स्लीप एपनिया एक स्लीपिंग डिसऑर्डर है, ऐसा तब होता है जब किसी को नींद के दौरान सांस लेने में परेशानी होती हो और रेस्पिरेटरी फंक्शन किसी अवरोध का शिकार हो. बहुत सारे लोग इस बीमारी के बारे में जानते नहीं और इस बीमारी का दर्द लंबे समय तक झेलते रहते हैं. ऐसे मरीज कभी कभी नींद के दौरान सांस लेना बंद कर देते हैं, जो कभी-कभी खतनाक भी हो जाता है. आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब मस्तिष्क और स्लीप एपनिया के रोगी के शरीर को नींद के दौरान पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है.
स्लीप एपनिया को दो तरह की बतायी जाती है...
1. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (Obstructive Sleep Apnea)
यह स्लीप एपनिया के रोगी के श्वांस लेने के मार्ग में रुकावट के कारण होता है. ऐसा तब होता है जब नींद के दौरान रोगी के गले के पीछे का कोमल टिश्यू गिर जाता है.
2. सेंट्रल स्लीप एपनिया (Central Sleep Apnea)
यह एक अधिक गंभीर प्रकार का स्लीप एपनिया है, जहां श्वांस लेने का मार्ग तो अवरुद्ध नहीं होता है, लेकिन रोगी का मस्तिष्क श्वसन की मांसपेशियों को सांस लेने का संकेत देने में नाकाम रहता है. इस रोग से पीड़ित रोगी के रेस्पिरेटरी कण्ट्रोल में अस्थिरता के कारण ऐसा होता है.
स्लीप एपनिया के शुरुआती लक्षण
स्लीप एपनिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें सांस के अचानक शुरू होने और सांस लेने में रुकावट के कारण नींद में पड़ने वाले खलल से जोड़ कर देखी जाती है. नींद के दौरान अनुचित तरीके से सांस लेने से मस्तिष्क को न तो पूरी ऑक्सीजन मिलती है, न ही शरीर के बाकी हिस्सों को ऑक्सीजन का संचार होता है. इसके कई लक्षण बताए जाते हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं...
- जोर से खर्राटे
- गले में खराश
- सुबह का सिरदर्द
- जागने पर दम घुटने की अनुभूति या जागने का कारण
- इम्प्रॉपर स्लीप साइकल्स के कारण मूड का डिस्टर्ब होना
- दिन के दौरान नींद आने का अहसास
- इर्रिटेशन
- असावधानी
- जाग्रत अवस्था में एकाग्रता जैसी स्थिति
- यौन समस्याएं (इरेक्टाइल डिसफंक्शन)
- यूरिन अरर्जेन्सी की बढ़ी हुई आवृत्ति
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में सुविधा
इसीलिए लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने नींद की बीमारियों से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट में एक व्यापक स्लीप एपनिया केंद्र शुरू किया है. यह केंद्र एक ही छत के नीचे नींद संबंधी सभी विकारों का समाधान प्रदान करेगा. डेंटल फैकल्टी और रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर विभाग के डॉक्टरों की एक टीम तैनात की गई है, जबकि विभाग में पांच पॉलीसोम्नोग्राफी सिस्टम भी लगाए गए हैं. मरीजों को राहत देने के के लिए केंद्र में नियोलॉजी, फिजियोलॉजी, डेंटल, ईएनटी और अन्य विभागों के विशेषज्ञ भी होंगे.
केजीएमयू के रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के प्रमुख प्रो. वेद प्रकाश ने कहा कि नींद के पैटर्न में कमी और नींद में कठिनाई तीन मेटाबोलिक स्थितियों को जन्म देती है- उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापा जिसके परिणामस्वरूप श्वसन और हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं.
उन्होंने कहा, "लगभग 30 प्रतिशत लोग किसी न किसी नींद विकार से पीड़ित हैं और ये गतिहीन जीवन शैली और सोने के समय में वृद्धि के कारण वयस्कों में तेजी से बढ़ रही है. इसलिए, इस समस्या से निपटने के लिए हमने इस केंद्र की स्थापना की है, जहां न केवल रोगियों का इलाज किया जाएगा बल्कि शोध कार्य भी किया जाएगा."
प्रोफेसर वेद प्रकाश ने कहा, "यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया सहित सभी प्रकार के स्लीप डिसऑर्डर के लिए एक व्यापक केंद्र है. देश में कई स्लीप सेंटर हैं लेकिन वे केवल कुछ प्रकार की नींद से संबंधित बीमारियों पर काम कर रहे हैं. हम नींद से संबंधित विकारों के बारे में सभी प्रकार के लिए समाधान प्रदान करेंगे."
केंद्र में नींद के पैटर्न, ऑक्सीजन के स्तर, श्वास दर, वायु प्रवाह, साथ ही हृदय गति और अन्य महत्वपूर्ण चीजों की निगरानी के लिए पॉलीसोम्नोग्राफी सिस्टम का उपयोग किया जाएगा. इसके बाद इन सभी कारकों का विश्लेषण किया जाएगा.
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उन्होंने कहा, "पैटर्न का अध्ययन करने के बाद, यह तय किया जाएगा कि मरीजों को ओरल डिवाइस की जरूरत है या रेस्पिरेटरी मेडिकल इंटरवेंशन की. अगर किसी मरीज को ओरल डिवाइस की जरूरत है, तो डेंटल डॉक्टर उनका इलाज करेंगे अन्यथा रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर मामले को संभाल लेंगे."
उन्होंने कहा, "यदि ड्राइवर, मैकेनिक या भारी मशीनरी चलाने वालों को नींद की बीमारी है, तो ध्यान की कमी, चक्कर आना और सुस्ती के कारण दुर्घटनाओं की प्रबल संभावना है."
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