नई दिल्ली : कोरोना वायरस को लेकर देशभर में लॉकडाउन है. इस दौरान प्रवासी कामगारों के लिए अपने नियमित कार्यस्थल पर बने रहना विवशता बन गया है. इन सब विषयों को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है. इसके कठिन परिस्थितियों में किसी भी प्रवासी कामगार को उनके नियोक्ता या मकान मालिक रहने का स्थान खाली नहीं करा पाएंगे.
केंद्र ने अपनी एडवाइजरी में कहा कि चूंकि अन्य प्रवासी श्रमिक पहले से ही या तो अपने गंतव्यों तक पहुंच गए हैं या उस दिशा की ओर बढ़ रहे हैं. उनके स्वास्थ्य से जुड़ी स्थितियों पर आगे की कोई भी कार्रवाई वर्तमान स्थान पर आधारित होंगी.
सरकार ने अपनी एडवाइजरी में साफ शब्दों में कहा है कि बस और रेलवे स्टेशनों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर, जहां बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक मौजूद हैं, वहां जिला स्वास्थ्य प्रशासन प्रतिनियुक्ति करेगा. यह टीम जिसमें जिला निगरानी अधिकारी और सार्वजनिक स्वास्थ्यकर्मी शामिल होंगे.
ऐसे सभी व्यक्तियों (प्रवासी कामगारों) की थर्मल स्क्रीनिंग इस टीम द्वारा की जाएगी. एडवाइजरी में कहा गया है कि कोरोना वायरस (COVID-19) के लक्षण के साथ बुखार से पीड़ित व्यक्तियों को अलग करके अस्पताल में भेजा जाएगा.
सरकारी दिशानिर्देश के अनुसार अगर किसी व्यक्ति में कोरोना के कोई भी लक्षण नहीं पाए जाते हैं, फिर भी उसे तय प्रक्रिया से गुजरना होगा. दूसरी तरफ 60 वर्ष से ऊपर या सह-रुग्णता (किसी भी व्यक्ति में एक से अधिक रोगों का विद्यमान होना) रखने वालों को पृथक वार्ड में स्थानांतरित कर दिया जाएगा और अन्य लोग 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन से गुजरेंगे.
दूसरे मामले में, जहां प्रवासी श्रमिक अपने रास्ते पर हैं, वहां क्वारंटाइन (संगरोध) केंद्र स्थापित किए जाएंगे. एक विशेष संगरोध सुविधा के लिए सौंपे गए सभी श्रमिकों का एक रिकॉर्ड रखा जाएगा.
सभी संगरोध व्यक्ति कोविड-19 के दैनिक चिकित्सा परीक्षा से गुजरेंगे. यदि व्यक्ति में कोरोना के पॉजिटिव गुण पाए जाते हैं, तो सभी करीबी संपर्कों से उसे अलग किया जाएगा और आईसीएमआर परीक्षण दिशानिर्देशों के अनुसार उसका परीक्षण किया जाएगा. सरकारी दिशानिर्देश के अनुसार, प्रवासी श्रमिकों के अपने गंतव्य तक पहुंचने पर जिला प्रशासन द्वारा उनकी पहचान की जाएगी.