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विदिशा से लोकसभा का चुनाव लड़े थे अटल जी, 19 उम्मीदवारों को हराकर की थी जीत हासिल - Had won by defeating 19 candidates

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1991 में विदिशा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. जब अटल बिहारी वाजपेयी विदिशा आपना नामांकन भरने आए थे, तो कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया था. उस वक्त की कुछ खास तस्वीर ईटीवी भारत के पास है, जो हम आपके साथ साझा कर रहे है.

Atal Bihari Vajpayee filing nomination
अटल बिहारी वाजपेयी विदिशा से नामांकन भरते हुए
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Published : Aug 16, 2020, 1:16 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 2:04 PM IST

विदिशा। अटल बिहारी वाजपेयी देश की राजनीति की ऐसी शख्सियत का नाम था. जिन्होंने अपने दल के साथ दूसरे दलों के नेताओं के दिलों में भी एक पहचान बनाई थी. अटल बिहारी वाजपेयी विपक्षी दलों के नेताओं के उतने ही चहते थे जितने अपने दल में. आज ऐसे कई वाक्य याद किये जाते हैं जहां दलदल की राजनीति से ऊपर उठकर उन्होंने अपने विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ देश हित में कई निर्णय लिए. आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि है. उनका निधन 16 अगस्त 2018 को 95 वर्ष की आयु में हुआ था.

Workers welcomed on coming to Vidisha
विदिशा आने पर कार्यकर्ताओं ने किया था स्वागत

1991 में विदिशा से अटल बिहारी वाजपेयी ने लड़ा था लोकसभा चुनाव

साल 1991 का लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. माना जाता है कि अटल बिहारी वाजपेयी राजीव गांधी के इतने प्रिय थे. दरअसल 1991 में जब विदिशा लोकसभा सीट से अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव लड़ने पहुंचे तो राजीव गांधी ने खुद फोन कर अपने केंडिडेट से कह दिया था की तुम दूसरी जगह से चुनाव लड़ो वहां से अटल जी चुनाव लड़ रहे हैं, हालांकि बाद में लखनऊ की सीट पर जीत मिलने के बाद उन्होंने विदिशा सीट छोड़ दी थी. अटल जी ने विदिशा चुनाव पूरी ताकत से लड़ा था.

Atal Bihari Vajpayee won with heavy votes
भारी मतों से जीते थे अटल बिहारी वाजपेयी

बताया जाता है कि विदिशा संसदीय क्षेत्र में अटल जी ने 20 सभाएं की थीं. उस दौरान वो कई नेताओं से भी मिले जीतने के बाद विदिशा जैन कॉलेज में धन्यवाद सभा भी रखी गई. जिसमें अटल जी ने अपने मतदाताओं का मंच के माध्यम से धन्यवाद अदा किया था.

Atal Bihari filling nomination papers
नामांकन पत्र भरते हुए अटल बिहारी

नोटों की माला से हुआ था अटल बिहारी वाजपेयी का स्वागत

बताया जाता है लालकृष्ण आडवाणी भी विदिशा आ रहे थे पर आपस में यह तय हुया की अटल जी ही विदिशा सीट से चुनाव लड़ेंगे. विदिशा में लोकसभा नामांकन भरने का अंतिम दिन था. रात में ही कलेक्टर को फोन कर नामांकन भरने का वक्त तय किया गया. जब अटल जी पहुंचे तो बीजेपी कार्यकर्ताओं का एक हुजूम उमड़ पड़ा अटल जी के लिए पुलिस को वैरिकेट्स लगाना पड़े था. अटल बिहारी ने आज पुरानी कही जाने वाली कलेक्ट्रेट में फार्म जमा किया. उसी दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या से पूरा देश गमगीन हो गया प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से फूलों से बनी मालाएं पहनाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. जब अटल जी विदिशा पहुंचे तो उनका नोटों की मालाएं पहनाकर स्वागत किया गया.

Atal ji contested Lok Sabha elections from Vidisha in 1991
1991 में विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़े थे अटल जी

स्वागत की मालाओं से ही निकल आया था चुनाव का खर्च

बताया जाता है अटल जी का स्वागत हर जगह नोटों की मालाओं से होता था. इस स्वागत की राशि इतनी हो गई थी कि पार्टी का चुनावी खर्च इसी स्वागत की राशि से निकला था. लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भले ही अटल जी ने विदिशा सीट से अपना इस्तीफा दे दिया था, लेकिन आज भी विदिशा को उनके पूर्व संसदीय क्षेत्र की हैसियत से ही पहचाना जाता है. तब से लेकर आज तक विदिशा अपने आप में बीजेपी का गढ़ कहलाता आ रहा है.

Atal Bihari appealed to the public
अटल बिहारी ने जनता से की थी अपील

अटल विहारी वाजपेयी ने सन 1991 में एक लाख चार हजार 136 मतों से कांग्रेस उम्मीदवार प्रतापभानु शर्मा को परास्त किया था. उस वक्त 19 उम्मीदवार मैदान में थे. अटल जी के सीट छोड़ने के बाद शिवराज सिंह चौहान को विदिशा संसदीय क्षेत्र का उम्मीदवार बनाया गया था. जब-जब अटल जी का नाम आता है बीजेपी हो या कांग्रेस आज भी उनके दिलों में अटल जी के लिए वही सम्मान है जो उस वक़्त हुआ करता था. वर्तमान की राजनीति में पक्ष विपक्ष कभी अटल जी की कविताओं से तो कभी उनके भाषणों से एक दूसरे को नसीहत देते जरूर नज़र आते हैं.

विदिशा। अटल बिहारी वाजपेयी देश की राजनीति की ऐसी शख्सियत का नाम था. जिन्होंने अपने दल के साथ दूसरे दलों के नेताओं के दिलों में भी एक पहचान बनाई थी. अटल बिहारी वाजपेयी विपक्षी दलों के नेताओं के उतने ही चहते थे जितने अपने दल में. आज ऐसे कई वाक्य याद किये जाते हैं जहां दलदल की राजनीति से ऊपर उठकर उन्होंने अपने विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ देश हित में कई निर्णय लिए. आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि है. उनका निधन 16 अगस्त 2018 को 95 वर्ष की आयु में हुआ था.

Workers welcomed on coming to Vidisha
विदिशा आने पर कार्यकर्ताओं ने किया था स्वागत

1991 में विदिशा से अटल बिहारी वाजपेयी ने लड़ा था लोकसभा चुनाव

साल 1991 का लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. माना जाता है कि अटल बिहारी वाजपेयी राजीव गांधी के इतने प्रिय थे. दरअसल 1991 में जब विदिशा लोकसभा सीट से अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव लड़ने पहुंचे तो राजीव गांधी ने खुद फोन कर अपने केंडिडेट से कह दिया था की तुम दूसरी जगह से चुनाव लड़ो वहां से अटल जी चुनाव लड़ रहे हैं, हालांकि बाद में लखनऊ की सीट पर जीत मिलने के बाद उन्होंने विदिशा सीट छोड़ दी थी. अटल जी ने विदिशा चुनाव पूरी ताकत से लड़ा था.

Atal Bihari Vajpayee won with heavy votes
भारी मतों से जीते थे अटल बिहारी वाजपेयी

बताया जाता है कि विदिशा संसदीय क्षेत्र में अटल जी ने 20 सभाएं की थीं. उस दौरान वो कई नेताओं से भी मिले जीतने के बाद विदिशा जैन कॉलेज में धन्यवाद सभा भी रखी गई. जिसमें अटल जी ने अपने मतदाताओं का मंच के माध्यम से धन्यवाद अदा किया था.

Atal Bihari filling nomination papers
नामांकन पत्र भरते हुए अटल बिहारी

नोटों की माला से हुआ था अटल बिहारी वाजपेयी का स्वागत

बताया जाता है लालकृष्ण आडवाणी भी विदिशा आ रहे थे पर आपस में यह तय हुया की अटल जी ही विदिशा सीट से चुनाव लड़ेंगे. विदिशा में लोकसभा नामांकन भरने का अंतिम दिन था. रात में ही कलेक्टर को फोन कर नामांकन भरने का वक्त तय किया गया. जब अटल जी पहुंचे तो बीजेपी कार्यकर्ताओं का एक हुजूम उमड़ पड़ा अटल जी के लिए पुलिस को वैरिकेट्स लगाना पड़े था. अटल बिहारी ने आज पुरानी कही जाने वाली कलेक्ट्रेट में फार्म जमा किया. उसी दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या से पूरा देश गमगीन हो गया प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से फूलों से बनी मालाएं पहनाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. जब अटल जी विदिशा पहुंचे तो उनका नोटों की मालाएं पहनाकर स्वागत किया गया.

Atal ji contested Lok Sabha elections from Vidisha in 1991
1991 में विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़े थे अटल जी

स्वागत की मालाओं से ही निकल आया था चुनाव का खर्च

बताया जाता है अटल जी का स्वागत हर जगह नोटों की मालाओं से होता था. इस स्वागत की राशि इतनी हो गई थी कि पार्टी का चुनावी खर्च इसी स्वागत की राशि से निकला था. लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भले ही अटल जी ने विदिशा सीट से अपना इस्तीफा दे दिया था, लेकिन आज भी विदिशा को उनके पूर्व संसदीय क्षेत्र की हैसियत से ही पहचाना जाता है. तब से लेकर आज तक विदिशा अपने आप में बीजेपी का गढ़ कहलाता आ रहा है.

Atal Bihari appealed to the public
अटल बिहारी ने जनता से की थी अपील

अटल विहारी वाजपेयी ने सन 1991 में एक लाख चार हजार 136 मतों से कांग्रेस उम्मीदवार प्रतापभानु शर्मा को परास्त किया था. उस वक्त 19 उम्मीदवार मैदान में थे. अटल जी के सीट छोड़ने के बाद शिवराज सिंह चौहान को विदिशा संसदीय क्षेत्र का उम्मीदवार बनाया गया था. जब-जब अटल जी का नाम आता है बीजेपी हो या कांग्रेस आज भी उनके दिलों में अटल जी के लिए वही सम्मान है जो उस वक़्त हुआ करता था. वर्तमान की राजनीति में पक्ष विपक्ष कभी अटल जी की कविताओं से तो कभी उनके भाषणों से एक दूसरे को नसीहत देते जरूर नज़र आते हैं.

Last Updated : Aug 31, 2020, 2:04 PM IST

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