हैदराबाद : तेलंगाना के मेदारम गांव में समाक्का सरलाम्मा जतरा का आयोजन किया जाता है. बुधवार से इसकी शुरुआत हुई, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की.
दरअसल, मेदारम गांव तेलंगाना के मुलुगु जिले में स्थित है. यहां हर साल समाक्का सरलाम्मा जतरा का आयोजन किया जाता है, जिसे एशिया का सबसे बड़ा आदिवासी (tribal) मेला कहा जाता है. इस साल इटुरंगराम वन्यजीव अभयारण्य में इसका आयोजन किया गया है.
समाक्का सरलाम्मा जतरा में आने वाले ज्यादातर आदिवासी लोग तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक से होते हैं. इसके अलावा अन्य राज्यों से भी लोग इस चार दिवसीय द्विवार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं.
बुधवार को समाक्का सरलाम्मा जतरा में आने वाले श्रद्धालुओं को देवी-देवताओं को गुड़ अर्पित करने के लिए लंबी कतारों में खड़े देखा गया. इनमें महिलाएं भी शामिल रहीं.
इस जतरा में आदिवासी समुदाय के लोग समाक्का और सरक्का, जिसे सरलाम्मा भी कहा जाता है, नाम के देवी-देवता की आराधना करते हैं.
यात्रा के लिए जिला अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग की ओर से 24 घंटे स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंध किया गया है.
इसके लिए सरकार ने एक करोड़ 46 लाख रुपये का बजट आवंटित किया है. इसके अलावा कुल 130 डॉक्टर और 900 लोगों को स्टाफ तैनात किया गया है ताकि यात्रियों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो.
पढ़ें - मोदी सरकार ने राम मंदिर ट्रस्ट को दिया पहला चंदा
बता दें कि आदिवासी वेलफेयर विभाग का ओर से इस तरह के कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इमके माध्यम से लोगों आदिवासी समाज की ओर आकर्षित करने की कोशिश की जाती है.
इस मेले की एक विशेषता यह है भी है कि यह प्लास्टिक मुक्त है. दरअसल, मेदाराम के सरपंच ने यह प्रण लिया है कि वह इस मेले का प्लास्टिक मुक्त आयोजन करेंगे. इसके अलवा सरपंच बाबू राव ने मेले में आने वाले यात्रियों से आग्रह किया है वह मेले में प्लास्टिक का उपयोग न करें.
इसके अलावा मेले में पहली बार भीड़ पर वीडियो कैमरा द्वारा नजर रखी जा रही है.