विदिशा। देश की एक विशालकाय प्रतिमा सिर्फ भारत में एक ही जगह देखी जा सकती है, जो अति प्राचीन है. इसकी भव्यता की कहानी ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है. क्या है भगवान कुबेर की प्रतिमा का इतिहास, क्यों धोते थे कपड़े भगवान कुबेर की प्रतिमा पर? हिंदू धर्म में धनतेरस का बहुत अधिक महत्व होता है. दिवाली से पूर्व धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा होती ही है. उन्हें धन की देवी माना जाता है, लेकिन इस दिन कुबेर जी की पूजा का भी विशेष महत्व होता है.
दरअसल, धनतेरस से दिवाली की शुरूआत हो जाएगी. धनतेरस और दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश के साथ कुबेर या कुबेर यंत्र की पूजा विधिपूर्वक करते हैं. भगवान कुबेर की प्रतिमा 2200 वर्ष पुरानी है, पुरातत्व संग्रहालय विदिशा में रखी है. धनतेरस के दिन आरती कर श्रद्धालु दर्शन करते हैं. भारतवर्ष में विशाल प्रतिमा सिर्फ चार ही जगह देखी जा सकती है. जिसमें से एक विदिशा शामिल है, यह प्रतिमा 12 फीट की है.
पत्नी यक्षी के साथ विराजमान हैं भगवान कुबेर: विदिशा में सबसे बड़ी और पुरानी कुबेर प्रतिमा जी 22 सौ वर्ष पुरानी इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 12 फिट है. यह विदिशा के सिविल लाइन स्थित जिला पुरातत्व संग्रहालय भवन के प्रवेश द्वार पर विराजमान है. कुबेर की इस विशाल प्रतिमा के बाद कक्ष क्रमांक 2 में कुबेर की पत्नी यक्षी की भी लगभग 6 फिट ऊंची प्रतिमा भी रखी हुई है. वह भी इसी प्रतिमा की समकालीन बताई जाती है.
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प्राचीन समय मे विदिशा व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र था और धनधान्य से भरपूर था कुबेर को धन का देवता माना जाता है. इसलिये यहां के लोग उस समय कुबेर की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करते थे. आज भी धनतेरस पर लोग इस प्रतिमा के दर्शन करने और पूजन करने आते है
इतिहासकार ने क्या बताया: एड. गोविंद देवलिया इतिहासकार और सामाजिक कार्यकर्ता बताते है कि इस तरह की देश मे कुल 4 प्रतिमाएं हैं. पहली विदिशा में दूसरी उत्तरप्रदेश के मथुरा में तीसरी बिहार के पटना और चौथी राजस्थान के भरतपुर में है. विदिशा की प्रतिमा सबसे ऊंची और प्राचीन है और खास बात उनकी पत्नी यक्षी की मूर्ति भी इसी पुरातत्व संग्रहालय में रखी हुई है.
बैस नदी में उलटी पड़ी थी प्रतिमा लोग धोते थे कपड़े: यह प्रतिमा बैस नदी में उल्टी पड़ी थी और यह इतनी विशाल प्रतिमा है कि लोग इस प्रतिमा की पीठ पर कपड़े धोते थे. कभी जब नदी का पानी कम हुआ और लोगो की प्रतिमा पर निगाह गई, तो प्रतिमा अति प्राचीन पता पड़ी तब इसे सुरक्षित लाया गया था.
जहां इस समय बेसनगर नामक एक छोटा-सा गांव है, प्राचीन विदिशा बसी हुई है। यह नगर पहले दो नदियों के संगम पर बसा हुआ था जो कालांतर में दक्षिण की ओर बढ़ता जा रहा है. इस प्राचीन नदियों में एक छोटी सी नदी का नाम 'बेस' है. इसे विदिशा नदी के रूप में भी जाना जाता है. विदिशा म्यूजियम में कार्यरत रज्जनलाल अहिरवार ने बताया कि कुबेर भगवान की मूर्ति जिला पुरातत्व संग्रहालय में हैं. यह बेस नगर से प्राप्त हुई थी. लगभग 12 फिट की यह मूर्ति है और अंदर यक्षी जो उनकी पत्नी गैलरी क्रमांक 2 में रखी हुई हैं. विदिशा जिले के कुछ व्यक्ति जो आते हैं. थोड़ी पूजा करके चले जाते हैं.