ETV Bharat / state

अनूठा शिव धाम! जहां खुद भोलेनाथ के पास चलकर आया था पहाड़

विदिशा के गंजबासौदा के गमाखर गांव में एक ऐसा अनूठा शिव धाम है, जिसके बारे में कहा जाता है कि भोलेनाथ के लिए पहाड़ स्वयं यहां चलकर आया था.

author img

By

Published : Jul 13, 2020, 1:32 PM IST

shiva-temple
अनूठा शिव धाम

विदिशा। विध्यांचल के पहाड़ों की श्रंखला में अनेकों प्रसिद्ध शिव धाम हैं. इसके विपरीत गंजबासौदा से 10 किलोमीटर दूर गमाखर गांव में इकलौता पहाड़ देख लोग अचंभित हो जाते हैं क्योंकि इस पहाड़ से कोसों दूर तक पहाड़ की एक चट्टान भी मौजूद नहीं है, लेकिन इस पहाड़ के ही गर्भ में स्वयं भोलेनाथ मौजूद हैं. कहते हैं कि कण-कण में भगवान बसते हैं. इस कहावत को चरितार्थ करता है, गंजबासौदा के गमाखर का शिवधाम. जहां कोसों दूर तक पहाड़ों का नामो-निशान नहीं है, लेकिन भगवान शिव की गर्भ गृह के रूप में यहां एक पहाड़ स्वयं उत्पन्न हुआ है. यहां के बारे में कई ऐसी बातें हैं, जिसे सुन लोग अचंभित हो जाते हैं.

अनूठा शिव धाम

ग्रामीण बताते हैं कि पूर्व में ये पहाड़ सिर्फ एक छोटा सा पत्थर था, लेकिन इसका आकार दिनों दिन बढ़ता गया और आज यह एक विशाल पहाड़ का आकर ले चुका है. अभी भी इस पहाड़ के बढ़ने का सिलसिला थमा नहीं है. आज भी ये पहाड़ अपना आकार बदल रहा है, जिसे परखने के लिए लोगों ने पहाड़ी पर कई जगह पेंट से निशान भी लगाए हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो इस पहाड़ी का संबंध रामायण काल से है. जब भगवान राम ने रामसेतु का निर्माण कराय था, तब अलग-अलग जगह से पत्थर लाए जा रहे थे, सेतु का निर्माण पूर्ण होने पर इस चट्टान को यहीं छोड़ दिया गया था. जिसमें भगवान भूतेश्वर खुद विराजमान हैं.

सुनाई देती है ओम की आवाज
इस पहाड़ से जुड़ी और भी कई किंवदंतियां हैं. स्थानीय बताते हैं कि इस पहाड़ में एक छोटी सी जगह ऐसी भी है, जहां से 24 घंटे ओमकार की आवाज सुनाई देती है और लोगों का ध्यान अकस्मात ही उस ओर आकर्षित हो जाता है. लोगों के अनुसार यहां से 40 किलोमीटर के दायरे में कोई पहाड़ नहीं है. इस पहाड़ की विशेषता है कि जब कोई शख्स किसी चीज से अपना नाम यहां लिखता है तो कुछ महीनों बाद खुद ही पत्थर पर नाम ऐसा टक जाता है, जैसे किसी कारीगर ने छेनी-हथौड़ी से टांका हो. गमाखर के अनोखे शिवधाम की महिमा पूरे देश में फैली हुई है. श्रावण के महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस अनोखे शिवधाम को देखने और शिव की आराधना करने के लिए पहुंचते हैं.

विदिशा। विध्यांचल के पहाड़ों की श्रंखला में अनेकों प्रसिद्ध शिव धाम हैं. इसके विपरीत गंजबासौदा से 10 किलोमीटर दूर गमाखर गांव में इकलौता पहाड़ देख लोग अचंभित हो जाते हैं क्योंकि इस पहाड़ से कोसों दूर तक पहाड़ की एक चट्टान भी मौजूद नहीं है, लेकिन इस पहाड़ के ही गर्भ में स्वयं भोलेनाथ मौजूद हैं. कहते हैं कि कण-कण में भगवान बसते हैं. इस कहावत को चरितार्थ करता है, गंजबासौदा के गमाखर का शिवधाम. जहां कोसों दूर तक पहाड़ों का नामो-निशान नहीं है, लेकिन भगवान शिव की गर्भ गृह के रूप में यहां एक पहाड़ स्वयं उत्पन्न हुआ है. यहां के बारे में कई ऐसी बातें हैं, जिसे सुन लोग अचंभित हो जाते हैं.

अनूठा शिव धाम

ग्रामीण बताते हैं कि पूर्व में ये पहाड़ सिर्फ एक छोटा सा पत्थर था, लेकिन इसका आकार दिनों दिन बढ़ता गया और आज यह एक विशाल पहाड़ का आकर ले चुका है. अभी भी इस पहाड़ के बढ़ने का सिलसिला थमा नहीं है. आज भी ये पहाड़ अपना आकार बदल रहा है, जिसे परखने के लिए लोगों ने पहाड़ी पर कई जगह पेंट से निशान भी लगाए हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो इस पहाड़ी का संबंध रामायण काल से है. जब भगवान राम ने रामसेतु का निर्माण कराय था, तब अलग-अलग जगह से पत्थर लाए जा रहे थे, सेतु का निर्माण पूर्ण होने पर इस चट्टान को यहीं छोड़ दिया गया था. जिसमें भगवान भूतेश्वर खुद विराजमान हैं.

सुनाई देती है ओम की आवाज
इस पहाड़ से जुड़ी और भी कई किंवदंतियां हैं. स्थानीय बताते हैं कि इस पहाड़ में एक छोटी सी जगह ऐसी भी है, जहां से 24 घंटे ओमकार की आवाज सुनाई देती है और लोगों का ध्यान अकस्मात ही उस ओर आकर्षित हो जाता है. लोगों के अनुसार यहां से 40 किलोमीटर के दायरे में कोई पहाड़ नहीं है. इस पहाड़ की विशेषता है कि जब कोई शख्स किसी चीज से अपना नाम यहां लिखता है तो कुछ महीनों बाद खुद ही पत्थर पर नाम ऐसा टक जाता है, जैसे किसी कारीगर ने छेनी-हथौड़ी से टांका हो. गमाखर के अनोखे शिवधाम की महिमा पूरे देश में फैली हुई है. श्रावण के महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस अनोखे शिवधाम को देखने और शिव की आराधना करने के लिए पहुंचते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.