विदिशा। आज्ञाराम काॅलोनी में खूब ढोल बजाए और मंगल गीत गाए गए. यहां हर व्यक्ति अपने-अपने तरीके से खुशी मना रहा था. घर आंगन को सजाया गया. फूल की पंखुड़ियां बिछाईं गई. वजह थी साहू परिवार के घर कन्या का आगमन हो रहा था. लाडली लक्ष्मी ने जैसे ही घर की दहलीज पर कदम रखा ढोल धमाकों के साथ पैरों में कुमकुम लगाए गए. कपड़े पर बेटी के पद चिन्ह लिए गए. नाच गाना हुआ. पूरे मोहल्ले में उत्सव मनाया गया. ऐसा कर इस परिवार ने समाज को यह संदेश दिया कि बेटियां बोझ नहीं वरदान हैं. (Vidisha celebration of daughter birth)
बेटियां परिवार में लाती हैं खुशियां:राखी साहू का कहना है कि, 7 साल पहले एक बेटी का जन्म हुआ था. उसका नाम आश्वी है. मंगलवार रात में दूसरी बेटी का जन्म हुआ. पहले ऐसा होता था कि, बेटा हुआ तो ढोल बजाए जाते थे, लेकिन अब बेटियां परिवार में खुशियां लाती हैं. इसलिए दूसरी बेटी के जन्म पर हमनें खुशियां मनाई ताकि, समाज की सोच बदले. उन्होंने बताया कि परिवार में दूसरी बेटी के जन्म पर इस तरह का स्वागत बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देने के लिए किया है.
फूलों की पंखुड़ियों से सजी नन्हे कदमों की राह: लाड़ली लक्ष्मी ने जैसे ही घर की चौखट पर कदम रखा तो ढोल बजने शुरू हो गए. पैरों में कुमकुम लगाकर बेटी के पदचिह्न लिए गए. राहों में भी फूल बिछाए गए. बेटी के पिता ने भी इस मौके पर भावुक संदेश देते हुए कहा कि हर बच्ची के भाग्य में पिता है, लेकिन हर पिता के भाग्य में बेटी नहीं. परिवार के बुजर्गों का भी कहना था कि पूरा परिवार बहुत खुशनसीब है कि कि घर में दुबारा बेटी ने जन्म लिया है.