विदिशा। जिले के बिछिया गांव में फसल बीमा योजना के नाम पर किसानों के साथ मजाक किया गया है. एक तो 2018 में जमा की गई प्रीमियम की राशि अब कहीं 2020 के आखिर में उनके खातें में आ रही हैं. लेकिन आपकों जानकार हैरानी होगी की कुछ किसानों के खाते में तो सिर्फ चार से पांच रुपए ही आए हैं. जब किसानों ये राशि अपने खातों में देखी तो वे दंग रह गए हैं.
यही है भरपाई
अपने खातों में आई राशि देखने के बाद किसान कह रह हैं कि बीमा कंपनियों ने उनके साथ मजाक किया है. नुकसान हुई फसल के एक फीसदी से भी कम राशि की क्षतिपूर्ति जिले के किसानों को मिल सकी है. बिछिया गांव में करीब दो बीघा जमीन में सोयाबीन की खेती करने वाले शहजाद खां ने बताया कि हर साल फसल का बीमा इसलिए कराया जाता है ताकि फसल खराब होने से उन्हें उसकी भरपाई मिल सके. उनके मुताबिक उन्हें एक हेक्टर में करीब 15 से 16 हजार रुपए की राशि मिलनी थी. लेकिन बीमा कंपनियों ने महज चार रुपए देकर उनके साथ एक भद्दा मजाक किया है.
बीमा के नाम पर हुआ छल
बिछिया गांव के जिला पंचायत सदस्य सोनू यादव ने बताया कि फसल बीमा के नाम पर किसानों के साथ छलावा किया गया है. गांव के कई किसान ऐसे हैं जिनकी बीमा राशि बहुत ही कम आई है. किसी किसान के खाते में 12 रुपए तो किसी के खाते में पांच से सात रुपए तक राशि आई है. सरकार ने किसानों के साथ अच्छा मजाक किया है.
CM शिवराज पर साधा निशाना
किसानों को फसल बीमा के नाम पर ऐसी राशि मिलते देख विपक्षी कांग्रेस सरकार ने इसे सरकार का भद्दा मजाक कहा है. कांग्रेस जिला अध्यक्ष कमल सिलाकारी का कहना है कि कमलनाथ सरकार में जो बीमा मिला था. उसका शिवराज सिंह चौहान मजाक उड़ाते थे और कहते थे बढ़चढ़कर बीमा की राशि मिलनी चाहिए. शिवराज सरकार अपने आपको किसान हितेषी सरकार बताती है और बीमा राशि के नाम पर यही हितेषी सरकार किसानों के साथ मजाक कर रही है. कांग्रेस जिला अध्यक्ष कमल सिलाकारी ने मांग करते हुए कहा कि किसानों को बीमा राशि बढ़कर मिलनी चाहिए.
बीमा कंपनी जिम्मेदार, होगी कार्रवाई
वहीं अब इस पूरे मामले पर बीजेपी बीमा कंपनी को दोषी ठहरा रही है. बीजेपी जिला अध्यक्ष तेजेंदर सिंह का कहना है कि इस मामले में बीमा कंपनी की गलती है, इसकी जांच कराई जाएगी. किसानों के खातों में जो राशि आई है, उसमें सरकार का कोई दोष नहीं है बल्कि बीमा कंपनियों का दोष है. किसी को चार रुपए मिला है तो किसी को लाख रुपए भी मिले हैं. हम इस मामले में सरकार से पूरी जांच करवाएंगे कि आखिर किसानों को पैसे कम क्यों मिले हैं.
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नुकसान के हिसाब से दी गई राशि
जिला सहकारी बैंक के प्रबंधक विनय प्रकाश का कहना है कि किसानों को उनके खेतों में हुए नुकसान के हिसाब से ही राशि दी गई है. इस सैटलमेंट राशि के लिए पहले किसानों के खेतों में जाकर उनके खेतों में खराब हुई फसलों का ब्यौरा लिया जाता हैं, उसके बाद ही उन्हें राशि आवंटित की जाती है.
जानकारी के मुताबिक 36 हजार 672 किसानों का 68 करोड़ रुपये बीमा राशि के रुप में आया है. यह राशि सन 2018 की फसल बीमा की है. सोचनी वाली बात है कि किसानों को जब चार से दस रुपए ही बीमा राशि मिलना है तो इतनी बड़ी राशि बीमा हितग्राहियों को देने के लिए क्यों रिलीज की जा रही है.