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जूनागढ़ को लेकर पाकिस्तानी मंसूबों पर भारत ने फेरा था पानी, जानें इतिहास

पाकिस्तान ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया है. इसमें उसने जम्मू-कश्मीर और गुजरात के सर क्रीक को अपना क्षेत्र बताया है. जूनागढ़ को भी अपने नक्शे में शामिल कर लिया है. आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तान ने जूनागढ़ को लेकर दुस्साहस किया था, लेकिन उसकी योजना पर पानी फिर गया. आइए जानते हैं क्या है इसका पूरा इतिहास....

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Published : Aug 8, 2020, 2:59 PM IST

Updated : Aug 9, 2020, 5:01 PM IST

History of Junagadh
जूनागढ़ का इतिहास

हैदराबाद : पाकिस्तान ने हाल ही में नया राजनीतिक नक्शा जारी किया है. इसमें गुजरात के जूनागढ़ को भी अपना क्षेत्र बताया है. यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान ने जूनागढ़ पर दावा पेश किया हो, आजादी के बाद भी उसने अपनी कुत्सित नजरें दौड़ाई थीं, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी थी. दरअसल, जूनागढ़ का इतिहास बहुत ही रोमांचित करने वाला है. आइए जानते हैं इस इतिहास के बार में...

जूनागढ़ का इतिहास

  • अंग्रेजों ने 1947 में रियासतों को एक विकल्प दिया. इसके मुताबिक वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकते हैं. अगर नहीं तो वे स्वतंत्र रह सकते हैं.
  • वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने संकेत दिया (इस कथन का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है) कि रियासत में भारत या पाकिस्तान का सम्मिलित रूप या भौगोलिक रूप से कार्यकाल होना आवश्यक है. इसे भारत या पाकिस्तान के साथ सीमाएं साझा करनी चाहिए.

जूनागढ़ का मामला...

  • जूनागढ़ काठियावाड़ क्षेत्र में था. जूनागढ़ के शासक नवाब महाबतखान रसूलखान थे.
  • जूनागढ़ मुख्य रूप से एक हिंदू बहुत रियासत थी और यहां 85% हिंदू थे. यहां का शासन मुस्लिम था और इस रियासत की सीमा पाकिस्तान से नहीं लगती थी.
  • नवाब द्वारा दिया गया बेतुका कारण यह था कि अरब सागर के माध्यम से पाकिस्तान के साथ इस रियासत की सीमा साझा है.

प्रमुख घटनाएं...

  • मई 1947 में शाह नवाज भुट्टो अपने प्रभाव के तहत जूनागढ़ के नए नवाब बने. नवाब ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया.
  • पाकिस्तान सरकार ने 13 सितंबर, 1947 को एक टेलीग्राम भेजा, जिसमें कहा गया था कि परिग्रहण स्वीकार कर लिया गया है.
  • कई विशेषज्ञों ने यह देखा कि जिन्ना द्वारा कश्मीर पाने के लिए जूनागढ़ को मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए एक चाल चली जा रही थी.
  • भारत का धैर्य जवाब दे रहा था.
  • 24 सितंबर को पटेल के अनुरोध पर सैनिकों की एक ब्रिगेड जूनागढ़ के सीमावर्ती इलाके के पास तैनात की गई.
  • 25 सितंबर को जूनागढ़ के लिए एक अल्पकालीन सरकार का गठन किया गया. इसका अध्यक्ष सामलदास गांधी (महात्मा गांधी के भतीजे) को नियुक्त किया गया. इसके बाद गुजरात का राजकोट हुकुमत का मुख्यालय बन गया.
  • 27 अक्टूबर को भुट्टो ने जिन्ना को जूनागढ़ में अनिश्चित स्थिति के बारे में लिखा.
  • 02 नवंबर को अस्थाई सरकार ने नवलगढ़ शहर पर कब्जा कर लिया.

पाकिस्तान भाग गया नवाब

  • जूनागढ़ का नवाब अपने परिवार, पसंदीदा कुर्त्तों और कीमती सामानों के साथ हवाई मार्ग से कराची भाग गया.
  • 7 नवंबर को भुट्टो ने अस्थाई हुकूमत के प्रमुख सामलदास गांधी के साथ बातचीत की, जिसमें उन्होंने उनसे प्रशासन संभालने और कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए कहा.
  • 8 नवंबर को यानी एक दिन बाद भुट्टो ने अपने अनुरोध को संशोधित किया. क्या भारत सरकार अस्थाई सरकार के बजाय बागडोर स्वीकार करेगी? नया प्रस्ताव पश्चिमी भारत और गुजरात के राज्यों के लिए नई दिल्ली के आयुक्त एनएम बुच के पास गया.
  • 9 नवंबर को राजकोट का कमिश्नर एम एन बुच को बना दिया गया.
  • 20 फरवरी : भारत द्वारा एक जनमत संग्रह को विधिवत आयोजित किया गया.
  • भारत ने संकेत दिया था कि वह जनमत संग्रह के माध्यम से व्यवस्था को औपचारिक बनाना चाहेगा. यह 20 फरवरी, 1948 को आयोजित किया गया था, जिसमें 201457 पंजीकृत मतदाताओं में से 190870 ने वोट डाले. इस संख्या में से केवल 91 ने पाकिस्तान में प्रवेश के पक्ष में अपने वोट डाले.
  • मानवधर, मांगरोल, बबरियावाड़ और दो अन्य क्षेत्रों में अलग मतदान हुआ.
  • इन क्षेत्रों में डाले गए 31,434 मतों में से केवल 39 पाकिस्तान के लिए थे.

पाकिस्तान जूनागढ़ को कश्मीर पाने के लिए मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने के अपने प्रयास में विफल रहा. आज फिर से कश्मीर मुद्दे से जुड़ने के लिए पाकिस्तान उसी पुरानी विफल चाल का सहारा ले रहा है.

हैदराबाद : पाकिस्तान ने हाल ही में नया राजनीतिक नक्शा जारी किया है. इसमें गुजरात के जूनागढ़ को भी अपना क्षेत्र बताया है. यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान ने जूनागढ़ पर दावा पेश किया हो, आजादी के बाद भी उसने अपनी कुत्सित नजरें दौड़ाई थीं, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी थी. दरअसल, जूनागढ़ का इतिहास बहुत ही रोमांचित करने वाला है. आइए जानते हैं इस इतिहास के बार में...

जूनागढ़ का इतिहास

  • अंग्रेजों ने 1947 में रियासतों को एक विकल्प दिया. इसके मुताबिक वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकते हैं. अगर नहीं तो वे स्वतंत्र रह सकते हैं.
  • वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने संकेत दिया (इस कथन का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है) कि रियासत में भारत या पाकिस्तान का सम्मिलित रूप या भौगोलिक रूप से कार्यकाल होना आवश्यक है. इसे भारत या पाकिस्तान के साथ सीमाएं साझा करनी चाहिए.

जूनागढ़ का मामला...

  • जूनागढ़ काठियावाड़ क्षेत्र में था. जूनागढ़ के शासक नवाब महाबतखान रसूलखान थे.
  • जूनागढ़ मुख्य रूप से एक हिंदू बहुत रियासत थी और यहां 85% हिंदू थे. यहां का शासन मुस्लिम था और इस रियासत की सीमा पाकिस्तान से नहीं लगती थी.
  • नवाब द्वारा दिया गया बेतुका कारण यह था कि अरब सागर के माध्यम से पाकिस्तान के साथ इस रियासत की सीमा साझा है.

प्रमुख घटनाएं...

  • मई 1947 में शाह नवाज भुट्टो अपने प्रभाव के तहत जूनागढ़ के नए नवाब बने. नवाब ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया.
  • पाकिस्तान सरकार ने 13 सितंबर, 1947 को एक टेलीग्राम भेजा, जिसमें कहा गया था कि परिग्रहण स्वीकार कर लिया गया है.
  • कई विशेषज्ञों ने यह देखा कि जिन्ना द्वारा कश्मीर पाने के लिए जूनागढ़ को मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए एक चाल चली जा रही थी.
  • भारत का धैर्य जवाब दे रहा था.
  • 24 सितंबर को पटेल के अनुरोध पर सैनिकों की एक ब्रिगेड जूनागढ़ के सीमावर्ती इलाके के पास तैनात की गई.
  • 25 सितंबर को जूनागढ़ के लिए एक अल्पकालीन सरकार का गठन किया गया. इसका अध्यक्ष सामलदास गांधी (महात्मा गांधी के भतीजे) को नियुक्त किया गया. इसके बाद गुजरात का राजकोट हुकुमत का मुख्यालय बन गया.
  • 27 अक्टूबर को भुट्टो ने जिन्ना को जूनागढ़ में अनिश्चित स्थिति के बारे में लिखा.
  • 02 नवंबर को अस्थाई सरकार ने नवलगढ़ शहर पर कब्जा कर लिया.

पाकिस्तान भाग गया नवाब

  • जूनागढ़ का नवाब अपने परिवार, पसंदीदा कुर्त्तों और कीमती सामानों के साथ हवाई मार्ग से कराची भाग गया.
  • 7 नवंबर को भुट्टो ने अस्थाई हुकूमत के प्रमुख सामलदास गांधी के साथ बातचीत की, जिसमें उन्होंने उनसे प्रशासन संभालने और कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए कहा.
  • 8 नवंबर को यानी एक दिन बाद भुट्टो ने अपने अनुरोध को संशोधित किया. क्या भारत सरकार अस्थाई सरकार के बजाय बागडोर स्वीकार करेगी? नया प्रस्ताव पश्चिमी भारत और गुजरात के राज्यों के लिए नई दिल्ली के आयुक्त एनएम बुच के पास गया.
  • 9 नवंबर को राजकोट का कमिश्नर एम एन बुच को बना दिया गया.
  • 20 फरवरी : भारत द्वारा एक जनमत संग्रह को विधिवत आयोजित किया गया.
  • भारत ने संकेत दिया था कि वह जनमत संग्रह के माध्यम से व्यवस्था को औपचारिक बनाना चाहेगा. यह 20 फरवरी, 1948 को आयोजित किया गया था, जिसमें 201457 पंजीकृत मतदाताओं में से 190870 ने वोट डाले. इस संख्या में से केवल 91 ने पाकिस्तान में प्रवेश के पक्ष में अपने वोट डाले.
  • मानवधर, मांगरोल, बबरियावाड़ और दो अन्य क्षेत्रों में अलग मतदान हुआ.
  • इन क्षेत्रों में डाले गए 31,434 मतों में से केवल 39 पाकिस्तान के लिए थे.

पाकिस्तान जूनागढ़ को कश्मीर पाने के लिए मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने के अपने प्रयास में विफल रहा. आज फिर से कश्मीर मुद्दे से जुड़ने के लिए पाकिस्तान उसी पुरानी विफल चाल का सहारा ले रहा है.

Last Updated : Aug 9, 2020, 5:01 PM IST
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