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ग्वालियर: जीवाजी यूनिवर्सिटी ने कश्मीरी छात्रों को परीक्षा देने से रोका

शिक्षकों का कहना है कि जिन छात्रों को पेपर देने से रोका गया है, वह कई महीनों से कक्षा से गायब थे. छात्र सुहेल फारूक, लोन समीर उल्लाह राठेर राजनीति विज्ञान अध्ययन शाला से एमफिल कर रहे थे, वहीं अशफाक खां इतिहास विभाग से एमफिल कर रहा है. ये तीनों पिछले दिनों जब नामांकन फॉर्म के लिये आये तो शिक्षकों को पता चला कि उनकी कक्षा में उपस्थिति पूरी नहीं है.

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Published : Feb 27, 2019, 8:56 PM IST

ग्वालियर। पीएचडी कर रहे कश्मीरी छात्रों की डिग्री रोकने वाले मामले के बाद सवालों के घेरे में आया विश्वविद्यालय प्रबंधन अब अलर्ट हो गया है. इसलिये अब अन्य तीन कश्मीरी छात्रों को परीक्षा देने से रोक दिया गया है, इन कश्मीरी छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने क्लास में उपस्थिति पूरी नहीं की है.

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शिक्षकों का कहना है कि जिन छात्रों को पेपर देने से रोका गया है, वह कई महीनों से कक्षा से गायब थे. छात्र सुहेल फारूक, लोन समीर उल्लाह राठेर राजनीति विज्ञान अध्ययन शाला से एमफिल कर रहे थे, वहीं अशफाक खां इतिहास विभाग से एमफिल कर रहा है. ये तीनों पिछले दिनों जब नामांकन फॉर्म के लिये आये तो शिक्षकों को पता चला कि उनकी कक्षा में उपस्थिति पूरी नहीं है.

इसके बाद शिक्षकों ने इन तीनों छात्रों का फॉर्म आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया. शिक्षकों का कहना है कि वह पहले से ही कश्मीरी छात्रों के कारण परेशानी झेल रहे हैं. नामांकन फॉर्म जनरेट ना होने से यह छात्र परीक्षा फॉर्म नहीं भर पाए हैं. गौरतलब है कि 2014 में 8 कश्मीरी छात्रों ने पीएचडी की प्रवेश परीक्षा पास की थी. यह छात्र कॉलेज में कोर्स वर्क अटेंड करने नहीं पहुंचे थे. जब इसकी शिकायत हुई तो पता चला कि उस दौरान यह जम्मू-कश्मीर में नौकरी कर रहे थे. फिलहाल जीवाजी विश्वविद्यालय ने कम उपस्थिति वाले छात्रों को परीक्षा देने से रोक दिया है.

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ग्वालियर। पीएचडी कर रहे कश्मीरी छात्रों की डिग्री रोकने वाले मामले के बाद सवालों के घेरे में आया विश्वविद्यालय प्रबंधन अब अलर्ट हो गया है. इसलिये अब अन्य तीन कश्मीरी छात्रों को परीक्षा देने से रोक दिया गया है, इन कश्मीरी छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने क्लास में उपस्थिति पूरी नहीं की है.

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शिक्षकों का कहना है कि जिन छात्रों को पेपर देने से रोका गया है, वह कई महीनों से कक्षा से गायब थे. छात्र सुहेल फारूक, लोन समीर उल्लाह राठेर राजनीति विज्ञान अध्ययन शाला से एमफिल कर रहे थे, वहीं अशफाक खां इतिहास विभाग से एमफिल कर रहा है. ये तीनों पिछले दिनों जब नामांकन फॉर्म के लिये आये तो शिक्षकों को पता चला कि उनकी कक्षा में उपस्थिति पूरी नहीं है.

इसके बाद शिक्षकों ने इन तीनों छात्रों का फॉर्म आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया. शिक्षकों का कहना है कि वह पहले से ही कश्मीरी छात्रों के कारण परेशानी झेल रहे हैं. नामांकन फॉर्म जनरेट ना होने से यह छात्र परीक्षा फॉर्म नहीं भर पाए हैं. गौरतलब है कि 2014 में 8 कश्मीरी छात्रों ने पीएचडी की प्रवेश परीक्षा पास की थी. यह छात्र कॉलेज में कोर्स वर्क अटेंड करने नहीं पहुंचे थे. जब इसकी शिकायत हुई तो पता चला कि उस दौरान यह जम्मू-कश्मीर में नौकरी कर रहे थे. फिलहाल जीवाजी विश्वविद्यालय ने कम उपस्थिति वाले छात्रों को परीक्षा देने से रोक दिया है.

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Intro:ग्वालियर
ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के दौरान जम्मू कश्मीर में नौकरी करने को लेकर सवालों के घेरे में आया जीवाजी का प्रबंधन अब अलर्ट हो गया है। इसी के चलते यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने एमफिल कर रहे 3 छात्रों को परीक्षा देने से रोक दिया है।


Body:इन कश्मीरी छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने क्लास में उपस्थिति पूरी नहीं की। कई महीनों से यह छात्र अपनी कक्षा से गायब थे ।यह तीनों छात्र सुहेल फारूक लोन समीर उल्लाह राठेर जहां राजनीति विज्ञान अध्ययन शाला से एम फिल कर रहे थे वही अशफाक खां इतिहास विभाग से एमफिल कर रहा है पिछले दिनों जब यह नामांकन फार्म अग्रेषित कराने आए तो शिक्षकों को पता चला कि उनकी कक्षा में उपस्थिति पूरी नहीं है ।


Conclusion:इसलिए शिक्षकों ने इन तीनों छात्रों का फार्म अग्रेषित करने से साफ इंकार कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि वह पहले से ही कश्मीरी छात्रों के कारण परेशानी झेल रहे हैं। नामांकन फॉर्म जनरेट ना होने के कारण यह छात्र परीक्षा फार्म नहीं भर पाए हैं। गौरतलब है कि 2014 में 8 कश्मीरी छात्रों ने पीएचडी की प्रवेश परीक्षा पास की थी यह छात्र कोर्स वर्क के केंद्र एमएलबी कॉलेज में अटेंड करने नहीं पहुंचे जब इसकी शिकायत हुई तो पता चला कि उस दौरान यह जम्मू कश्मीर में नौकरी कर रहे थे। फिलहाल जीवाजी विश्वविद्यालय ने कम उपस्थिति वाले छात्रों को परीक्षा देने से रोक दिया है।
बाइट शांति देव सिसोदिया प्रवक्ता जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर
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