कोटा : पेड़ और पर्यावरण को बचाने की जद्दोजहद पूरे देश में चल रही है. जिन इलाकों में घने जंगल हैं, वहीं पर्यावरण संतुलन बना हुआ है. लेकिन जाने अंजाने किसी न किसी काम के लिए लगातार पेड़ों की कटाई की जा रही है. इससे हमारे पर्यावरण पर भी संकट गहराता जा रहा है.
औद्योगिक इकाइयां खड़ी करनी हो या सड़के बनानी हो, सबसे पहले पेड़ों की कटाई की जाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट 'भारतमाला' के लिए भी कोटा के टाइगर हिल्स के जंगलों को काटने की नौबत आ गई थी. लेकिन राहत की खबर यह है कि अब यहां हाईवे बनाने के लिए पेड़ों की कटाई नहीं की जाएगी.
'भारतमाला' प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है. इसमें दिल्ली से मुंबई तक एक्सप्रेस-वे बनना है. यह मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के बीचों बीच से निकलेगा. यहां पिलर की सहायता से 7 किलोमीटर लंबा हाईवे बनना था, लेकिन वन विभाग और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने प्लान में बदलाव किया है.
अब यह प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व से सुरंग के जरिए निकाला जाएगा. इससे करीब ढाई लाख पेड़ कटने से बचेंगे. भूमिगत सुरंग बनाने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया करीब 1500 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर भेज चुका है, जो स्वीकृति मिलने के अंतिम चरण में है.
![Bharatmala project to go through tunnel between Mukundara Tiger Reserve](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7483579_kttt.jpg)
क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट
देश की आर्थिक रफ्तार को और तेज करने के लिए नेशनल हाईवे से देश की सीमाओं और कोस्टल एरिया को जोड़े जाने का निर्णय लिया गया है. सरकार ने इस परियोजना को 'भारतमाला' नाम दिया है. इस परियोजना का काम सात चरणों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत देशभर में कुल 34,800 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया जाना है. इस योजना को पूरा करने में कुल 5,35,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे.
![National Highway Authority of India changed its decision](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7483579_ktttt.jpg)
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कोटा-झालावाड़ हाईवे भी भारतमाला में होगा समाहित
कोटा से झालावाड़ जाने वाला पूरा हाईवे तैयार हो गया है, लेकिन दरा के जंगल यानी कि मुकुंदरा के बीच से निकल रहा रास्ता अभी बचा है. इस पर कई बार ट्रैफिक जाम हो जाता है और घंटों वाहन फंस जाते हैं. यह रास्ता टाइगर रिजर्व के बीच से निकलता है. इस वजह से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय इसे चौड़ा करने की अनुमति नहीं दे रहा है.
ऐसे में इस हाईवे का निर्माण कार्य आज तक नहीं हो पाया है. लेकिन अब जब सुरंग के जरिए भारतमाला प्रोजेक्ट को निकाला जा रहा है, तो उसी रास्ते में कोटा झालावाड़ हाईवे के सात किलोमीटर के हिस्से को भी जोड़ दिया जाएगा. इससे अलग से रास्ते की जरूरत नहीं होगी.
वन विभाग ने जताई थी आपत्ति
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के बीचों बीच पहले पिलर खड़े करते हुए वायाडक्ट बनाने का प्लान था. इसमें पुल की मदद से हाईवे को निकाला जा रहा था. यह सात किलोमीटर लंबा रास्ता था. इसके निर्माण के दौरान भी गतिविधि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में होती. साथ ही निर्माण के बाद जब वाहन पुल के ऊपर से गुजरते तो उनके शोर के कारण जानवरों को भी परेशानी होती. इससे पूरा जंगल दो हिस्सों में बंट जाता. इसके चलते वन विभाग ने इस पर आपत्ति जता दी थी. ऐसे में अब यहां से भूमिगत सुरंग निकाली जा रही है. ताकि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में रहने वाले वन्यजीवों को कोई परेशानी नहीं हो.
![Mukundara Tiger Reserve](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7483579_kt.jpg)
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3.5 किलोमीटर लंबी भूमिगत सुरंग बनेगी
एनएचएआई की प्लानिंग के अनुसार आठ लाइन की लंबी भूमिगत सुरंग मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के बीचो-बीच निकाली जाएगी. यह सुरंग राजस्थान की सबसे लंबी भूमिगत हाईवे सुरंग होगी. यह सुरंग भारतमाला प्रोजेक्ट का एक्सप्रेसवे नेशनल हाइवे 52 को जयपुर के गोपालपुरा गांव के पास क्रॉस करेगी.
गोपालपुरा गांव से करीब तीन किलोमीटर दूर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व का एरिया शुरू होता है. वहीं से हाईवे सुरंग शुरू होगी और कोटा के रामगंजमंडी में जहां पर मुकंदरा नेशनल पार्क का एरिया खत्म हो रहा, वहां पर यह सुरंग खत्म होगी. इसमें आने की सुरंग अलग होगी और जाने की सुरंग अलग होगी. दोनों सुरंगे चार-चार लेन की होंगी. साथ ही इनकी चौड़ाई 17.50 मीटर होगी.