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पर्यावरण दिवस 2020 : आबोहवा में आज भी घुल रहा कपड़ा कारखानों से निकलने वाला जहर

राजस्थान का भीलवाड़ा कपड़ा नगरी के नाम से प्रसिद्ध है, लेकिन कपड़ा कारखानों से निकलने वाली जहरीली गैस और केमिकल जिले की हवा-पानी को दूषित कर रही है. कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ मनुष्यों के लिए घातक है.

toxic chemical from textile factory
कारखानों से निकलने वाले केमिकल
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Published : Jun 5, 2020, 1:59 PM IST

भीलवाड़ा : हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. यह दिन मनुष्यों को विकास के इस दौर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान फैक्ट्रियों, कारखानों से निकलने वाले धुंए, केमिकल्स और अपशिष्ट पदार्थ पहुंचा रहे हैं. जिले में स्थापित सैकड़ों कपड़े की इकाईयां हवा में जहर घोल रही हैं.

वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले में कपड़ा उद्योग से संबंधित लगभग 450 औद्योगिक इकाइयां हैं. इन औद्योगिक इकाइयों से दिनों-दिन प्रदूषण फैल रहा है. सरकार द्वारा तय मापदंडों के अनुसार ये औद्योगिक इकाइयां नहीं चल रही है. प्रदूषण नियंत्रण विभाग सिर्फ विश्व पर्यावरण दिवस को ही लोगों को जागरूक कर इतिश्री कर लेता है.

  • भीलवाड़ा में 450 कपड़ा उद्योग की इकाइयां हैं
  • सरकार के मापदंड पर नहीं चल रही फैक्ट्रियां
  • फैक्ट्रियों से हवा में घुल रही SO₂ व NO जैसी जहरीले गैस
  • उद्योगों से निकलने वाले पानी से जल स्रोत भी हो रहें प्रदूषित
  • पर्यावरणविदों की राय- अधिक पेड़-पौधे ही प्रदूषण को कर सकते हैं नियंत्रित
    देखें पर्यावरण दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट.

भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग का कहना है कि वर्तमान में उद्योगों के लिए पर्यावरण विभाग ने नया मापदंड तय किया है. इसमें फैक्ट्रियों से बाहर पानी नहीं आ रहा है. साथ ही गर्ग कहते हैं कि उद्योग चलाने से प्रदूषण फैलता है और उद्योग प्रदूषण स्वयं फैलाते हैं, इन दोनों बातों में अंतर है. पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हम सब उद्योगपतियों को भी आगे आना होगा.

यह भी पढ़ें- विश्व पर्यावरण दिवस 2020 : इस वर्ष कोलंबिया बना मेजबान, पूर्व भारतीय राजनयिक देंगे व्याख्यान

पीपुल्स फॉर एनिमल के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू जिले में प्रदूषण की स्थिति पर कहते हैं कि वस्त्र इकाइयों से जल प्रदूषण फैल रहा है. एशिया में टू व्हीलर और फोर व्हीलर वाहनों के संख्या के अनुपात में भी भीलवाड़ा नंबर वन पर है. उद्योग से निकलने वाली हवाओं से निकलने वाला धुआं घातक है. वहीं, उद्योग प्रदूषित पानी भी छोड़ रहे हैं, लेकिन हम लोगों को जागरूक होना पड़ेगा. जाजू ने कहा कि हमें भी हफ्ते में एक दिन बैटरी चलित वाहन का उपयोग करना होगा.

माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय में वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल जागेटिया बताते हैं कि वस्त्र नगरी में यहां विभिन्न प्रोसेसिंग और स्पिनिंग इकाइयां हैं. अधिकतर प्रोसेसिंग इकाइयों से जल प्रदूषण बहुत ज्यादा होता है. इसके साथ-साथ वायु प्रदूषण भी होता है इसलिए हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाना चाहिए, जिससे वायु प्रदूषण से निजात मिलेगी. उनका कहना है कि जल प्रदूषण को रोकने के लिए औद्योगिक इकाइयों के मालिकों को पाबंद करना होगा.

यह भी पढ़ें- विश्व पर्यावरण दिवस आज : पर्यावरण, मानव हस्तक्षेप और महामारी

भीलवाड़ा उपवन संरक्षक देवेंद्र प्रताप सिंह जागावत ने कहा कि भीलवाड़ा जिले में वनों के घनत्व को बढ़ाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए. इन पौधों को पूरे साल लगाते रहना चाहिए. जिससे औद्योगिक इकाइयों से जो प्रदूषण फैल रहा है, उससे निजात पाई जा सके.

भीलवाड़ा : हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. यह दिन मनुष्यों को विकास के इस दौर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान फैक्ट्रियों, कारखानों से निकलने वाले धुंए, केमिकल्स और अपशिष्ट पदार्थ पहुंचा रहे हैं. जिले में स्थापित सैकड़ों कपड़े की इकाईयां हवा में जहर घोल रही हैं.

वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले में कपड़ा उद्योग से संबंधित लगभग 450 औद्योगिक इकाइयां हैं. इन औद्योगिक इकाइयों से दिनों-दिन प्रदूषण फैल रहा है. सरकार द्वारा तय मापदंडों के अनुसार ये औद्योगिक इकाइयां नहीं चल रही है. प्रदूषण नियंत्रण विभाग सिर्फ विश्व पर्यावरण दिवस को ही लोगों को जागरूक कर इतिश्री कर लेता है.

  • भीलवाड़ा में 450 कपड़ा उद्योग की इकाइयां हैं
  • सरकार के मापदंड पर नहीं चल रही फैक्ट्रियां
  • फैक्ट्रियों से हवा में घुल रही SO₂ व NO जैसी जहरीले गैस
  • उद्योगों से निकलने वाले पानी से जल स्रोत भी हो रहें प्रदूषित
  • पर्यावरणविदों की राय- अधिक पेड़-पौधे ही प्रदूषण को कर सकते हैं नियंत्रित
    देखें पर्यावरण दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट.

भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग का कहना है कि वर्तमान में उद्योगों के लिए पर्यावरण विभाग ने नया मापदंड तय किया है. इसमें फैक्ट्रियों से बाहर पानी नहीं आ रहा है. साथ ही गर्ग कहते हैं कि उद्योग चलाने से प्रदूषण फैलता है और उद्योग प्रदूषण स्वयं फैलाते हैं, इन दोनों बातों में अंतर है. पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हम सब उद्योगपतियों को भी आगे आना होगा.

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पीपुल्स फॉर एनिमल के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू जिले में प्रदूषण की स्थिति पर कहते हैं कि वस्त्र इकाइयों से जल प्रदूषण फैल रहा है. एशिया में टू व्हीलर और फोर व्हीलर वाहनों के संख्या के अनुपात में भी भीलवाड़ा नंबर वन पर है. उद्योग से निकलने वाली हवाओं से निकलने वाला धुआं घातक है. वहीं, उद्योग प्रदूषित पानी भी छोड़ रहे हैं, लेकिन हम लोगों को जागरूक होना पड़ेगा. जाजू ने कहा कि हमें भी हफ्ते में एक दिन बैटरी चलित वाहन का उपयोग करना होगा.

माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय में वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल जागेटिया बताते हैं कि वस्त्र नगरी में यहां विभिन्न प्रोसेसिंग और स्पिनिंग इकाइयां हैं. अधिकतर प्रोसेसिंग इकाइयों से जल प्रदूषण बहुत ज्यादा होता है. इसके साथ-साथ वायु प्रदूषण भी होता है इसलिए हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाना चाहिए, जिससे वायु प्रदूषण से निजात मिलेगी. उनका कहना है कि जल प्रदूषण को रोकने के लिए औद्योगिक इकाइयों के मालिकों को पाबंद करना होगा.

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भीलवाड़ा उपवन संरक्षक देवेंद्र प्रताप सिंह जागावत ने कहा कि भीलवाड़ा जिले में वनों के घनत्व को बढ़ाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए. इन पौधों को पूरे साल लगाते रहना चाहिए. जिससे औद्योगिक इकाइयों से जो प्रदूषण फैल रहा है, उससे निजात पाई जा सके.

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