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एशिया का दूसरा कुंभ : सम्माक्का सरलाम्मा जतरा में जुटे 40 लाख श्रद्धालु - Sammakka Saralamma Jatara

एशिया के सबसे बड़े आदिवासी मेला सम्माक्का सरलाम्मा जतरा का आयोजन तेलंगाना में किया जाता है. इस मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं. कई राज्यों के लोग चार दिनों के इस आयोजन में शरीक होते हैं. इस मेले में 40 लाख श्रद्धालु जुटते हैं. इसे एशिया का दूसरा कुंभ मेला भी कहा जाता है. जानें पूरा विवरण

Sammakka Saralamma Jatara
सम्माक्का सरलाम्मा जतरा
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Published : Feb 6, 2020, 2:04 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 9:49 AM IST

हैदराबाद : तेलंगाना के मेदारम गांव में समाक्का सरलाम्मा जतरा का आयोजन किया जाता है. बुधवार से इसकी शुरुआत हुई, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की.

दरअसल, मेदारम गांव तेलंगाना के मुलुगु जिले में स्थित है. यहां हर साल समाक्का सरलाम्मा जतरा का आयोजन किया जाता है, जिसे एशिया का सबसे बड़ा आदिवासी (tribal) मेला कहा जाता है. इस साल इटुरंगराम वन्यजीव अभयारण्य में इसका आयोजन किया गया है.

सम्माक्का सरलाम्मा जतरा पर जानकारी देती श्रद्धालु

समाक्का सरलाम्मा जतरा में आने वाले ज्यादातर आदिवासी लोग तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक से होते हैं. इसके अलावा अन्य राज्यों से भी लोग इस चार दिवसीय द्विवार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं.

बुधवार को समाक्का सरलाम्मा जतरा में आने वाले श्रद्धालुओं को देवी-देवताओं को गुड़ अर्पित करने के लिए लंबी कतारों में खड़े देखा गया. इनमें महिलाएं भी शामिल रहीं.

सम्माक्का सरलाम्मा जतरा का आयोजन

इस जतरा में आदिवासी समुदाय के लोग समाक्का और सरक्का, जिसे सरलाम्मा भी कहा जाता है, नाम के देवी-देवता की आराधना करते हैं.

यात्रा के लिए जिला अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग की ओर से 24 घंटे स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंध किया गया है.
इसके लिए सरकार ने एक करोड़ 46 लाख रुपये का बजट आवंटित किया है. इसके अलावा कुल 130 डॉक्टर और 900 लोगों को स्टाफ तैनात किया गया है ताकि यात्रियों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो.

पढ़ें - मोदी सरकार ने राम मंदिर ट्रस्ट को दिया पहला चंदा

बता दें कि आदिवासी वेलफेयर विभाग का ओर से इस तरह के कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इमके माध्यम से लोगों आदिवासी समाज की ओर आकर्षित करने की कोशिश की जाती है.

इस मेले की एक विशेषता यह है भी है कि यह प्लास्टिक मुक्त है. दरअसल, मेदाराम के सरपंच ने यह प्रण लिया है कि वह इस मेले का प्लास्टिक मुक्त आयोजन करेंगे. इसके अलवा सरपंच बाबू राव ने मेले में आने वाले यात्रियों से आग्रह किया है वह मेले में प्लास्टिक का उपयोग न करें.

इसके अलावा मेले में पहली बार भीड़ पर वीडियो कैमरा द्वारा नजर रखी जा रही है.

हैदराबाद : तेलंगाना के मेदारम गांव में समाक्का सरलाम्मा जतरा का आयोजन किया जाता है. बुधवार से इसकी शुरुआत हुई, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की.

दरअसल, मेदारम गांव तेलंगाना के मुलुगु जिले में स्थित है. यहां हर साल समाक्का सरलाम्मा जतरा का आयोजन किया जाता है, जिसे एशिया का सबसे बड़ा आदिवासी (tribal) मेला कहा जाता है. इस साल इटुरंगराम वन्यजीव अभयारण्य में इसका आयोजन किया गया है.

सम्माक्का सरलाम्मा जतरा पर जानकारी देती श्रद्धालु

समाक्का सरलाम्मा जतरा में आने वाले ज्यादातर आदिवासी लोग तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक से होते हैं. इसके अलावा अन्य राज्यों से भी लोग इस चार दिवसीय द्विवार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं.

बुधवार को समाक्का सरलाम्मा जतरा में आने वाले श्रद्धालुओं को देवी-देवताओं को गुड़ अर्पित करने के लिए लंबी कतारों में खड़े देखा गया. इनमें महिलाएं भी शामिल रहीं.

सम्माक्का सरलाम्मा जतरा का आयोजन

इस जतरा में आदिवासी समुदाय के लोग समाक्का और सरक्का, जिसे सरलाम्मा भी कहा जाता है, नाम के देवी-देवता की आराधना करते हैं.

यात्रा के लिए जिला अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग की ओर से 24 घंटे स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंध किया गया है.
इसके लिए सरकार ने एक करोड़ 46 लाख रुपये का बजट आवंटित किया है. इसके अलावा कुल 130 डॉक्टर और 900 लोगों को स्टाफ तैनात किया गया है ताकि यात्रियों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो.

पढ़ें - मोदी सरकार ने राम मंदिर ट्रस्ट को दिया पहला चंदा

बता दें कि आदिवासी वेलफेयर विभाग का ओर से इस तरह के कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इमके माध्यम से लोगों आदिवासी समाज की ओर आकर्षित करने की कोशिश की जाती है.

इस मेले की एक विशेषता यह है भी है कि यह प्लास्टिक मुक्त है. दरअसल, मेदाराम के सरपंच ने यह प्रण लिया है कि वह इस मेले का प्लास्टिक मुक्त आयोजन करेंगे. इसके अलवा सरपंच बाबू राव ने मेले में आने वाले यात्रियों से आग्रह किया है वह मेले में प्लास्टिक का उपयोग न करें.

इसके अलावा मेले में पहली बार भीड़ पर वीडियो कैमरा द्वारा नजर रखी जा रही है.

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Lakhs of devotees from various states descended on Medaram in Telangana’s Mulugu district as Asia’s biggest tribal fair, Sammakka-Saralamma Jatara, began on Wednesday. Devotees, mostly tribals, from Telangana, Andhra Pradesh, Odisha, Chhattisgarh, Madhya Pradesh, Maharashtra, Karnataka and other states are attending the four-day biennial festival at in Eturangaram wildlife sanctuary. The devotees, including women, were standing in long queues to offer jaggery to tribal goddesses Sammakka and Sarakka, also called as Saralamma.
 

Special arrangements for lightening through the Mela period

             

Gopal Rao, CMD of NPDCL, visited the Medaram vicinity. He said that all measures have been taken care to ensure that there is a great deal of un-interrupted power in the first week of February. He said 300 employees have been recruited with 2 members per sub-station to avoid power outages in the area, during the said period.

 

24 hour medical services

 

The District Medical and Health Department is ready to provide 24 hour medical services to the devotees who come here in large numbers. The Government has allocated a budget of Rs 1.46 crore for medical services. The main medical camp with 50 beds was set up at TTD Kalyana Mandapam near Gaddela and 60 camps were set up in the surrounding areas of Jampannavagu and Chilakalagutta. A total of 130 doctors and 900 medical staff will serve in the camps, altogether.  Arrangements have been made to provide medical services and surgeries for pregnant women with general medical care.  Medical specialists from 8 departments of Warangal MGM hospital will be deployed. Around 33 ambulances will be kept ready for any sort of emergency. Until the end of the Mela and till all the devotees retreat, medical services will continue in the vicinity. All the doctors in all the hospitals in Muluga, Yeturinagaram and other hospitals are readied to provide medical services to the piligrims. 

 

Exhibits of Tribal Lifestyle 

 

The tribal welfare department is organizing a number of rituals to attract millions of devotees to the Medaram. The exhibits of the surrounding tribal areas are expected to be a special attraction. Arrangements have been made to organize cultural activities on a regular basis in the Hampi Theater, with hundreds of artists, in line with tribal cultural traditions. From time immemorial to the present day, the paintings of the inhabitants have been made. Today's generation of people who are not familiar with the traditions of the tribes are exposed so beautifully portrayed images of the tribal lifestyles.

 

Plastic-free Mela

The Sarpanch of Medaram, Chidam Baburao has made a commitment to make the Medaram Mela a plastic-free celebration. Sarpanch Babu Rao visited each of the stalls and implored to the vendors to not use the plastic covers for whatever the reason.   He had also made sure that Flexies are put up requesting the devotees to avoid using plastic during the period of conducting the Mela.  Sarpanch Chidambaram Baburao said that the public is taking the initiative to make the Maha Mela a Non-Plastic Free event in the first week of February.

 

Video Analytics Policy

Artificial intelligence will be used for the first time in a large-scale during the Medaram Jatara. Devotees' congestion will be controlled through video analytics. The missing people will be identified through the use of CC cameras and will be tracked on the vehicle fleet.  The police department is making arrangements for the use of Artificial Intelligence in the prestigious Medaram Jatara also known as Telangana Kumbh Mela. 

Conclusion:
Last Updated : Feb 29, 2020, 9:49 AM IST
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