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MP Seat Scan Vidisha: भाजपा के गढ़ में 2018 में कांग्रेस ने लगाई थी सेंध, जानें कौन हैं यहां के निर्णायक वोटर - विदिशा का सियासी समीकरण और इतिहास

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे विदिशा सीट के बारे में. यह सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार शशांक भार्गव ने भाजपा के गढ़ में सेंध लगाई. सीएम शिवराज भी 2013 में इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं पढ़िए विदिशा विधानसभा सीट का समीकरण और इतिहास.

vidisha assembly constituency
विदिशा विधानसभा क्षेत्र
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Published : May 28, 2023, 6:04 AM IST

विदिशा। इस वर्ष 2023 के अंतिम माह में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है. जिसके लिए राजनैतिक दलों ने कमर कस ली है. संभावित उम्मीदवार अभी से ही रणनीति बनाने और क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाकर टिकिट लेने की जुगत में लग गए हैं. विदिशा विधानसभा में भी स्थानीय नेताओ की सक्रियता से आगामी चुनाव के दिलचस्प और कांटेदार होने का अनुमान लगाया जाने लगा है. वैसे तो विदिशा विधानसभा की पहचान भाजपा के अभेद गढ़ के रूप में है लेकिन पिछले चुनाव यानि 2018 में कांग्रेस के शशांक भार्गव ने भाजपा के मुकेश टंडन को करारी शिकस्त देकर भाजपा के गढ़ में सेंध लगा दी थी. विदिशा विधानसभा की गिनती प्रदेश की हाई प्रोफाइल और भाजपा की सबसे सुरक्षित सीट में होती है. 2013 में बुधनी के साथ यहां से भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे हालांकि बाद में उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी.

vidisha assembly constituency
विदिशा की खासियत

विदिशा की खासियत: प्रदेश की राजधानी से एक दम सटा हुआ विदिशा विधानसभा क्षेत्र कृषि प्रधान है. यहांं के अधिकांश मतदाता किसान है. गेहूं और सोयाबीन यहां की प्रमुख फसल है. बेतवा नदी इस क्षेत्र की प्रमुख नदी है. विजय मंदिर, उदयगिरी की गुफाएं, ग्यारसपुर का माला देवी मंदिर अनेक प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व के स्थान यहां मौजूद है.

vidisha assembly constituency
विदिशा में मतदाता

मतदाता: विदिशा विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 20 हजार 274 मतदाता हैं जिनमे 1 लाख 13 हजार 911 पुरुष , 1 लाख 06 हजार 355 महिला और 8 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं.

सियासी समीकरण और इतिहास: विदिशा विधानसभा क्षेत्र हिंदू महासभा के समय से भाजपा का गढ़ रहा है. 2018 में कांग्रेस के शशांक भार्गव ने इस गड़ को तोड़कर कांग्रेस का परचम लहराया. इसके पहले 1972 में कांग्रेस के सूर्यप्रकाश सक्सेना विदिशा से विधायक बने थे. विदिशा विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का सबसे मजबूत और सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है. 2008 में यहां से राघवजी विधायक चुने गए और प्रदेश के वित्त मंत्री बने.

MP Seat Scan Vidisha
2018 विधानसभा चुनाव के नतीजे

2013 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधनी के साथ विदिशा विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लडे़ हालांकि बाद में उन्होंने विदिशा से इस्तीफा देकर बुधनी को चुना. जिसके बाद 2014 में लोकसभा चुनाव के साथ विदिशा विधानसभा का भी उपचुनाव हुआ. जिसमें भाजपा ने सबको चौंकाते हुए कल्याण सिंह ठाकुर को टिकिट दिया जो 1980 से 1998 तक लगातार 4 बार विधायक रहे मोहर सिंह ठाकुर के छोटे भाई थे. ये चुनाव मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने और लोकसभा चुनाव में देश की नेता विपक्ष सुषमा स्वराज के प्रत्याशी होने के कारण हाई प्रोफाइल हो गया था.

vidisha assembly constituency
विधानसभा चुनाव के नतीजे

2023 के समीकरण: इस बार भी यहां कांटे का मुकाबला होना तय है ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से वर्तमान विधायक शशांक भार्गव का टिकिट तय है. वहीं भाजपा से पिछली बार के निकटतम प्रतिद्वंद्वी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश टंडन प्रमुख दावेदार हैं. उन्हे विदिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का सबसे विश्वस्त माना जाता है. उनके अलावा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तोरण सिंह दांगी, मनोज कटारे, अरविंद श्रीवास्तव भी यहां से प्रमुख दावेदार हैं.

vidisha assembly constituency
विदिशा विधायक शशांक भार्गव

जातीय समीकरण: विधानसभा क्रमांक 144 विदिशा विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 20 हजार 274 मतदाता हैं जिनमें अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 20.7 प्रतिशत है तो अनुसूचित जनजाति की संख्या 3.14 प्रतिशत है. अल्पसंख्यक 13.4 प्रतिशत हैं तो पिछड़ा वर्ग के मतदाता 44.3 प्रतिशत हैं. सवर्ण मतदाताओं की संख्या 18.05 प्रतिशत है. पिछड़ा वर्ग के मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं इसलिए राजनैतिक दल यहां से पिछड़े वर्ग के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाने में प्राथमिकता देते हैं.

vidisha assembly constituency
विदिशा का जातीय समीकरण

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विधानसभा स्थानीय मुद्दे : आंकड़ों में तो विदिशा विधानसभा क्षेत्र को काफी हाई प्रोफाइल माना जाता है लेकिन शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार यहां के प्रमुख मुद्दे आज भी हैं. बेतवा प्रदूषण, पर्यटन क्षेत्रों की अनदेखी, कृषि आधारित उद्योग धंधों का न होना प्रमुख समस्या है. यहां की स्वास्थ सेवाएं पूरी तरह दम तोड़ चुकी हैं. नव निर्मित मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल रेफर केंद्र बनकर रह गए हैं. किसानों को भी अपनी उपज बेचने के पर्याप्त साधन नहीं हैं. यहां के युवा पढ़ाई और नौकरी के लिए भोपाल सहित देश के बड़े शहरों की और बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं. यहां की जीवन दायिनी बेतवा नदी प्रदूषण से दम तोड़ रही है हालात यह है कि प्रदूषण के कारण नदी में मछलियां तक नहीं बची हैं. यहां अनेक प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व के स्थान है लेकिन उनकी ओर ध्यान न देने से उनका रख रखाव और प्रचार प्रसार न होने से पर्यटक नहीं आते. अगर यहां पर्यटक आने लगे तो स्थानीय लोगो को अच्छा रोजगार मिल सकता है.

विदिशा। इस वर्ष 2023 के अंतिम माह में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है. जिसके लिए राजनैतिक दलों ने कमर कस ली है. संभावित उम्मीदवार अभी से ही रणनीति बनाने और क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाकर टिकिट लेने की जुगत में लग गए हैं. विदिशा विधानसभा में भी स्थानीय नेताओ की सक्रियता से आगामी चुनाव के दिलचस्प और कांटेदार होने का अनुमान लगाया जाने लगा है. वैसे तो विदिशा विधानसभा की पहचान भाजपा के अभेद गढ़ के रूप में है लेकिन पिछले चुनाव यानि 2018 में कांग्रेस के शशांक भार्गव ने भाजपा के मुकेश टंडन को करारी शिकस्त देकर भाजपा के गढ़ में सेंध लगा दी थी. विदिशा विधानसभा की गिनती प्रदेश की हाई प्रोफाइल और भाजपा की सबसे सुरक्षित सीट में होती है. 2013 में बुधनी के साथ यहां से भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे हालांकि बाद में उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी.

vidisha assembly constituency
विदिशा की खासियत

विदिशा की खासियत: प्रदेश की राजधानी से एक दम सटा हुआ विदिशा विधानसभा क्षेत्र कृषि प्रधान है. यहांं के अधिकांश मतदाता किसान है. गेहूं और सोयाबीन यहां की प्रमुख फसल है. बेतवा नदी इस क्षेत्र की प्रमुख नदी है. विजय मंदिर, उदयगिरी की गुफाएं, ग्यारसपुर का माला देवी मंदिर अनेक प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व के स्थान यहां मौजूद है.

vidisha assembly constituency
विदिशा में मतदाता

मतदाता: विदिशा विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 20 हजार 274 मतदाता हैं जिनमे 1 लाख 13 हजार 911 पुरुष , 1 लाख 06 हजार 355 महिला और 8 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं.

सियासी समीकरण और इतिहास: विदिशा विधानसभा क्षेत्र हिंदू महासभा के समय से भाजपा का गढ़ रहा है. 2018 में कांग्रेस के शशांक भार्गव ने इस गड़ को तोड़कर कांग्रेस का परचम लहराया. इसके पहले 1972 में कांग्रेस के सूर्यप्रकाश सक्सेना विदिशा से विधायक बने थे. विदिशा विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का सबसे मजबूत और सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है. 2008 में यहां से राघवजी विधायक चुने गए और प्रदेश के वित्त मंत्री बने.

MP Seat Scan Vidisha
2018 विधानसभा चुनाव के नतीजे

2013 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधनी के साथ विदिशा विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लडे़ हालांकि बाद में उन्होंने विदिशा से इस्तीफा देकर बुधनी को चुना. जिसके बाद 2014 में लोकसभा चुनाव के साथ विदिशा विधानसभा का भी उपचुनाव हुआ. जिसमें भाजपा ने सबको चौंकाते हुए कल्याण सिंह ठाकुर को टिकिट दिया जो 1980 से 1998 तक लगातार 4 बार विधायक रहे मोहर सिंह ठाकुर के छोटे भाई थे. ये चुनाव मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने और लोकसभा चुनाव में देश की नेता विपक्ष सुषमा स्वराज के प्रत्याशी होने के कारण हाई प्रोफाइल हो गया था.

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विधानसभा चुनाव के नतीजे

2023 के समीकरण: इस बार भी यहां कांटे का मुकाबला होना तय है ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से वर्तमान विधायक शशांक भार्गव का टिकिट तय है. वहीं भाजपा से पिछली बार के निकटतम प्रतिद्वंद्वी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश टंडन प्रमुख दावेदार हैं. उन्हे विदिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का सबसे विश्वस्त माना जाता है. उनके अलावा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तोरण सिंह दांगी, मनोज कटारे, अरविंद श्रीवास्तव भी यहां से प्रमुख दावेदार हैं.

vidisha assembly constituency
विदिशा विधायक शशांक भार्गव

जातीय समीकरण: विधानसभा क्रमांक 144 विदिशा विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 20 हजार 274 मतदाता हैं जिनमें अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 20.7 प्रतिशत है तो अनुसूचित जनजाति की संख्या 3.14 प्रतिशत है. अल्पसंख्यक 13.4 प्रतिशत हैं तो पिछड़ा वर्ग के मतदाता 44.3 प्रतिशत हैं. सवर्ण मतदाताओं की संख्या 18.05 प्रतिशत है. पिछड़ा वर्ग के मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं इसलिए राजनैतिक दल यहां से पिछड़े वर्ग के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाने में प्राथमिकता देते हैं.

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विदिशा का जातीय समीकरण

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विधानसभा स्थानीय मुद्दे : आंकड़ों में तो विदिशा विधानसभा क्षेत्र को काफी हाई प्रोफाइल माना जाता है लेकिन शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार यहां के प्रमुख मुद्दे आज भी हैं. बेतवा प्रदूषण, पर्यटन क्षेत्रों की अनदेखी, कृषि आधारित उद्योग धंधों का न होना प्रमुख समस्या है. यहां की स्वास्थ सेवाएं पूरी तरह दम तोड़ चुकी हैं. नव निर्मित मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल रेफर केंद्र बनकर रह गए हैं. किसानों को भी अपनी उपज बेचने के पर्याप्त साधन नहीं हैं. यहां के युवा पढ़ाई और नौकरी के लिए भोपाल सहित देश के बड़े शहरों की और बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं. यहां की जीवन दायिनी बेतवा नदी प्रदूषण से दम तोड़ रही है हालात यह है कि प्रदूषण के कारण नदी में मछलियां तक नहीं बची हैं. यहां अनेक प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व के स्थान है लेकिन उनकी ओर ध्यान न देने से उनका रख रखाव और प्रचार प्रसार न होने से पर्यटक नहीं आते. अगर यहां पर्यटक आने लगे तो स्थानीय लोगो को अच्छा रोजगार मिल सकता है.

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