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विश्व अल्जाइमर दिवस पर 'आओ डिमेंशिया पर बात करें'

भारत में लगभग 4 मिलियन लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं. वहीं यह संख्या पूरे विश्व में लगभग 44 मिलियन है. जिनमें से अधिकांश अल्जाइमर से पीड़ित होते है. अल्जाइमर तथा डिमेंशिया के रोगियों की संख्या पश्चिमी यूरोप में काफी ज्यादा है. वहीं सब सहारा-अफ्रीका में इन बीमारियों से प्रभावित लोगों की संख्या बहुत कम है. अल्जाइमर को लेकर जनमानस में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 21 सिंतबर को पूरी दुनिया 'विश्व अल्जाइमर दिवस' मनाया जाता है. जिसमें इस वर्ष की थीम है 'आओ डिमेंशिया पर बात करें'.

world Alzheimer's day
विश्व अल्जाइमर दिवस
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Published : Sep 21, 2020, 11:16 AM IST

कभी आपने सोचा है की क्यों उम्र बढ़ने के साथ-साथ लोगों की याददाश्त कम होने लगती है. वो ना सिर्फ बातें भूलने लगते हैं बल्कि उनके काम करने की रफ्तार भी कम होने लागती है. उन्हें नए लोगों के सामने खुद को व्यक्त करने में परेशानी महसूस होने लगती हैं. सामान्यतः ये परेशानियां बुढ़ापे के कारण ही होती है. इन लक्षणों का मूल डिमेंशिया यानि भूलने की बीमारी होती है. डिमेंशिया कई प्रकार का होता है, लेकिन अल्जाइमर इसके मुख्य कारणों में से एक माना जाता है. देश हो या विदेश अल्जाइमर को लेकर आमजन में बहुत ज्यादा जागरूकता नहीं है. इसी के चलते जनमानस में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 21 सिंतबर को पूरी दुनिया 'विश्व अल्जाइमर दिवस' मनाती है.

क्या है अल्जाइमर

यह एक प्रकार की मस्तिष्क और याददाश्त से जुड़ी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त और सोचने की शक्ति कम होने लगती है. अल्जाइमर एक ऐसा रोग है, जिसमें व्यक्ति के दिमाग की नसें संकुचित हो जाती है. इसके अलावा मस्तिष्क में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने के कारण भी इस बीमारी का खतरा बढ़ सकता है.

इसके अलावा हेड इंजरी, वायरल इंफेक्शन और स्ट्रोक में भी अल्जाइमर की स्थिति पैदा हो सकती है. अल्जाइमर के मरीज छोटी से छोटी बात भूलने लग जाते हैं, जैसे यदि आपने 10 मिनट पहले कोई काम किया हो, तो आपको याद नहीं रहेगा कि ये आपने किया था या नहीं. इसके अलावा उन्हें किसी भी वस्तु, व्यक्ति या घटना को याद रखने में परेशानी महसूस होती है. आमतौर पर बुजुर्ग लोग इस बीमारी के ज्यादा शिकार होते हैं, लेकिन आज के समय में युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं.

जानकारों की माने तो पिछले कुछ सालों में इस बीमारी के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. अल्जाइमर को लेकर कोई पूर्णकालिक इलाज संभव नहीं है, लेकिन समय पर इसके बारे में पता चलने पर दवाइयों की मदद से इसे काफी हद तक नियंत्रण में रखा जा सकता है.

अल्जाइमर दिवस का इतिहास और थीम

वर्ष 2012 से प्रति वर्ष पूरी दुनिया में 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस के रूप में मनाया जाता है, और पूरा सितंबर महीना विश्व अल्जाइमर माह के रूप में. अल्जाइमर बीमारी का नाम डॉ. अलोइस अल्जाइमर के नाम पर रखा गया था. इस आयोजन के कारण पूरे महीने अल्जाइमर को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने तथा अल्जाइमर रोगियों के स्वास्थ्य तथा उनकी अवस्था को कैसे और बेहतर किया जा सके, इस विषय पर कार्यक्रम, कार्यशालाएं, गोष्ठियां तथा सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं. इस वर्ष 'आओ डिमेंशिया पर बात करें' विषय के साथ पूरी दुनिया 9वां विश्व अल्जाइमर दिवस मना रही है.

अल्जाइमर के लक्षण

  • अल्जाइमर में याददाश्त इतनी कमजोर हो जाती है कि व्यक्ति छोटी से छोटी बातें या रोजमर्रा के कामों के बारे में भूलने लगता है.
  • समय और जगह को लेकर उनमें भ्रम की स्तिथि उत्पन्न होने लगती है.
  • अपने परिजनों, रिश्तेदारों और दोस्तों को भी वह पहचानना बंद कर देता है. यहां तक कि कई बार वह आमतौर पर इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं के नाम भी भूल जाता है.
  • वे सामाजिक कार्यों के विरक्त होने लगते है. जैसे लोगों से मिलना जुलना उन्हें अच्छा नहीं लगता है.
  • आपनी भावनाओं को व्यक्त करने तथा अपनी जरूरतों को समझने और बताने में भी उन्हें परेशानी होने लगती है.
  • उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है और ज्यादातर उन्हें दूसरों से संवाद स्थापित करने में भी परेशानी होने लगती है.
  • कुछ भी विचार करने में या साधारण निर्णय लेने और बोलने में भी उन्हें दिक्कत होने लगती है.
  • कई मामलों में रोगियों की आंखों की रोशनी भी कम होने लगती है.

अल्‍जाइमर के चरण

अल्‍जाइमर को लक्षणों के आधार पर सात चरणों में वर्गीक्रत किया जाता है. जहां हर चरण पर लक्षणों से लेकर रोगी सब कुछ, सब लोगों को भूलने लगता है. उसके उसकी गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं रहता. यहां तक की वह परेशानियों और बीमारियों के बारे में भी लोगों को नहीं बता पाता है.

अल्‍जाइमर की रोकथाम तथा इलाज

इस रोग को रोकना तो संभव नहीं, लेकिन कुछ सामान्य उपाय करके रोगी की परेशानी को कम जरूर किया जा सकता है. अल्जाइमर के लक्षण दिखने पर व्यक्ति की तत्काल जांच जरूरी है. रोग की पुष्टि होने पर पीड़ित को दवाइयों के साथ, पौष्टिक भोजन देना और रोगी को विभिन्न गतिविधियों की मदद से एक्टिव बनाए रखना बहुत जरूरी है.

अल्जाइमर पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता, लेकिन दवाइयों की मदद से मरीज की अवस्था में सुधार लाया जा सकता है. इसके अलावा व्यायाम, सेहतमंद आहार, उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण, डिसलिपिडेमिया और डायबिटीज पर नियंत्रण रखकर और मरीज को बौद्धिक गतिविधियों में व्यस्त कर उनकी जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है.

कभी आपने सोचा है की क्यों उम्र बढ़ने के साथ-साथ लोगों की याददाश्त कम होने लगती है. वो ना सिर्फ बातें भूलने लगते हैं बल्कि उनके काम करने की रफ्तार भी कम होने लागती है. उन्हें नए लोगों के सामने खुद को व्यक्त करने में परेशानी महसूस होने लगती हैं. सामान्यतः ये परेशानियां बुढ़ापे के कारण ही होती है. इन लक्षणों का मूल डिमेंशिया यानि भूलने की बीमारी होती है. डिमेंशिया कई प्रकार का होता है, लेकिन अल्जाइमर इसके मुख्य कारणों में से एक माना जाता है. देश हो या विदेश अल्जाइमर को लेकर आमजन में बहुत ज्यादा जागरूकता नहीं है. इसी के चलते जनमानस में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 21 सिंतबर को पूरी दुनिया 'विश्व अल्जाइमर दिवस' मनाती है.

क्या है अल्जाइमर

यह एक प्रकार की मस्तिष्क और याददाश्त से जुड़ी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त और सोचने की शक्ति कम होने लगती है. अल्जाइमर एक ऐसा रोग है, जिसमें व्यक्ति के दिमाग की नसें संकुचित हो जाती है. इसके अलावा मस्तिष्क में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने के कारण भी इस बीमारी का खतरा बढ़ सकता है.

इसके अलावा हेड इंजरी, वायरल इंफेक्शन और स्ट्रोक में भी अल्जाइमर की स्थिति पैदा हो सकती है. अल्जाइमर के मरीज छोटी से छोटी बात भूलने लग जाते हैं, जैसे यदि आपने 10 मिनट पहले कोई काम किया हो, तो आपको याद नहीं रहेगा कि ये आपने किया था या नहीं. इसके अलावा उन्हें किसी भी वस्तु, व्यक्ति या घटना को याद रखने में परेशानी महसूस होती है. आमतौर पर बुजुर्ग लोग इस बीमारी के ज्यादा शिकार होते हैं, लेकिन आज के समय में युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं.

जानकारों की माने तो पिछले कुछ सालों में इस बीमारी के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. अल्जाइमर को लेकर कोई पूर्णकालिक इलाज संभव नहीं है, लेकिन समय पर इसके बारे में पता चलने पर दवाइयों की मदद से इसे काफी हद तक नियंत्रण में रखा जा सकता है.

अल्जाइमर दिवस का इतिहास और थीम

वर्ष 2012 से प्रति वर्ष पूरी दुनिया में 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस के रूप में मनाया जाता है, और पूरा सितंबर महीना विश्व अल्जाइमर माह के रूप में. अल्जाइमर बीमारी का नाम डॉ. अलोइस अल्जाइमर के नाम पर रखा गया था. इस आयोजन के कारण पूरे महीने अल्जाइमर को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने तथा अल्जाइमर रोगियों के स्वास्थ्य तथा उनकी अवस्था को कैसे और बेहतर किया जा सके, इस विषय पर कार्यक्रम, कार्यशालाएं, गोष्ठियां तथा सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं. इस वर्ष 'आओ डिमेंशिया पर बात करें' विषय के साथ पूरी दुनिया 9वां विश्व अल्जाइमर दिवस मना रही है.

अल्जाइमर के लक्षण

  • अल्जाइमर में याददाश्त इतनी कमजोर हो जाती है कि व्यक्ति छोटी से छोटी बातें या रोजमर्रा के कामों के बारे में भूलने लगता है.
  • समय और जगह को लेकर उनमें भ्रम की स्तिथि उत्पन्न होने लगती है.
  • अपने परिजनों, रिश्तेदारों और दोस्तों को भी वह पहचानना बंद कर देता है. यहां तक कि कई बार वह आमतौर पर इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं के नाम भी भूल जाता है.
  • वे सामाजिक कार्यों के विरक्त होने लगते है. जैसे लोगों से मिलना जुलना उन्हें अच्छा नहीं लगता है.
  • आपनी भावनाओं को व्यक्त करने तथा अपनी जरूरतों को समझने और बताने में भी उन्हें परेशानी होने लगती है.
  • उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है और ज्यादातर उन्हें दूसरों से संवाद स्थापित करने में भी परेशानी होने लगती है.
  • कुछ भी विचार करने में या साधारण निर्णय लेने और बोलने में भी उन्हें दिक्कत होने लगती है.
  • कई मामलों में रोगियों की आंखों की रोशनी भी कम होने लगती है.

अल्‍जाइमर के चरण

अल्‍जाइमर को लक्षणों के आधार पर सात चरणों में वर्गीक्रत किया जाता है. जहां हर चरण पर लक्षणों से लेकर रोगी सब कुछ, सब लोगों को भूलने लगता है. उसके उसकी गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं रहता. यहां तक की वह परेशानियों और बीमारियों के बारे में भी लोगों को नहीं बता पाता है.

अल्‍जाइमर की रोकथाम तथा इलाज

इस रोग को रोकना तो संभव नहीं, लेकिन कुछ सामान्य उपाय करके रोगी की परेशानी को कम जरूर किया जा सकता है. अल्जाइमर के लक्षण दिखने पर व्यक्ति की तत्काल जांच जरूरी है. रोग की पुष्टि होने पर पीड़ित को दवाइयों के साथ, पौष्टिक भोजन देना और रोगी को विभिन्न गतिविधियों की मदद से एक्टिव बनाए रखना बहुत जरूरी है.

अल्जाइमर पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता, लेकिन दवाइयों की मदद से मरीज की अवस्था में सुधार लाया जा सकता है. इसके अलावा व्यायाम, सेहतमंद आहार, उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण, डिसलिपिडेमिया और डायबिटीज पर नियंत्रण रखकर और मरीज को बौद्धिक गतिविधियों में व्यस्त कर उनकी जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है.

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