विदिशा। "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूंगा" नारा देकर आजादी दिलाने वाले महान राष्ट्रभक्त लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की आज जयंती है. महाराष्ट्र में गणेश उत्सव और शिवाजी उत्सव मनाने की शुरुआत भी तिलक ने ही की थी. विदिशा के सबसे पुराने और व्यस्ततम चौराहे पर बाल गंगाधर तिलक की मूर्ती लगाकर इस चौराहे का नाम तिलक चौक रखा गया था लेकिन हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई इस पहचान पर अतिक्रमण का जंग लग गया है. तिलक की यह मूर्ती दिन में तो नजर ही नहीं आती क्योंकि इसके चारो ओर इतना अतिक्रमण हो जाता है जो मूर्ति को पूरी तरह छुपा देता है.
निगम भी अतिक्रमण में आगे: ताज्जुब तो तब होता है जब इन अतिक्रमण करने वालो में प्रशासन भी शामिल है. नगरपालिका ने तिलक की मूर्ती के आगे हाईमास्क लाइट का एक बड़ा पोल खड़ा कर दिया है तो विज्ञापन करने वाली एक स्क्रीन लगाने की अनुमति भी दे दी है. मतलब महापुरुषों के सम्मान से ज्यादा नगर पालिका प्रशासन को आय की चिंता है. इसके बाद एक सीसीटीवी का आदमकद बक्सा भी रखवा दिया है. इसकी आड़ में वहां अनेक ठेले वाले और ऑटो वाले खड़े हो रहे हैं. जिससे दिनभर क्षेत्र में कई बार जाम लगता है.
खाने पीने के ठेले वालों की झूठन भी मूर्ती के आसपास ही रखी रहती है. प्रशासन मूर्ति के आसपास सफाई रखने में भी नाकाम रहा है. 15 अगस्त और 26 जनवरी पर यहां की सफाई कर झंडा वंदन कर सम्मान देने की रस्म अदायगी हो जाती है तो तिलक की जन्म जयंती, पुण्य तिथि और गणेश उत्सव के दौरान महाराष्ट्र समाज यहां माल्यार्पण करता है. तिलक चौक क्षेत्र के लोगों ने भी यहां की अतिक्रमण और गंदगी पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है.
नहीं दिखती मूर्ति: तिलक चौक के दुकानदार का कहना है कि यह तिलक जी की मूर्ति है इसलिए तिलक चौक इसका नाम है. यहां से 5 रास्ते हैं. भैया हमारे सामने ही तिलक जी हैं लेकिन हम ही नहीं देख पाते कहां है वह. इसलिए कि अतिक्रमण इतना है ऑटो स्टैंड यहीं है चारों तरफ ठेले लगे हैं बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हैं और यह हाई मास्क कभी जलती नहीं है. पूरे चौराहे पर रात को अंधेरा रहता है समझ में ही नहीं आती क्या व्यवस्था है सरकार की. तिलक चौक उनके नाम से जाना जाता है और उनका ही पता नहीं है वह कहां है बैठे हैं. कचरा तो सारे लोग वही फेंकते हैं फालतू जगह वही है तिलक चौक पर लोगों की नजर में बिल्कुल फालतू जगह वही है.
तिलक चौक निवासी सतीश जैन का कहना है कि तिलक जी की मूर्ति यहां पर स्थापित है लेकिन अब तिलक चौक नाम बदलकर खंबा चौक रखना चाहिए. वह ज्यादा सही रहेगा क्योंकि जितने भी जनप्रतिनिधि हैं उनसे आग्रह कर चुके हैं कि तिलक चौक पूरा अतिक्रमण की चपेट में है तिलक की मूर्ति दिखती नहीं है. उनसे निवेदन करा बार-बार तिलक जी की मूर्ति के ऊपर एक छतरी लगाई जाए, छतरी नहीं लगाने से क्या होता है कि जो पक्षी रहते हैं. चारो तरफ गंदगी का अंबार लगा रहता है कौन है. चारों तरफ ऑटो वाले ठेले वाले बहुत से लोग अब किसके बारे में क्या बोले. मूर्ति की तो साफ-सफाई कभी नहीं रहती.
31अक्टूबर, 15 अगस्त, 26 जनवरी है 1 दिन पहले आकर उनको धो जाते हैं फिर जो का त्यों हो जाता है. मूर्ति के आगे एक डिस्प्ले लगा हुआ है और डिस्प्ले कभी चलता नहीं है तिलक जी की मूर्ति यदि आप रेलवे स्टेशन साइड से आए तिलक साइड देखें तो तिलक जी की मूर्ति आपको मूर्ति दिखाई नहीं देगी. तिलक की मूर्ति तो यहीं रहे. सौंदर्यकरण कर दिया जाए और व्यापारियों की एक समस्या है कि उनकी दुकानों के आगे टू व्हीलर बहुत खड़े होते हैं. नगरपालिका कभी आते हैं और हिदायत दी जैसे ही वह थोड़े दुकानदार के आगे बढ़ते हैं और पीछे तुरंत अतिक्रमण वापस हो जाता है.