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परंपरागत न्याय! इस गांव में पीपल के पेड़ के नीचे पंचायत देती है न्याय, नहीं जाता कोई कोर्ट कचहरी

बिछिया गांव में यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. न्याय पाने और देने की इस परंपरा में न तो पुलिस बल शामिल रहता है और न ही कोई न्यायालय. यहां सिर्फ गांव की पंचायत जिसमें गांव के बुजुर्ग और अनुभवी लोग शामिल रहते हैं, वहीं सभी मामलों का निपटारा करते हैं.

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Published : Jun 6, 2021, 3:42 PM IST

pictures of traditional justice
परंपरागत न्याय की तस्वीरें

विदिशा। जिले में एक ऐसा गांव है जहां आज भी न्याय करने की वर्षों पुरानी परंपरा चली आ रही है. इस गांव का नाम बिछिया है और गांव में एक पीपल के पेड़ के नीचे ही इलाके के बंजारा समाज की पंचायत लगाई जाती है और गांव के हर तरह के विवाद सुलझाए जाते हैं. बिछिया गांव की इस पंचायत में घरेलु झगड़े हो या कोई और मसला यहां न्याय पाने के लिए कोई कोर्ट कचहरी नहीं जाता है.

परंपरागत न्याय की तस्वीरें
  • पंचायत के पंच करते देते हैं फैसला

बिछिया गांव में यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. न्याय पाने और देने की इस परंपरा में न तो पुलिस बल शामिल रहता है और न ही कोई न्यायालय. यहां सिर्फ गांव की पंचायत जिसमें गांव के बुजुर्ग और अनुभवी लोग शामिल रहते हैं, वहीं सभी मामलों का निपटारा करते हैं. यह गांव विदिशा जिले के शमशाबाद तहसील में स्थित है.

  • कैसे होता है न्याय?, जानें

इस गांव की पंचायत में परिवारिक झगड़े, प्रॉपर्टी विवाद हो या किसी अन्य तरीके का विवाद हर मामले का निपटारा पंचायत करती है. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को लेकर गांव की पंचायत के पंच गंगा राम कहते हैं कि वह गांव किसी भी प्रकार की विवाद होने पर थाने, तहसील या कोर्ट नहीं जाते हैं वह आपस में ही सभी मामलों को सुलझा लेते हैं. पंचायत के एक और पंच रामलाल ने बताया कि एक परिवार मे जमीन को लेकर हुआ विवाद पंचायत से सामने आया था जिसके बाद दोनों पक्षों को समझाया बुझाया गया और मामले में उचित न्याय किया गया है.

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  • हाल में सामने आया था शादी के बाद विवाद का मामला

गांव की पंचायत के सामने हाल में ही एक शादी के बाद विवाद का मामला सामने आया था. गांव के पंच गंगाराम के मुताबिक, दोनों का आपस में पहले से कोई संबंध था फिर शादी हुई और बाद में विवाद हो गया, लेकिन पंचायत लड़की को लड़के के घर भेजेगी. उन्होंने कहा कि उनका समाज आपस में बैठकर उनके रिश्तों में सुधार के लिए काम करेगा. बिछिया गांव में लगातार इस तरीके के कई मामलों का निपटारा पंचायत करती है, गांव में लोग पुलिस और कोट कचहरी के दूर रहते और अपनी पंचायत के न्याय से सहमत रहते हैं.

विदिशा। जिले में एक ऐसा गांव है जहां आज भी न्याय करने की वर्षों पुरानी परंपरा चली आ रही है. इस गांव का नाम बिछिया है और गांव में एक पीपल के पेड़ के नीचे ही इलाके के बंजारा समाज की पंचायत लगाई जाती है और गांव के हर तरह के विवाद सुलझाए जाते हैं. बिछिया गांव की इस पंचायत में घरेलु झगड़े हो या कोई और मसला यहां न्याय पाने के लिए कोई कोर्ट कचहरी नहीं जाता है.

परंपरागत न्याय की तस्वीरें
  • पंचायत के पंच करते देते हैं फैसला

बिछिया गांव में यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. न्याय पाने और देने की इस परंपरा में न तो पुलिस बल शामिल रहता है और न ही कोई न्यायालय. यहां सिर्फ गांव की पंचायत जिसमें गांव के बुजुर्ग और अनुभवी लोग शामिल रहते हैं, वहीं सभी मामलों का निपटारा करते हैं. यह गांव विदिशा जिले के शमशाबाद तहसील में स्थित है.

  • कैसे होता है न्याय?, जानें

इस गांव की पंचायत में परिवारिक झगड़े, प्रॉपर्टी विवाद हो या किसी अन्य तरीके का विवाद हर मामले का निपटारा पंचायत करती है. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को लेकर गांव की पंचायत के पंच गंगा राम कहते हैं कि वह गांव किसी भी प्रकार की विवाद होने पर थाने, तहसील या कोर्ट नहीं जाते हैं वह आपस में ही सभी मामलों को सुलझा लेते हैं. पंचायत के एक और पंच रामलाल ने बताया कि एक परिवार मे जमीन को लेकर हुआ विवाद पंचायत से सामने आया था जिसके बाद दोनों पक्षों को समझाया बुझाया गया और मामले में उचित न्याय किया गया है.

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  • हाल में सामने आया था शादी के बाद विवाद का मामला

गांव की पंचायत के सामने हाल में ही एक शादी के बाद विवाद का मामला सामने आया था. गांव के पंच गंगाराम के मुताबिक, दोनों का आपस में पहले से कोई संबंध था फिर शादी हुई और बाद में विवाद हो गया, लेकिन पंचायत लड़की को लड़के के घर भेजेगी. उन्होंने कहा कि उनका समाज आपस में बैठकर उनके रिश्तों में सुधार के लिए काम करेगा. बिछिया गांव में लगातार इस तरीके के कई मामलों का निपटारा पंचायत करती है, गांव में लोग पुलिस और कोट कचहरी के दूर रहते और अपनी पंचायत के न्याय से सहमत रहते हैं.

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