इस बात से लगभग सभी लोग वाकिफ हैं की हमारी मसाले दानी में मिलने वाले अधिकांश मसालों के औषधीय फायदे भी काफी ज्यादा होते हैं। हमारे देश के अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों में आमतौर पर वहां के वातावरण के अनुसार अलग अलग मसलों वाले तड़कों का उपयोग खाने में किया जाता है। अपने पाठकों के लिए विशेष तौर पर भारतीय बघार या तड़के की एक विशेष श्रंखला शुरू कर जा रहे हैं जिसमें हम ना सिर्फ उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों के तड़कों में इस्तेमाक होने वाले मसलों के बारे में बताएंगे बल्कि उन मसालों के पोषण के बारे में भी उन्हीं पूरी जानकारी देंगे। इस श्रंखला में सबसे पहले उत्तर भारत और राजस्थान में मुख्य तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले पंचफोरन तड़के के बारे में आज हम अपने पाठकों को बताने जा रहे हैं।
पंचफोरन तड़का
आमतौर पर बघार में या तो जीरा या राई का अलग-अलग उपयोग किया जाता है लेकिन पंचफोरन तड़के में पांच प्रकार के साबुत मसालों का इस्तेमाल किया जाता है । जिनमें राई, जीरा, मेथी, सौंफ और कलौंजी शामिल हैं। यह सभी पांचों प्रकार के साबुत मसाले हमारे शरीर को अलग-अलग प्रकार से फायदे पहुंचाते हैं।
राई : इसमें मायरोसीन और सीनिग्रीन पाए जाते हैं, जो त्वचा संबंधी बीमारियों को दूर करते हैं। राई में एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं।
राई में कैलोरी कम और फाइबर ज्यादा मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह वजन घटाने में मददगार होता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे को कम करने में सक्षम हो सकते हैं। यह दिल के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है और इसके सेवन से शरीर में शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है , जिससे मधुमेह का खतरा कम हो जाता है।
राई के सेवन से पाचन क्रिया ठीक रहती है जिससे कब्ज की समस्या नहीं होती है। राई में ऐसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं जो अल्जाइमर के खतरे को कम कर सकते हैं।
जीरा: जीरा एक बेहतरीन एंटी ऑक्सीडेंट माना जाता है। जीरे में फाइबर, आयरन, कॉपर, कैलशियम ,पोटैशियम, मैग्नीज, जिंक और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके साथ ही इसमें विटामिन ए और बी कांपलेक्स जैसे खास विटामिन बी अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं। जीरा पाचन तथा पेट से जुड़ी समस्याओं में काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व गर्भवती तथा हाल ही में मां बनी महिलाओं को काफी फायदा पहुंचाते हैं। अनिन्द्रा में भी जीरा के इस्तेमाल फायदेमंद होता है।
जीरे में मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है तथा इसमें मौजूद विटामिन ए और बी12 ऑस्टियोपोरिसिस में राहत दिलाते है। वहीं जीरे का अर्क पीरियड में होने वाले दर्द से भी महिलाओं को राहत दिला सकता है।
मेथी: मेथी दानों को हमारी मसाले दानी के सबसे असरदार मसालों में से एक माना जाता है। यहां तक कि आयुर्वेद में भी इसे औषधि सरीखा माना जाता है। मैथी में आयरन,प्रोटीन, मिनरल्स, वसा कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फाइबर, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, जिंक विटामिन सी, थायमीन, नियासिन, राइबोफ्लेविन विटामिन बी6, विटामिन ए विटामिन के वॉलेट एनर्जी एंटीऑक्सीडेंट सेलेनियम एंटी इन्फ्लेमेटरी तथा एंटीबैक्टीरियल गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जानकार मानते हैं कि यदि मेथी का इस्तेमाल सही अनुपात में किया जाए तो यह कई जटिल समस्याओं को ठीक करने में सहायक होती है।
मेथी में पाए जाने वाले फाइबर, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन शरीर में रक्त शर्करा के स्तर और इंसुलिन की मात्रा को नियंत्रित करते हैं, साथ ही इसमें मौजूद हाइपोग्लाइसेमिक मधुमेह को नियंत्रण में रख सकता है। इसमें फाइबर तथा विभिन्न प्रकार के पॉलिफिनॉल्स गुण पाए जाते हैं जो कि वजन कम करने में मुख्य घटक माने जाते हैं। मेथी के पानी और दानों का सुबह खाली पेट सेवन करने से वजन कम होता है।
मेथी में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, कैल्शियम और प्रोटीन आदि तत्व पाए जाते हैं जो जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करते हैं जिससे गठिया जैसे रोग में भी काफी फायदा होता है। वहीं इसके सेवन से शरीर में रक्त का प्रवाह संतुलित किया जा सकता है जिससे धमनियों में होने वाली रुकावट दूर होती है और हार्ट अटैक की आशंका कम हो जाती है । मेथी से पाचन तंत्र और किडनी से जुड़ी समस्याएं भी दूर होती हैं। इसका सेवन भूख को बढ़ाने में तो मददगार होता ही है साथ ही इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एंटीवायरल गुण फ्लू और जुखाम जैसे संक्रमण को दूर करने में भी मदद करते हैं। मेथी सिर्फ खाने में ही फायदेमंद नहीं होती है बल्कि इसका त्वचा और बालों पर भी उपयोग किया जाता है। मेथी का पेस्ट बनाकर चेहरे और बालों पर लगाने से मुहांसों, झुर्रियों , रूखी त्वचा , तथा आंखों के नीचे होने वाले काले घेरों में भी राहत मिलती है । वही मेथी का पेस्ट बालों में लगाने से बाल लंबे होते हैं बालों की रूसी खत्म होती है साथ ही बाल मजबूत भी होते हैं।
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में होने वाली पेट में दर्द की समस्या में मेथी में पाए जाने एनाल्जेसिक, ड्यूरेटिक और एंटीसिमेट्री तत्व दर्द को कम करने में मददगार हो सकते हैं। मेथी का सेवन नई माता के स्तनों में दूध बढ़ाने का कार्य भी करता है, साथ ही प्रसव के बाद महिलाओं को जल्दी तंदुरुस्त होने में मदद करता है।
सौंफ : इसमें कैलोरी, फाइबर विटामिन सी, कॉपर, आयरन, जिंक, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जरूरी मात्रा में पाए जाते हैं। सौंफ का सेवन वजन कम करने , पाचन को बेहतर बनाने, आंतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में भी सक्षम माना जाता है।
इसके गुणों के चलते सौंफ को बेहतरीन मुखवास माना जाता है। साथ ही इसमें एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं जो कि हमारी सेहत और त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।
कलौंजी: कलौंजी में आयरन, सोडियम, कैल्शियम ,पोटेशियम और फाइबर जैसे कई आवश्यक लवण और पोषक तत्व पाए जाते हैं जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने में बहुत फायदेमंद होते हैं । इसके साथ ही इसमें विभिन्न प्रकार के अमीनो एसिड तथा प्रोटीन भी पाए जाते हैं।
कलौंजी का सिर्फ खाने में सेवन ही नही बल्कि उसका बालों पर बाहरी उपयोग भी काफी फायदेमंद होता है। कलौंजी का तेल गंजेपन को दूर करने तथा बालों की अन्य समस्याओं को दूर करने में काफी मददगार होता है । इसके अतिरिक्त कलौंजी मधुमेह से सुरक्षा देता है ओर खून में विषाक्त पदार्थों को साफ करने का कार्य करता है । कलौंजी का इस्तेमाल अस्थमा और जोड़ों के दर्द में भी काफी फायदेमंद होता है। इसका सेवन त्वचा पर कील मुहांसों की समस्याओं में भी राहत देता है लेकिन, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है तो इसलिए गर्भवती महिलाओं को भोजन में इसके सेवन से बचना चाहिए।