नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिव (गृह) के साथ-साथ डीजीपी और आईजीपी को राज्य की सभी जेलों में नामांकन और अपडेट शिविर आयोजित करने की योजना बनाने के लिए एक पत्र लिखा है. साथ ही सभी केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों की जेलों में स्थानीय यूआईडीएआई क्षेत्रीय कार्यालय के समन्वय से इस तरह के शिविरों के आयोजन के लिए कहा गया है.
गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया, 'आपसे अनुरोध है कि यूआईडीएआई द्वारा उपलब्ध कराई गई इस विशेष छूट का उपयोग करें और जेल के कैदियों के लिए आधार के नामांकन/अपडेशन की सुविधा प्रदान करें.' मंत्रालय ने कहा कि आधार नामांकन वैध सहायक दस्तावेजों के आधार पर किया जाता है, जेल कैदियों के लिए एक विशेष उपाय के रूप में, यूआईडीएआई ऐसे नामांकन के लिए 'कैदी इंडक्शन डॉक्यूमेंट (पीआईडी)' को एक वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने के लिए सहमत हो गया है.'
मंत्रालय ने कहा, 'पीआईडी को ई-प्रिजन मॉड्यूल (नमूना प्रति संलग्न) से जारी किया जा सकता है और जब अधिकृत जेल अधिकारी द्वारा अपने हस्ताक्षर और मुहर के साथ प्रमाणित किया जाता है, तो इसे यूआईडीएआई द्वारा नामांकन और आधार अपडेट के लिए एक वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाएगा.' हालांकि कैदियों के लिए आधार सुविधा का विस्तार करने का अभियान 2017 में शुरू किया गया था, यह प्रक्रिया अपेक्षित तर्ज पर आगे नहीं बढ़ी क्योंकि योजना में नामांकन के लिए यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित वैध सहायक दस्तावेजों की आवश्यकता थी.
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि 109 करोड़ आधार जारी की गई है, जिसमें लगभग 99 प्रतिशत वयस्क आबादी शामिल है. यह महसूस किया गया है कि जेल के कैदियों को भी आधार से जोड़ा जाना चाहिए . कैदियों को दिन-प्रतिदिन जेल प्रशासन के विभिन्न पहलुओं जैसे अदालत के समक्ष पेश करना, जेल में वापसी , परिवहन, स्वास्थ्य सुविधाएं, बाहरी अस्पताल में परिवहन, साक्षात्कार, मुफ्त कानूनी सहायता, पैरोल, अस्थायी रिहाई तंत्र, शिक्षा/व्यावसायिक प्रशिक्षण, जेल से रिहाई आदि को लेकर इसमें व्यवस्था किया जाना चाहिए. कैदियों के लिए यह बहुत उपयोगी होगा.
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मंत्रालय ने कहा,'सुधार गृहों के कैदियों को आधार से जोड़ने पर यह बहुत उपयोगी होगा क्योंकि इससे न केवल कैदियों के कुशल संचालन में मदद मिलेगी बल्कि अन्य सुविधाओं का भी लाभ प्रदान करने आसानी होगी. देश भर में कैदियों को नामांकित करने के लिए एक विशेष उपाय के रूप में, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार के नामांकन या अपडेट के लिए एक वैध दस्तावेज के रूप में कैदी प्रेरण दस्तावेज (पीआईडी) को स्वीकार करने पर सहमति व्यक्त की है.