विदिशा। दिन मंगलवार, तारीख 12 जुलाई, MP का शहर विदिशा..यहांं एक बच्ची की जान महज इसलिए चली गई क्योंकि शहर की सड़कें खराब हैं. श्रेया चौबे नाम की छोटी सी बच्ची का एक्सीडेंट रोड के गड्ढों के कारण बड़े बाजार में हो गया. पूरा शहर इस नन्ही सी जान की मौत से सकते में आ गया, माहौल गमगीन था. इस दुर्घटना में एक परिवार ने अपनी बेटी ही नहीं खोई बल्की एक होनहार स्टूडेंट जो पढ़ने में बेहद होशियार थी, उसकी आकस्मिक मृत्यु ने उसके परिवार सहित सभी को झकझोर दिया. इस दुर्घटना में अप्रत्यक्ष रूप से प्रशासन और नगर पालिका भी जिम्मेदार है. क्योंकि जिस जगह पर बालिका का साइकिल से गिरने से एक्सीडेंट हुआ वहां की सड़क को सुधारने और मेंटेन करने की जिम्मेदारी नगर पालिका की ही है. लेकिन सड़क बेहद खराब, पुलिया जर्जर और साइड में डिवाइडर ऐसा कि हमेशा दुर्घटना का खतरा बना रहता है.
दुर्घटना में मृत बच्ची के नाम पर रखा जाएगा सड़क का नाम.?: शहर के लोगों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि, श्रेया की मौत से सबक लेकर मार्ग को तुरंत दुरुस्त किया जाए. डिवाइडर को हटाकर चौड़ा रोड तैयार किया जाए. साथ ही सड़क का नाम बदल कर स्वर्गीय श्रेया चौबे मार्ग रखा जाए ताकि लोगों को सनद रहे कि यहां एक बच्ची की जान इसलिए चली गई कि जिम्मेदारों ने अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाई. साथ ही पीड़ित परिवार को क्षतिपूर्ति के रूप में सहायता राशि दी जाए. सड़क का सुधार और अतिक्रमण हटाना बच्ची को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी, और भविष्य में इस तरह की कोई अन्य दुघर्टना से भी बचा जा सकेगा. कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने इस पूरे मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं. लेकिन जिम्मेदारी किसी की तो बनती है क्योंकि हर जीवन अमूल्य है.
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लोगों में आक्रोश: रमेश रैकवार जो इस इलाके में दुकानदार है उनका कहना है कि, 'हादसा बड़ा दुखद है और यह नगर पालिका प्रशासन, जिला प्रशासन और शासन तीनों की लापरवाही की वजह से हुआ है. पूरे शहर की यही हालत है, गड्ढे नालियां और नाले लबालब भर रहे हैं. इस बारे में बच्ची के लिए सभी दुखी हैं. प्रशासन की लापरवाही से एक बच्ची की जान चली गई, शहर में ना जाने कितने लोग गिर रहे हैं, प्रशासन को इस बच्ची की शहादत से सबक लेना चाहिए. प्रत्यक्षदर्शी पप्पू पठान जो ऑटो चालक हैं और इन्होने ही अपने हाथों से बच्ची को अस्पताल पहुंचाया था उनका कहना है कि, 'बच्ची जा रही थी इस नाले के गड्ढे में साइकिल फंसने से अनबैलेंस हो गई और बच्ची गिर पड़ी. नगर पालिका प्रशासन के इंजीनियर और अधिकारियों से कई बार शिकायत की है तो वह कहते हैं कि हो तो गया है सड़क ठीक. पैदल चलने वाले भी गिरते हैं, साइकिल वाले भी गिरते हैं, रोज 2-4 हादसे होते हैं. मैं उस बच्ची को ऑटो में लेकर मैं अस्पताल गया वह लड़की यहां जैसे ही गिरी बेहोश हो गई और फिर कभी होश में नहीं आई. यहां पास में अनेकों स्कूल हैं जैसे की एमएलबी गर्ल्स स्कूल, बीएम कॉलेज, सरस्वती स्कूल, पैड़ी स्कूल. ऐसे में प्रशासन को ध्यान देना चाहिए कि फिर कोई श्रेया जिम्मेदारों की लापरवाही से अपनी जान न गंवाए.