नई दिल्ली : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन के अंतिम 144 दिन जिस बिड़ला हाउस में व्यतीत किए थे, वह अब गांधी स्मृति बन गया है. यह उस समय बिड़ला ग्रुप के संस्थापक जीडी बिड़ला का घर हुआ करता था, जिसे उन्होंने महात्मा गांधी को रहने के लिए दिया था. 30 जनवरी 1948 की शाम गांधी जी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी
30 जनवरी मार्ग रखा गया नाम
बिड़ला हाउस अल्बूकर्क रोड पर स्थित था. लेकिन 30 जनवरी 1948 की घटना के बाद इस सड़क का भी नाम बदल गया और इस जगह का भी. इस सड़क को अब 30 जनवरी मार्ग के नाम से जाना जाता है और बिड़ला हाउस को गांधी स्मृति के नाम से. गांधी स्मृति में वो खाट अब तक सुरक्षित है, जिस पर गांधी जी लेटा करते थे. वह जगह अब तक वैसी ही है, जहां पर बापू का पार्थिव शरीर रखा गया था.
जिस जगह बैठकर गांधी जी लोगों से मिला करते थे, जो उनका शयनकक्ष था, उन सबकी यादें अब तक जिंदा हैं. महात्मा गांधी की लाठी, उनका चश्मा, उनका खड़ाऊ, सब कुछ यहीं रखा है.
स्मृति में लगा शिला पट
महात्मा गांधी अपने शयनकक्ष से जिस रास्ते से होते हुए उस बगीचे तक पहुंचे थे, जहां प्रार्थना सभा होती थी. उस रास्ते से ही ईटीवी भारत की टीम वहां तक पहुंची, जहां गांधी जी को गोली मारी गई थी. जिस जगह पर महात्मा गांधी की हत्या हुई, वहां पर उनकी स्मृति में एक शिला पट लगाया गया है, जिस पर हे राम' अंकित है, जो महात्मा गांधी के मुख से निकले अंतिम शब्द थे.
शिला पट पर 30 जनवरी की तारीख और शाम 5:17 का समय अंकित है, जब गांधी जी को गोली मारी गई थी.यहीं से थोड़ी दूरी पर वह जगह भी है, जहां प्रार्थना सभा हुआ करती थी, जहां पर उससे ठीक एक दिन पहले यानी 29 जनवरी को महात्मा गांधी ने प्रार्थना सभा की थी और लोगों से मिले थे. यहां देश-विदेश के हजारों लोग हर दिन गांधी जी के अंतिम समय की यादों को देखने, महसूस करने आते हैं.
गांधी जी आज नहीं हैं, लेकिन इस जगह पर उनसे जुड़े संदेश पग-पग पर दिखते हैं और वर्तमान भारत को प्रेरित करते हैं, गांधी जी का भारत बने रहने के लिए.