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नेहरू-पटेल संबंधों पर जयशंकर के बयान को इतिहासकार गुहा ने किया खारिज

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू और उनकी सरकार में उप प्रधानमंत्री व गृह मंत्री रहे सरदार वल्लभभाई पटेल के आपसी संबंधों को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान पर विवाद उठ खड़ा हुआ है. दरअसल जयशंकर ने एक ट्वीट में एक पुस्तक का हवाला देते हुए लिखा कि पं. नेहरू अपने मंत्रिमंडल में पटेल को शामिल करना नहीं चाहते थे. विदेश मंत्री का यह ट्वीट जाने माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा को नागवार गुजरा. उन्होंने न सिर्फ तत्काल इसका खंडन किया वरन उन्होंने ट्विटर पर ही जयशंकर की तीखी आलोचना कर डाली. पढ़ें इस ट्विटर वार की पूरी खबर....

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Published : Feb 13, 2020, 9:30 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 6:18 AM IST

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस बयान पर विवाद उठ खड़ा हुआ है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अपने मंत्रिमंडल में सरदार वल्लभभाई पटेल को नहीं शामिल करना चाहते थे. एक पुस्तक का हवाला देकर जयशंकर द्वारा किए गए इस ट्वीट का ख्यातिनाम इतिहासकार रामचंद गुहा ने न सिर्फ खंडन किया वरन उन्होंने ट्वीट करते हुए विदेश मंत्री की तीखी आलोचना भी कर दी. गुहा के साथ कुछ कांग्रेस नेताओं ने भी इस बयान के लिए विदेश मंत्री को आड़े हाथों लिया.

जयशंकर ने बुधवार रात एक वरिष्ठ नौकरशाह वी.पी. मेनन की जीवनी के अनावरण से संबंधित एक पोस्ट की थी. मेनन ने पटेल के बेहद करीब रहकर काम किया था. इस किताब को नारायणी बसु ने लिखा है. जयशंकर ने कहा कि किताब ने 'सच्चे ऐतिहासिक व्यक्तित्व के साथ बहुप्रतीक्षित न्याय किया है.'

विदेश मंत्री ने कहा, 'किताब से पता चला कि नेहरू 1947 में अपने मंत्रिमंडल में पटेल को नहीं चाहते थे और उन्हें मंत्रिमंडल की पहली सूची से बाहर रखा था. निश्चित रूप से इस पर काफी बहस की गुंजाइश है. उल्लेखनीय है कि लेखक ने इस रहस्योद्घाटन पर अपना पक्ष रखा है.'

जयशंकर के इस ट्वीट पर गुहा की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई, जिन्होंने कहा, 'यह एक मिथक है, जिसे प्रोफेसर श्रीनाथ राघवन ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है.'

गुहा ने तीखे लहजे में लिखे गए ट्वीट में कहा, 'आधुनिक भारत के निर्माताओं के बारे में फर्जी खबरों, और उनके बीच झूठी प्रतिद्वंद्विता को बढ़ावा देना, विदेश मंत्री का काम नहीं है. उन्हें इसे भाजपा के आईटी सेल पर छोड़ देना चाहिए.'

पढ़ें : जम्मू-कश्मीर मुद्दे से निबटने में नेहरू गलत थे, पटेल सही : रविशंकर प्रसाद

इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि कुछ विदेश मंत्री किताबें पढ़ते हैं और कुछ प्रोफेसरों के लिए भी ये एक अच्छी आदत हो सकती है. उन्होंने कहा, 'ऐसे में मैं चाहूंगा कि मेरे द्वारा कल जारी हुई किताब जरूर पढ़नी चाहिए.'

हालांकि ट्विटर पर बहस यहीं नहीं खत्म हुई. गुहा ने एक अगस्त 1947 को नेहरू द्वारा पटेल को लिखा गया एक पत्र पोस्ट किया. इस पत्र में नेहरू ने आजाद भारत के अपने पहले मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए पटेल को आमंत्रित किया है और उन्हें अपने मंत्रिमंडल का 'सबसे मजबूत स्तंभ' बताया है.

गुहा ने ट्विटर पर पूछा, 'कृपया, क्या कोई इसे जयशंकर को दिखा सकता है.'

पढ़ें : इतिहासकार रामचंद्र गुहा बोले- राहुल गांधी को सांसद बना केरल ने किया विनाशकारी काम

गुहा ने जयशंकर से ट्विटर पर कहा, 'सर, चूंकि आपने जेएनयू से पीएचडी की है तो आपने जरूर मुझसे अधिक किताबें पढ़ी होंगी.'

उन्होंने आगे लिखा, 'उनमें नेहरू और पटेल के प्रकाशित पत्राचार भी रहे होंगे, जो बताते हैं कि नेहरू किस तरह पटेल को एक मजबूत स्तंभ के तौर पर अपने पहले मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते थे. उन किताबों को दोबारा पढ़िए.'

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शशि थरूर और जयराम रमेश ने भी इस बयान के चलते जयशंकर को आड़े हाथों लिया.

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस बयान पर विवाद उठ खड़ा हुआ है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अपने मंत्रिमंडल में सरदार वल्लभभाई पटेल को नहीं शामिल करना चाहते थे. एक पुस्तक का हवाला देकर जयशंकर द्वारा किए गए इस ट्वीट का ख्यातिनाम इतिहासकार रामचंद गुहा ने न सिर्फ खंडन किया वरन उन्होंने ट्वीट करते हुए विदेश मंत्री की तीखी आलोचना भी कर दी. गुहा के साथ कुछ कांग्रेस नेताओं ने भी इस बयान के लिए विदेश मंत्री को आड़े हाथों लिया.

जयशंकर ने बुधवार रात एक वरिष्ठ नौकरशाह वी.पी. मेनन की जीवनी के अनावरण से संबंधित एक पोस्ट की थी. मेनन ने पटेल के बेहद करीब रहकर काम किया था. इस किताब को नारायणी बसु ने लिखा है. जयशंकर ने कहा कि किताब ने 'सच्चे ऐतिहासिक व्यक्तित्व के साथ बहुप्रतीक्षित न्याय किया है.'

विदेश मंत्री ने कहा, 'किताब से पता चला कि नेहरू 1947 में अपने मंत्रिमंडल में पटेल को नहीं चाहते थे और उन्हें मंत्रिमंडल की पहली सूची से बाहर रखा था. निश्चित रूप से इस पर काफी बहस की गुंजाइश है. उल्लेखनीय है कि लेखक ने इस रहस्योद्घाटन पर अपना पक्ष रखा है.'

जयशंकर के इस ट्वीट पर गुहा की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई, जिन्होंने कहा, 'यह एक मिथक है, जिसे प्रोफेसर श्रीनाथ राघवन ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है.'

गुहा ने तीखे लहजे में लिखे गए ट्वीट में कहा, 'आधुनिक भारत के निर्माताओं के बारे में फर्जी खबरों, और उनके बीच झूठी प्रतिद्वंद्विता को बढ़ावा देना, विदेश मंत्री का काम नहीं है. उन्हें इसे भाजपा के आईटी सेल पर छोड़ देना चाहिए.'

पढ़ें : जम्मू-कश्मीर मुद्दे से निबटने में नेहरू गलत थे, पटेल सही : रविशंकर प्रसाद

इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि कुछ विदेश मंत्री किताबें पढ़ते हैं और कुछ प्रोफेसरों के लिए भी ये एक अच्छी आदत हो सकती है. उन्होंने कहा, 'ऐसे में मैं चाहूंगा कि मेरे द्वारा कल जारी हुई किताब जरूर पढ़नी चाहिए.'

हालांकि ट्विटर पर बहस यहीं नहीं खत्म हुई. गुहा ने एक अगस्त 1947 को नेहरू द्वारा पटेल को लिखा गया एक पत्र पोस्ट किया. इस पत्र में नेहरू ने आजाद भारत के अपने पहले मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए पटेल को आमंत्रित किया है और उन्हें अपने मंत्रिमंडल का 'सबसे मजबूत स्तंभ' बताया है.

गुहा ने ट्विटर पर पूछा, 'कृपया, क्या कोई इसे जयशंकर को दिखा सकता है.'

पढ़ें : इतिहासकार रामचंद्र गुहा बोले- राहुल गांधी को सांसद बना केरल ने किया विनाशकारी काम

गुहा ने जयशंकर से ट्विटर पर कहा, 'सर, चूंकि आपने जेएनयू से पीएचडी की है तो आपने जरूर मुझसे अधिक किताबें पढ़ी होंगी.'

उन्होंने आगे लिखा, 'उनमें नेहरू और पटेल के प्रकाशित पत्राचार भी रहे होंगे, जो बताते हैं कि नेहरू किस तरह पटेल को एक मजबूत स्तंभ के तौर पर अपने पहले मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते थे. उन किताबों को दोबारा पढ़िए.'

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शशि थरूर और जयराम रमेश ने भी इस बयान के चलते जयशंकर को आड़े हाथों लिया.

Last Updated : Mar 1, 2020, 6:18 AM IST
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