विदिशा। कोरोना संक्रमण काल में हर वर्ग आर्थिक तंगी और बेरोजगारी की मार झेल रहा हैं. कुछ इसी दर्द को प्राइमरी और मिडिल स्कूल के संचालकों ने बयां किया हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 20-25 शिक्षकों को रोजगार देने वाले स्कूल संचालक अपने परिवार का पेट पालने के लिए तरस रहे हैं.
पिछले डेढ़ साल से स्कूल पूरी तरह बंद हैं. स्कूलों पर ताले लटके हुए हैं, ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी इन स्कूल संचालकों को हो रही है. यह स्टॉफ की सैलरी तो दूर अपने बच्चों के दूध का बिल तक नहीं चुका पा रहे हैं.
भुखमरी के हालात
हालात यह हैं कि गंजबासौदा के पचमा बायपास पर मिडिल स्कूल संचालित करने वाले योगेश श्रीवास्तव आज रोजगार के लिए तमाम फैक्ट्रियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है. योगेश ने बताया कि वह एक छोटा सा स्कूल चलाता था, लेकिन स्कूल बंद होने से उसका परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है. यहां तक कि वह अपने बच्चे के दूध का बिल भी नहीं चुका पा रहे हैं.
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कुछ इसी प्रकार के हालात बागरोद में स्कूल संचालित करने वाले सुनील मीणा के हैं. उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा हैं. ऐसे में उन्होंने अपने परिवार के भरण पोषण के लिए गांव में ही दूध डेयरी खोलने का निर्णय लिया. आज वह उसी डेयरी के माध्यम से अपने परिवार को चला रहे हैं.
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष नीलेश चतुर्वेदी ने कहा कि कई लोग आज आर्थिक तंगी की मार के कारण अवसाद का सामना कर रहे हैं. शासन की ओर से मिलने वाली मदद भी स्कूल संचालकों को दो साल से नहीं मिल रही हैं.