. केंद्र सरकार के उनके नेतृत्व में जम्मू और कश्मीर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हुए.

भारत को परमाणु संपन्न देश बनाने का मार्ग प्रशस्त किया

उन्होंने मई 1998 में भारत को परमाणु शक्ति बनाने के लिए एक साहसी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण निर्णय लिया और कई विश्व शक्तियों के विरोध के बावजूद परमाणु परीक्षण किया. उनके नेतृत्व में भारत ने कुछ सुपर शक्तियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया.

1998 में पोखरण परीक्षण के बाद उन्होंने भारत की प्रगति में ज्ञान के महत्व को रेखांकित करने के लिए उन्होंने पोखरण परीक्षण के बाद जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा दिया.

परिवहन प्रणाली को मजबूत करने के लिए कदम उठाए, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम का अनावरण किया

उन्होंने भारत में विश्वस्तरीय राजमार्गों के निर्माण के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना का अनावरण किया, जो उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारों के माध्यम से चार महानगरों (स्वर्णिम चतुर्भुज) और देश के चार कोनों को जोड़ता है.

एनएचडीपी भारत की स्वतंत्रता के बाद सबसे महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है और उस समय यह ग्रैंड ट्रंक रोड (कोलकाता से काबुल) के बाद सबसे बड़ी सड़क निर्माण परियोजना भी थी जिसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य द्वारा शुरू किया गया था और जिसे 16 वीं शताब्दी में शेरशाह सूरी द्वारा पुनर्निर्मित किया गया.

ग्रामीण संपर्क को मजबूती प्रदान करने के लिए उठाया गया कदम, प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना

उन्होंने प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की जिसका उद्देश्य भारत के सभी गांवों और बस्तियों को अच्छी और ऑल वेदर सड़कों से जोड़ना था. यह आजादी के बाद से ग्रामीण संपर्क की सबसे बड़ी परियोजना है.

भारत को डिजिटल बनाने के लिए कदम उठाए

उनकी सरकार ने देश में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए साहसिक कदम उठाए. इसने एक सुधार उन्मुख दूरसंचार क्षेत्र और आईटी नीतियों की शुरुआत की जिसने भारत में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बढ़ावा दिया और भारत को एक सॉफ्टवेयर महाशक्ति बनाने में मदद की.

सर्व शिक्षा अभियान - शिक्षा प्रणाली को गति प्रदान करने के लिए उठाया गया कदम

उनकी सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया जो सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत का प्रमुख कार्यक्रम है.

सुशासन की गरिमा रखी

सद्भाव अटल बिहारी वाजपेयी के सुशासन की पहचान है. प्रधान मंत्री के रूप में उन्होंने केंद्र और राज्यों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों को सुनिश्चित किया.

गठबंधन धर्म निभाया

उन्होंने न केवल 'गठबंधन धर्म' निभाया. गठबंधन नीति का संचालन करने के लिए एक उचित तरीके से, एक सहमत कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्धता के साथ और गठबंधन सहयोगियों के बीच आपसी विश्वास और समझ का माहौल तैयार किया.

भारत को महाशक्ति में बदलने का प्रयास किया

उनके नेतृत्व में भारत ने दुनिया के सभी प्रमुख बिजली ब्लॉकों और राष्ट्रों के साथ मित्रता और सहयोग को बढ़ावा दिया. इससे संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ भारत के संबंध गहरे और व्यापक हो गए. कोलकाता - ढाका बस सेवा उनके शासन में 19 जून 1999 को शुरू हुई.

रूस के साथ हमारे पारंपरिक रूप से मैत्रीपूर्ण संबंध मजबूत हुए. भारत और चीन के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के अलावा उनकी सरकार ने हमारे दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को हल करने के लिए उच्च-स्तरीय बातचीत के लिए एक तंत्र भी शुरू किया. जापान के साथ भारत के संबंधों को एक रणनीतिक स्तर तक बढ़ाने के अलावा, उसने दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी एशिया के देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी को एक नई गति दी.

निजीकरण

व्यापार और उद्योग चलाने में सरकार की भूमिका को कम करने के लिए वाजपेयी सरकार ने अलग से विनिवेश मंत्रालय का गठन किया. सबसे महत्वपूर्ण विनिवेश बाल्को, हिंदुस्तान जिंक, एचपीसीएल और वीएसएनएल थे. ये पहल भविष्य में आने वाली सरकारों के लिए नए लक्ष्य निर्धारित करती है. किसान क्रेडिट कार्ड योजना उनके शासन में (1998 में) शुरू की गई थी

राजकोषीय घाटे में सुधार

वाजपेयी सरकार ने राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम पेश किया जिसका उद्देश्य राजकोषीय घाटे को कम करना था. इसने सार्वजनिक क्षेत्र को बढ़ावा दिया जो वित्त वर्ष 2000 में सकल घरेलू उत्पाद का -0.8% से बढ़कर वित्त वर्ष 2005 में 2.3% हो गया. (स्रोत- ET ऑनलाइन, 25 दिसंबर, 2018)

देश के हवाई अड्डे को विकसित करने के लिए कोर्पोरेशन की जरूरत को समझाया

अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों से पता चलता है कि नए हवाई अड्डों के निर्माण और मौजूदा लोगों को अपग्रेड करने के लिए आवश्यक बड़ी रकम केवल कंपनियों द्वारा ही जुटाई जा सकती है. निगम अपने द्वारा उपलब्ध परिसंपत्तियों का सर्वोत्तम उपयोग करके हवाई अड्डों को अधिक कुशलता से चलाते हैं.

इन सबके अलावा, केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को जनजातीय मामलों के मंत्रालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विभाग जैसे नए विभागों के निर्माण और सामाजिक कल्याण मंत्रालय को सामाजिक न्याय मंत्रालय में परिवर्तित करने का श्रेय दिया जाता है.

इसके अलावा उनके नेतृत्व में तीन नए छोटे राज्यों उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड का निर्माण किया गया. जिसे उनकी सर्वसम्मति की राजनीतिक कौशल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है. इसके अलावा संसद के दोनों सदनों ने आतंकवाद निरोधी अधिनियम (पोटा) को पारित करने के लिए एक ऐतिहासिक संयुक्त सत्र में भाग लिया और राष्ट्रविरोधी हरकतों पर लगाम लगाने का प्रयास किया.

उनमें उन लोगों तक पहुंचने की उल्लेखनीय क्षमता थी जो जिद्दी और अविश्वसनीय होने के लिए जाने जाते थे. नागालैंड, जम्मू और कश्मीर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में उन्होंने दौरा कर लोगों के दिलों को छुआ और इससे इन राज्यों में शांति प्रक्रियाओं में मदद मिली.

उनके कुछ प्रसिद्ध भाषण के अंश -

अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में अपनी 13 दिन की सरकार के गिरने के बाद लोकसभा में कहा

आप देश को चलाना चाहते हैं. यह बहुत अच्छी बात है. हमारी बधाई आपके साथ है. हम पूरी तरह से हमारे देश की सेवा में शामिल होंगे. हम बहुमत की ताकत के सामने झुकते हैं. हम आपको आश्वासन देते हैं कि उन राष्ट्रीय हितों के कार्यक्रम जिन्हें हमने अपने हाथों से शुरू किया जबतक उसे पूरा नहीं कर लेते हम चैन से नहीं बैठेंगे. आदरणीय स्पीकर मैं राष्ट्रपति के पास अपना इस्तीफा देने जा रहा हूं.

2002 में स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए वाजपेयी ने कहा

मेरे प्यारे देशवासियों इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमारे पास एक संदेश है - एक साथ आकर अपने देश के सपनों को साकार करने के लिए मिलकर कड़ी मेहनत करने का. हमारा उद्देश्य अनंत आकाश जितना ऊंचा हो सकता है लेकिन इसके लिए हमारे अंदर एक दृढ़ संकल्प होना चाहिए जीत के लिए कदम मिलाकर हाथों में हाथ डाले आगे बढ़ने का. आइये हम 'जय हिंद' के नारे लगाकर इस संकल्प को और मजबूत करें. मेरे साथ बोलें - जय हिंद. जय हिंद. जय हिंद. जय हिंद.

2000 में अमेरिकी कांग्रेस के एक संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए वाजपेयी ने कहा

नई सदी की सुबह ने हमारे संबंधों में एक नई शुरुआत की है. आइए हम इस वादे और आज की आशा को पूरा करने के लिए काम करें. आइए हम हमारे और हमारी संयुक्त दृष्टि के बीच भ्रम को दूर करें. आइए हम उन सभी ताकत का उपयोग करें जो हमारे पास भविष्य में एक साथ होने के लिए हैं, जो हम अपने लिए चाहते हैं और इस दुनिया के लिए जहां हम रहते हैं.

पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद लोकसभा में वाजपेयी ने कहा

हम तीन हमलों के शिकार हुए हैं. यह भविष्य में दोहराया नहीं जाना चाहिए. हम किसी पर भी हमला करने के लिए तैयार नहीं हैं. हमारा ऐसा कोई इरादा भी नहीं है. मुझसे पोखरण-2 और लाहौर बस सेवा के बीच संबंध के बारे में पूछा गया था. ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं - हमारी मजबूत सुरक्षा और दोस्ती का हाथ. ईमानदारी के जरिए दोस्ती का हाथ.

ओमप्रकाश भसीन पुरस्कार, नई दिल्ली, 21 जून 1999 के दौरान दिए गए भाषण में वाजपेयी ने कहा

राष्ट्रीय सुरक्षा हालांकि केवल सैन्य दृष्टि से ही नहीं समझी जानी चाहिए और न ही होनी चाहिए. हम सभी को वास्तव में इस बारे में चिंतित होना चाहिए कि हमारी आर्थिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा और हमारे सभी नागरिकों के लिए सभ्य जीवन की सुरक्षा की आवश्यकता है. गरीबी, बीमारी, कुपोषण, अशिक्षा और आश्रयहीन के खिलाफ युद्ध जीतना चाहते हैं. धर्म निरपेक्ष होना चाहते हैं.

22 मार्च 2000 में राष्ट्रपति क्लिंटन के भाषण के बाद संसद में दिए गए भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा

भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता है लेकिन एक युवा राष्ट्र है.भारत ने हमेशा पारस्परिक रूप से लाभप्रद पहल के आधार पर आपसी विश्वास के माहौल में अपने पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों को विकसित करने की कोशिश की है. हाल के घटनाक्रमों ने दुर्भाग्य से उनमें से एक के साथ विश्वास के रिश्ते को मिटा दिया है. आतंकवाद की विचारधारा के साथ आतंकवाद की समस्या और नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार के माध्यम से धन प्राप्त करना आज राष्ट्रों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. हमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि क्या हम इस खतरे की जड़ पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त प्रयास कर रहे हैं, जो घृणा और हिंसा पर आधारित है.

संयुक्त राष्ट्र में दिया उनका हिंदी में भाषण और 11 मार्च 2001 में पोर्ट लुई में मॉरीशस विश्वविद्यालय में वैश्वीकरण और स्थानीय मूल्यों के बीच संघर्ष के समाधान मुद्दे पर दिया गया उनका भाषण भी काफी लोकप्रिय है.

Last Updated : Aug 16, 2020, 8:55 AM IST
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