ETV Bharat / bharat

बंगाल सरकार गंगासागर मेला प्रतिबंधित करने के अनुरोध पर करे विचार: अदालत

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार की गंभीरता को देखते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि राज्य इस वर्ष मेले पर प्रतिबंध लगाने की याचिका (plea for banning Gangasagar Mela) पर गंभीरता से विचार करेगा और इस संबंध में निर्णय लेगा. उसने कहा कि राज्य सरकार को फैसला लेते समय इस अदालत के पहले के उस आदेश को ध्यान में रखना चाहिए जिसमें कहा गया था कि जीवन धार्मिक प्रथाओं, विश्वासों और आस्था की तुलना में हर मायने में अधिक महत्वपूर्ण है.

कलकत्ता उच्च न्यायालय
कलकत्ता उच्च न्यायालय
author img

By

Published : Jan 6, 2022, 7:29 AM IST

Updated : Jan 6, 2022, 10:39 AM IST

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय (Culcutta High Court) ने बुधवार को कहा कि वह उम्मीद करता है कि पश्चिम बंगाल सरकार कोविड-19 मामलों के प्रसार की गंभीरता को देखते हुए इस साल गंगासागर मेले पर प्रतिबंध लगाने की याचिका (plea to ban Gangasagar Mela this year) पर गंभीरता से विचार करेगी. राज्य सरकार ने कहा कि वह अपने फैसले के बारे में अदालत को आज (गुरुवार) सूचित करेगी.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस केडी भूटिया की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की जिसमें इस साल के गंगासागर मेले को महामारी के कारण रोक देने का अनुरोध (Request to ban Gangasagar Mela due to pandemic) किया गया था. पीठ ने महाधिवक्ता की दलील पर गौर किया जिन्होंने कहा कि राज्य के अधिकारी याचिका पर विचार करेंगे और मेले पर प्रतिबंध लगाने या फिर भीड़ को नियंत्रित करने के उपाय करने के संबंध में उचित निर्णय लेंगे.

पीठ ने कहा कि महाधिवक्ता ने यह आश्वासन दिया है कि इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा और सक्षम प्राधिकारी का हलफनामा आज दोपहर दो बजे तक अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार की गंभीरता को देखते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि राज्य इस वर्ष मेले पर प्रतिबंध लगाने की याचिका (plea for banning Gangasagar Mela) पर गंभीरता से विचार करेगा और इस संबंध में निर्णय लेगा. उसने कहा कि राज्य सरकार को फैसला लेते समय इस अदालत के पहले के उस आदेश को ध्यान में रखना चाहिए जिसमें कहा गया था कि जीवन धार्मिक प्रथाओं, विश्वासों और आस्था की तुलना में हर मायने में अधिक महत्वपूर्ण है.

अदालत ने कहा कि गंगा नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर पवित्र डुबकी के दौरान मुंह और नाक से निकलने वाली बूंदों के कारण वायरस के फैलने की आशंका और तीर्थयात्रियों के अलावा अन्य लोगों की सुरक्षा के बारे में भी राज्य को सावधान रहना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय (Culcutta High Court) ने बुधवार को कहा कि वह उम्मीद करता है कि पश्चिम बंगाल सरकार कोविड-19 मामलों के प्रसार की गंभीरता को देखते हुए इस साल गंगासागर मेले पर प्रतिबंध लगाने की याचिका (plea to ban Gangasagar Mela this year) पर गंभीरता से विचार करेगी. राज्य सरकार ने कहा कि वह अपने फैसले के बारे में अदालत को आज (गुरुवार) सूचित करेगी.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस केडी भूटिया की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की जिसमें इस साल के गंगासागर मेले को महामारी के कारण रोक देने का अनुरोध (Request to ban Gangasagar Mela due to pandemic) किया गया था. पीठ ने महाधिवक्ता की दलील पर गौर किया जिन्होंने कहा कि राज्य के अधिकारी याचिका पर विचार करेंगे और मेले पर प्रतिबंध लगाने या फिर भीड़ को नियंत्रित करने के उपाय करने के संबंध में उचित निर्णय लेंगे.

पीठ ने कहा कि महाधिवक्ता ने यह आश्वासन दिया है कि इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा और सक्षम प्राधिकारी का हलफनामा आज दोपहर दो बजे तक अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार की गंभीरता को देखते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि राज्य इस वर्ष मेले पर प्रतिबंध लगाने की याचिका (plea for banning Gangasagar Mela) पर गंभीरता से विचार करेगा और इस संबंध में निर्णय लेगा. उसने कहा कि राज्य सरकार को फैसला लेते समय इस अदालत के पहले के उस आदेश को ध्यान में रखना चाहिए जिसमें कहा गया था कि जीवन धार्मिक प्रथाओं, विश्वासों और आस्था की तुलना में हर मायने में अधिक महत्वपूर्ण है.

अदालत ने कहा कि गंगा नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर पवित्र डुबकी के दौरान मुंह और नाक से निकलने वाली बूंदों के कारण वायरस के फैलने की आशंका और तीर्थयात्रियों के अलावा अन्य लोगों की सुरक्षा के बारे में भी राज्य को सावधान रहना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jan 6, 2022, 10:39 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.