वाराणसी : बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में भाईदूज के पर्व पर एक अनोखी परंपरा भी निभाई जाती है. इस पर्व के मौके पर बहनें भाई को खूब गालियां देतीं हैं. इसके बाद जीभ पर जंगली पौधे का कांटा चुभाकर क्षमा मांगती है. बहनों के मुताबिक इस परंपरा के निर्वहन से भाई दीर्घायु होता है.
भाईदूज के मौके पर काशी के विभिन्न कुंडों और तालाबों के पास बहनों ने पूजन के स्थान को गाय के गोबर से लीपा. इसके बाद यमराज, भाट और भाटिनी के चित्र बनाकर भाईदूज का पूजन किया. यह पूजन प्रसिद्ध माता कुंड, शंकुधारा कुंड, लक्ष्मी कुंड, रामकुंड और विभिन्न शिवालयों के प्रांगण में संपन्न हुआ. इस दौरान बड़ी संख्या में बहनें मौजूद रहीं.
बहन निशा वर्मा ने बताया कि दीपावली के दूसरे दिन भाईदूज का पर्व मनाया जाता है. इस दिन हम लोग चना कूटते हैं. मिठाई के साथ भाई को चना भी खिलाते हैं. चूंकि यह भाईदूज का पर्व है. इस कारण इसमें दो कथाएं पढ़ीं जाती हैं. इसके बाद शुरू होता है भाई को श्राप देने का सिलसिला. बहनें भाई को गालियां देतीं हैं. इसके बाद क्षमा प्रार्थना के लिए जीभ पर जंगली पौधे का कांटा चुभातीं हैं.
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बहनें क्षमा मांगतीं हैं कि उन्होंने जो भी श्राप अपने भाई को दिया है वह उसे न लगे. उनके मुताबिक यह परंपरा बरसों से चली आ रही है. इसी के तहत बहनें भाई को गाली देतीं हैं. उन्होंने कहा कि इस परंपरा का उद्धेश्य भाइयों की लंबी आयु की कामना है. जीभ पर कांटा चुभाकर बहनें एक तरह से अपनी कही गई बात पर पश्चाताप करतीं हैं और भाई के लिए दीर्घायु की कामना करतीं हैं.