विदिशा। इन दिनों पूरे देशभर में गणेश उत्सव मनाया जा रहा है. हर कोई अपने-अपने तरीके से भगवान गणेश को प्रसन्न करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. भगवान गणेश को देश भर में अनेक रूपों में देखा जाता है. इसी कड़ी में इस गणेश उत्सव में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि घरों के साथ भगवान गणेश मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की उदयगिरि की गुफाओं में भी विराजमान हैं.
बाल गणेश की प्राचीन प्रतिमा
विदिशा शहर से दूर बेष नदी के पास उदयगिरि की गुफाओं में बाल गणेश विराजमान हैं. इस गुफा में गणेश की प्रतिमा बहुत प्राचीन है. पुरातत्व में होने की वजह से गुफाओं के अंदर पूजा करने पर भी प्रतिबंध है, इसलिए आस-पास के लोग तार की लगी जालियों के बाहर से ही भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं.
दूर-दूर से आते हैं पर्यटक
विदिशा की उदयगिरि की पहाड़ी में गुफा नंबर 6 में बाल रूपी गणेश की प्रतिमा चट्टानों पर बनी हुई है. ये देश की सबसे प्राचीन बाल गणेश की मूर्ति मानी जाती है. भगवान गणेश के बगल में विष्णु भगवान की बड़ी प्रतिमा बनी हुई है. आसपास पहाड़ी पर कई गुफाएं बनी हुई हैं, जिसे देखने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी कई पर्यटक आते हैं.
चट्टानों पर उकेरी गई है प्रतिमा
अतुल तिवारी बताते हैं कि जब सनातन धर्म की शुरूआत हो रही थी, तब इसकी शुरूआत विदिशा और नर्मदा नदी घाटों से हुई थी. जहां गणेश की मूर्ति पहाड़ी चट्टानों पर उकेरी गई थी. यहां सनातन धर्म के कई प्रमाण मिलते हैं. वहीं उदयगिरि पर भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा है, साथ ही यहां शिव और विष्णु की भी प्रतिमा बनी हुई है.
पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है उदयगिरि पहाड़ी
उदयगिरि की पहाड़ी पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है, इसलिए इस पहाड़ी के चारों तरफ तार और पत्थर से बनी बाउंड्री वॉल बनी हुई है. जिसके अंदर जाने पर टिकट लगता है. यहां कई गार्ड भी मौजूद रहते हैं. इस पहाड़ी पर कई गुफाएं भी मौजूद हैं, पहाड़ी पर बाल गणेश के साथ और भी भगवान चट्टानों पर उखेरे गए हैं.
ये भी पढ़े- आर्थिक संकट से जूझ रहे मूर्तिकार, शासन प्रशासन से लगा रहे मदद की गुहार
भगवान गणेश की सबसे प्राचीन मूर्ति
श्रद्धालु जितेंद्र कुशवाह हर रोज भगवान गणेश की पूजा करने उदयगिरि आते हैं, उनका मानना है कि उदयगिरि की पहाड़ी पर मौजूद भगवान गणेश की बड़ी मान्यता है. भगवान गणेश की सबसे प्राचीन मूर्ति इस पहाड़ी पर मौजूद है. जहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं.
ये भी पढ़े- कोरोना मुक्ति का संदेश देने इंदौर में विराजेंगे चॉकलेट के गणेश, कोरोना वॉरियर्स भी हैं मौजूद
बाल गणेश प्रतिमा का इतिहास
बताया जाता है कि इसका निर्माण चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में चौथी शताब्दी में हुआ था. चंद्रगुप्त द्वितीय के सेनापति वीरसेन ने मालवा पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में शहर से करीब छह किलोमीटर दूर पहाड़ी पर इन गुफाओं का निर्माण कराया था. आज ये ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों में तब्दील हो चुका है.